समय पर न्याय नही मिलना सवैंधानिक अधिकारो का हनन : पटेल

  • अम्बिकापुर में न्याय यात्रा का जोरदार स्वागत
  • 30 जनवरी को दिल्ली से निकली यात्रा का 4 मार्च को समापन
  • न्याय पालिका का बजट बढाना, और त्वरित, सरल न्याय की मांग

अम्बिकापुर

संविधान में निहित न्याय पाने के अधिकार के बावजूद निर्णयो में होने वाला विलंब आम जनता के संवैधानिक अधिकारो का हनन है! आज आदलातो में न्याय मिलने की जगह तारिख पर तारिख मिलती है । ऐसे ही तारिख पर तारिख को बंद कर आम लोगो को सुलभ, सरल, और त्वरित न्याय दिलवाने के उद्देश्य से देश में भ्रमण करने वाली न्याय यात्रा आज अम्बिकापुर पंहुची । फोरम फांर फास्ट जस्टिश नामक संस्था के द्वारा निकाली गई इस यात्रा का सरगुजा संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर में जोरदार स्वागत हुआ और इस मुहिम से जुडने संभाग भर से काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।

30 तारिख को महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट से शुरु न्याय यात्रा देश के विभिन्न हिस्सो से होते हुए आज अम्बिकापुर पंहुची,, अम्बिकापुर पंहुचने पर जिला स्तर पर गठित फोरम फांर फास्ट जस्टिस के कार्यकर्ताओ नें यात्रा का स्वागत किया,, जिसके बाद शहर के गांधी चौक पर एक न्याय सभा का आय़ोजन किया,, जिसमे सरगुजा , सूरजपुर, कोरिया और जशपुर जिले से सोसायटी के लोगो के साथ ही काफी संख्या में आम लोगो नें भी हिस्सा लिया। इस सभा में न्याय सुधार की जरुरत को उपस्थित लोगो ने महशूश किया । और न्याय यात्रा में देश भर का भ्रमण करने वाले अतिथियो नें न्याय सुधार की जरुरत और यात्रा के उद्देश्य को लोगो के साथ साझा किया।  इस सभा के शहर के बाद शहर में एक विशाल रैली का आय़ोजन किया गया। जो गांधी चौक , घडी चौक, संगम चौक , थाना चौक होते हुए रैली लरंगसाय चौक पर पंहुची। और फिर यात्रा बलरामपुर जिले के लिए रवाना हो गई। इसी दौरान न्याय यात्रा पर निकले फोरम के सदस्यो और सरगुजा सोसायटी फांर फास्ट जस्टिस के सदस्यो नें जिला न्यायालय में भी न्याय सुधार और जागरुकता के लिए पर्चे बांटे ।

भारतीय संविधान में न्याय पाने का भी एक अधिकार निहित है… लेकिन आदलतो में तारिख पर तारिख मिलने के काऱण जो न्याय दो से तीन साल में मिल जाना चाहिए,, उस न्याय को पाने में काफी लंबा वक्त लगता है। जिसकी एक मुख्य वजह न्यायालयो और न्यायधीशो की कमी है तो दूसरी सबसे बडी वजह न्याय पालिक का बजट महज 0.2 प्रतिशत होना भी है ।  जबकि दूसरे देशो में ये बजट बहुत ज्यादा है। बहरहाल न्याय व्यवस्था में सुधार की गुंजाईश तलाशते ये यात्रा अम्बिकापुर के लोगो को जागरुक कर अब पडोसी प्रदेश झारखंड के लिए रवाना हो गई है । देखना है कि 4 मार्च को दिल्ली के जंतर मंतर में जब ये यात्रा जब एक विशाल रैली में तब्दील होती है ।  तब सरकार के कान में जूं रेंगता है या फिर न्याय के लिए ये लडाई यू ही जा रहती है।

प्रवीण पटेल, राष्ट्रीय संयोजक , न्याय यात्रा  के मुताबिक

संयोजक प्रवीण पटेल के मुताबिक देश में स्वच्छता से लेकर हर तरह से सुधार की बात होती है.. लेकिन आज तक देश में न्यायिक सुधार की दिशा में किसी भी प्रधानमंत्री नें बात नही । जबकि इस संबध में पिछले कई वर्षो में कई बार फोरम फांर फास्ट जस्टिस के लोग ज्ञापन और मुलाकत के माध्यम से देश के कानून मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री से बात कर चुके है। लेकिन न्याय व्यस्था में सुधार को लेकर किसी नें ध्यान नही दिया। इतना ही श्री पटेल नें बताया कि मौजूदा प्रधानमंत्री 2 बार लाल किला से अपना भाषण दे चुके है। सैकडो बार मन की बात कर चुके है.. लेकिन आज तक न्यायिक सुधार के संबध में उन्होने चर्चा नही की है। जबकि न्याय पाना आम लोगो का संवैधानिक अधिकार है।

