गांव वाले दर्जनो मौत से भी नही ले रहे है सीख
मालवाहक वाहन सरगुजा के लिए बने सबसे उपयुक्त सवारी वाहन
एक मालवाहक मे सवार होते है 35 से 40
अम्बिकापुर – देश दीपक “सचिन”
सरगुजा में सड़क हादसों के प्रकारों को देखा जाए तो यह कहने में भी गुरेज नहीं है की यहाँ होती है मौत की ट्रांसपोर्टिंग… इस खबर को पूरा पढने के बाद आप भी मान जाएँगे की वाकई सरगुजा में मौत की ट्रांसपोर्टिंग होती है और यहाँ के लोग बड़े ही शौक से इस साधन का उपयोग करते है और अक्सर इस फिराक में अपनी जाना गंवा बैठते है… इस संभाग में लोग पिकप, ट्रैक्टर जैसे मालवाहक वाहनों का उपयोग सवारी धोने में करते है शादी हो मंत्री जी का आगमन सभी में यहाँ के लोग अपनी जान जोखिम में डाल कर मौत को दावत देते हुए इन वाहनों में सवार होकर कही भी चल देते है परिणाम स्वरुप हादसों के शिकार होकर अपनी जान गंवा देते है..
सरगुजा मे पिछले पांच वर्षो मे मालवाहक वाहनो मे सवार तकरीबन 100 से अधिक लोगो की मौत हो चुकी है ! लेकिन उसके बावजूद ना ही लोग इन माल वाहको पर सवारी करने से परहेज कर रहे है और ना ही परिवहन और यातायात विभाग इन पर कोई निर्णायक कार्यवाही कर रहा है ! आलम ये है कि नेताओ की अगुवाई हो या फिर किसी सामाजिक कार्य , सबमे माल वाहको मे सवारी ढोना सरगुजिहा परंपरा बन गई है !
आदिवासी बाहुल्य होने के कारण सरगुजा जिले मे विकास तो गांवो तक पंहुच गया, लेकिन जागरूकता की रोशनी शायद इन सरगुजा के गांवो तक अब भी नही पहुंची है ! यही वजह है कि सरगुजा के ग्रामीण अंचलो मे होने वाले वैवाहिक कार्यक्रमो , सामाजिक उत्सवो और नेताओ की सभा और रैैलियो मे ग्रामीण क्षेत्र के लोगो की किसी समान की तरह माल वाहक वाहनो मे ट्रांस्पर्टिंग की जाती है ! ऐसा नही है कि ये इंसानो की ट्रांसपोर्टिंग कराई जाती है बल्कि ग्रामीण क्षेत्रो मे अपनी सुरक्षा को लेकर लोगो मे जागरूकता की कमी है , जिससे ग्रामीण अंचलो के लोग मालवाहक वाहनो मे सवारी करने मे जरा भी परहेज नही करते है ! आमतौर पर इन माल वाहको मे सवारी करने वाले लोगो की संख्या भले ही कम रहता हो , लेकिन किसी विशेष अवसर पर एक पिकप या किसी मालवाहक वाहन मे 40 से 50 इंसानो की ट्रांसपोर्टिंग आम नजारा है !
हादसा के बाद भी नही मान रहे है लोग
रविवार को सरगुजा के उदयपुर क्षेत्र मे एक हादसा हुआ ! जिसमे ट्रेक्टर से हुई भिडंत के बाद पांच लोगो की घटना स्थल पर ही मौत हो गई थी ,वही एक दर्जन से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे ! इसके अलावा तीन वर्ष पूर्व मुख्यालय अम्बिकापुर से लगे लालमाटी इलाके मे एनएच मे एक छोटा हाथी मे सवार 40 लोगो मे 19 महिला,पुरूष और बच्चो की दर्दनाक मौत हुई थी , लेकिन बावजूद उसके इन हादसो से लोग ही सीख ले रहे और ना ही पुलिस प्रशासन और परिवहन विभाग किसी निर्णायक कार्यवाही पर विचार कर रहा है !
अपनी ही जान प्यारी नही
दो दिन पहले उदयपुर हादसे के एक बाद फिर पांच पिकप मे सवार सैकडो लोग जिला मुख्यालय अम्बिकापुर पंहुचे ! इन तीन पिकप मे महिला और बच्चियो की संख्या ज्यादा थी ! दरअसल पिकप मे सवार होकर ये लोग बतौली से अम्बिकापुर 28 किलोमीटर का फासला तय करके अम्बिकापुर कलेक्ट्रेट पंहुचे थे ! जहां ये लोग कलेक्टर से मिलकर उनसे शराब दुकान ना खोलने की मांग करने पंहुचे थे !
आर.एस.कौशल जिला परिवहन अधिकारी सरगुजा
इस सम्बन्ध में जिला परिवहन अधिकारी आर.एस.कौशल ने बताया की जब भी हमारे विभाग को मालवाहक गाडियों में यात्रियों का परिवहन करते पाया जाता है तो उन पर जुर्माने की कार्यवाही की जाती है। हालाकी लोग समझते नहीं यह चिंता का विषय है ऐसा नहीं करना चाहिए।
भीम सिंह कलेक्टर सरगुजा
मालवाहक गाडियों में यात्री परिवहन होने के कारन आये दिन हो रही दुर्घटनाओं को रोकने के सवाल पर कलेक्टर भीम सिंह ने कहा की यह चिंतनीय विषय है, इस पर सोच समझ कर कोई कदम उठाना होगा..उन्होंने कहा की हालाकी पकडे जाने पर परिवहन विभाग इन पर कार्यवाही करता है।