स्वाइन फ्लू से बचने सतर्कता बरतने के निर्देश

 

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कोरबा 11 फरवरी 15

इन्फ्लूएंजा या स्वाईन फ्लू एक संक्रामक उत्परिवर्ती वायरस है। आम तौर पर इस वायरस के वाहक सूअर होते हैं इसी कारण इसका नाम ‘सुअर फ्लू’ यानी स्वाईन फ्लू पड़ा। पूर्व में यह वायरस  जानवरों के लिये घातक नहीं था ना ही कभी इससे इंसान प्रभावित हुआ था। लेकिन जब से इस विषाणु का उत्परिवर्तन हुआ है, इस फ्लू ने महामारी का रूप कर लिया है और यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैलता है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा.पी.आर.कुंभकार ने बताया है कि वर्तमान में राज्य की राजधानी रायपुर के निजी चिकित्सालय में स्वाईन फ्लू का धनात्मक मरीज पाया गया है। उन्होंने जिले वासियों से अपील की है कि किसी के घर अन्य जिले व प्रांत से आये संबंधी या अन्य किसी भी व्यक्ति में इस बीमारी के लक्ष्ण दिखाई देने पर अतिशीघ्र स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी को सूचना देवें साथ ही मरीज को शीघ्रातिशीघ्र निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र में उपचारित करावें। साथ ही अपने आस-पास के व्यक्तियों को भी इस बीमारी से संभावित खतरों से अवगत करावें।
स्वाईन फ्लू के संबंध में जानकारी – स्वाईन फ्लू या इन्फ्लूएन्जा ए एच1एन1 एक नया इन्फ्लूएन्जा वायरस के संक्रमण से होने वाली श्वसन तंत्र की संक्रामक रोग है। यह बीमारी एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में श्वसन तंत्र के द्वारा फैलती है। संक्रमित व्यक्ति से उसके छींकते एवं खांसते वक्त वायरस वातावरण में ड्रापलेट के रूप में फैलते हैं, जो उस वातावरण में श्वांस लेने वाले व्यक्ति के श्वसन तंत्र में प्रवेश कर उसे संक्रमित करते हैं।स्वाईन फ्लू के लक्षण मौसमी फ्लू की तरह होते हैं। इसमें बुखार, सर्दी, खांसी, छींक, कॅफ जमना, गले में खरॉश, सिर दर्द, बदन दर्द, ठंड लगना और थकान की शिकायतें होती हैं। उल्टी दस्त एवं पेट दर्द भी हो सकते हैं। गंभीर मरीजों में तेज बुखार एवं सांस लेने में तकलीफ होती है।संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के एक से सात दिनों में स्वस्थ व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। लक्षण समाप्त होने के बाद संक्रमित व्यक्ति सात दिनों तक संक्रमण फैला सकता है। बच्चों, वृद्धों एवं पूर्व से अस्वस्थ व्यक्तियों में स्वाईन फ्लू के संक्रमण के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
स्वाईन फ्लू से बचाव के उपाय – खांसते एवं छींकते समय अपने मुंह एवं नाक को रूमाल से या टीशू पेपर से ढकें, खांसने या छींकने वाले व्यक्ति से कम से कम एक हाथ दूर रहें, भीड़ भरी स्थानों पर जाने से बचें, अपने हाथों को बार-बार साबुन व पानी से धोते रहें, अच्छे स्वास्थ्य को बनाये रखने का प्रयास करें, पर्याप्त नींद ले, तनाव से बचें एवं शारीरिक रूप से सक्रिय रहें, पर्याप्त मात्रा में पानी एवं अन्य तरल पदार्थ और पौष्टिक भोजन का सेवन करें, आंख, नाक और मुंह को छुने से बचें, यदि स्वाईन फ्लू से पीड़ित होने की आशंका हो तो घर पर ही रहें, स्कूल अथवा कार्यालय न जाएं, सीमित व्यक्तियों से ही मिलें, सर्दी, खांसी या श्वासन तंत्र से कोई भी तकलीफ हो तो तुरंत निकट के अस्पताल में जांच एवं उपचार करा लें, स्वाईन फ्लू का प्रकोप के स्थानों पर जाने से बचें।
स्वाईन फ्लू का उपचार – स्वाईन फ्लू के संदिग्ध अथवा पुष्टिकृत मरीजों को ‘आयसोलेसन’ में भर्ती कर उपचार किया जाता है। मरीज की स्थिति ज्यादा गंभीर न हो तो घर पर सतर्कता बरतते हुए औषधि सेवन की सलाह दी जाती है। स्वाईन फ्लू का उपचार ओसेलटेमीविर (टेमीफ्लू/फ्लूविर/स्टार फ्लू) केप्सूल से किया जाता है।
स्वाईन फ्लू के संबंध में अन्य जानकारी हेतु ‘104’ सेवा से संपर्क कर प्राप्त किया जा सकता है।