दिनेश सोनी, अध्यक्ष , सरगुजा सोसायटी फांर फास्ट जस्टिस

श्री सोनी के मुताबिक भारत में प्रति 10 लाख जनसंख्या पर सिर्फ 10.5 न्यायधीश है.. जबकि आस्ट्रेलिया जैसे देशो में प्रति 10 लाख की जनसंख्या पर 41 , इंग्लैण्ड में 51, कनाडा में 75 , और अमेरिका में 107 न्यायधीश है…. इधर भारत के सर्वोच्च न्यायलय नें 2007 तक प्रति 10 लाख जनसंख्या पर 50 न्यायधीश नियुक्त करने का आदेश दिया था.. जो आदेश अभी तक ठंडे बस्ते में है… जिसकी वजह से फौजदारी के मुकदमें का फैसला करने में 15 से 20 वर्ष और दीवानी के मुकदमें का फैसला करने में सामान्यत 25 से 30 वर्ष का समय लगता है.. इस स्थिती को देखकर फोरम फांर फास्ट जस्टिश नामक इस संस्था नें जो आकडे सतह पर लाए है… उसके मुताबिक 2040 तक आदालतो में विचाराधीन मामलो की संख्या 15 करोड को पार कर जाएगी । इतना ही नही श्री सोनी ने प्राप्त दस्तावेजो के आधार पर ये भी बताया है कि जंहा सिंगापुर, इंग्लैण्ड और अमेरिका में न्याय पालिका के लिए बजट काफी ज्यादा है वही भारत में न्याय पालिक का लिए बजट महज 0.2 प्रतिशत है। जिसकी वजह से न्याय व्यवस्था लचर है।

ममता शर्मा, प्रदेश संयोजक न्याय यात्रा ,छत्तीसगढ

श्रीमति शर्मा के मुताबिक न्याय यात्रा की शुरुआत 30 जनवरी को राजघाट दिल्ली से की गई थी। जिसके बाद देश के विभिन्न हिस्सो से होती हुई ये यात्रा पिछले 6 दिनो से छत्तीसगढ में भ्रमण कर रही है। जिसके बाद इस यात्रा का समापन 4 मार्च जंतर मंचर में एक महासभारुप में होगा। और 5 और 6 मार्च को दिल्ली में एक महाअधिवेशन होगा। जिसमे यात्रा के अनुभव और लोगो के रुझान पर चर्चा होगी। जिसके बाद लोगो को कम समस में आसानी से सही न्याय मिल सके….  इस संबध में एक प्रोजेक्ट तैयार करके लोकसभा और विधि मंत्रालय को सौंपा जाएगा। और अगर इस यात्रा के बाद भी न्याय पालिक में सुधार के लिए सरकार कोई कदम नही उठाएगी। तो फिर अपने सैंवाधनिक अधिकारो के लिए ये लडाई जारी रहेगी। और आने वाले समय में चलो गांवो की ओर जैसा एक बडा आंदोलन किया जाएगा।

सरगुजा सोसायटी फांर फास्ट जस्टिश द्वारा इस आयोजन में संस्था की ओर से यात्रा के राष्ट्रीय संयोजक प्रवीण पटेल, छग प्रदेश संयोजक ममता शर्मा, डी.के.सोनी, सुरेन्द्र सिंह (ननका सिंह) , सी.पी.सिंह, अमितेष सिंह (गोलू) अमितेष पाण्डेय, सुमित मिश्रा, इंजोर दास , राजेश कुशवाहा ,ए.एन.पाण्डेय, एकांत सिंह, मुरारी यादव, के अलावा स्थानिय स्तर पर बतौर अतिथि सरगुजा जिला पंचायत अध्यक्ष फुलेश्वरी सिंह , अम्बिकापुर महापौर डाँ अजय तिर्की, एल्डरमैन शकुंतला पाण्डेय, वंदना दत्ता , शिव सिंह, सिलफिली सरपंच संजय सिंह नेटी, अजरिमा सरपंच बंटू ,ठाकुरपुर सरपंच हीला ,कमलपुर उपसंरपच विनय बछाड समेत संभाग से आए काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।