विश्व पर्यावरण दिवस पर सरगुजा कला मंच ने किया काव्यगोष्ठी का आयोजन…

अम्बिकापुर

जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिग के कारण धरती का ताप निरंतर बढ़ रहा है। विश्व मानवता को इसके लिये एकजुट होकर ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि धरती पर जीवन आसान हो सके। उक्त बातें विश्व  पर्यावरण दिवस पर रगुजा कलामंच द्वारा विवेकानंद विद्या निकेतन में आयोजित काव्यगोष्ठी में सरस्वती शिशु मंदिर के प्राचार्य रामप्रसाद गुप्ता ने मुख्य अतिथि की आसंदी से कही। कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. सपन सिन्हा ने कहा कि आज समूचे विश्व में पर्यावरण का संकट गहरा गया है। वनों की बेतहाशा कटाई से अत्यधिक वर्षो, बाढ़ और सूखे जैसे हालात पृथ्वी के अनेक भागों में दिखाई दे रहा है। समस्या अत्यंत गंभीर है किन्तु समन्वित प्रयास से समस्या का समाधान किया जा सकता है। इसके पूर्व अतिथियों ने मां सरस्वती के छायाचित्र के समक्ष पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। काव्यगोष्ठी में राजेश पांडेय, कृष्णकांत पाठक, संतोषदास, अजय श्रीवास्तव ने पर्यावरण संरक्षण पर केंद्रित कविताओं का पाठ किया। डॉ पुष्पा सिंह ने ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभावों को रेखांकित किया। ग्लोबल वार्मिंग से सूरज जल रहा, धरती तप रही, हिम पिघल रहा। पूनम पांडेय ने प्राकृतिक प्रकोप को उजागर कर, परिणाम भुगतने को तैयार रहने की बात कही आह हमारी है तुमको, बादल का पानी सूखेगा, आंखो से पानी छलकेगा। मुकुन्दलाल साहू ने वृक्षों की कटाई को जीवन और जगत के लिये विनाशकारी बताया यूं ही कटते रह गये, अगर पेड़ दिन रात। नहीं रहेगी ये जमीं, जीवन जैसी बात। इस अवसर पर विनोद हर्ष, मनीष, केके त्रिपाठी, विवेकानंद विद्या निकेतन के प्राचार्य व्यासनारायण शर्मा सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।