अंबिकापुर मेडिकल कालेज अस्पताल अंबिकापुर के चर्चित लापरवाह डाक्टरों की लापरवाही पर नकेल कसने, जिला प्रशासन ने बड़ा ही नायाब तरीका इजाद किया है.. जैसे स्कूलों में शिक्षाकर्मियों या रेगुलर शिक्षको की उपस्थित सुनिश्चित करने के लिए सीजी एजूट्रैक नामक एंड्राईड एल्पिकेशन प्रशासन ने बनवाया और उसे लागू किया, आज सरगुजा जिले की सरकारी स्कूलों में समय पर स्कूल पहुँचाना और पूरे टाइम तक रहना उनकी मजबूरी बन गई है.. लिहाजा शिक्षा का स्तर सुधारने एक प्रयास तो सुनिश्चित हो सका है… इसी क्रम में मेडिकल कालेज अस्पताल के डाक्टरों को लाख समझाने के बाद भी जब प्रशासन ने खुद को असमर्थता की स्थति में देखा तो डाक्टरों की उपस्थति सुनिश्चित करने के लिए एक DMAAA नामक एक एंड्राईड एल्पिकेशन बनाया.. और इसका उपयोग भी शुर कर दिया गया है.. लेकिन एंड्राईड एल्पिकेशन के शुरू होने के बाद मेडिकल कालेज अपस्ताल के दो चिकित्सको ने स्तीफा दे दिया और स्तीफे के बाद से अफवाहों का बाजार भी गर्म हो गया की इस एंड्राईड एल्पिकेशन की वजह से डाक्टर नौकरी छोड़ रहे है.. जिसका असर मरीजो पर पडेगा.. पर यहाँ पर अहम् सवाल यह उठता है की ऐसे डाक्टर जो ईमानदारी से नौकरी करने के डर से नौकरी छोड़ दे इसे डाक्टरों की जरूरत ही क्या है.. क्योकी ये सिर्फ शासन से तनख्वा लेते है मरीजो को इनका लाभ वैसे भी नहीं मिलता है.. हालाकी स्तीफा देने वाले डाक्टरों ने स्तीफे का कारण एंड्राईड एल्पिकेशन नहीं बल्की उनका ख़राब स्वास्थ बताया है..
आपको बतादे की इस एंड्राईड एल्पिकेशन में डाक्टर दिन में दो बार अस्पताल में राउंड के समय अपने मरीज की मेडिकल नोट्स की फोटो बीएड नंबर के साथ क्लिक कर एंड्राईड एल्पिकेशन में अपलोड करेंगे और स्टुवर्ट के लोग मरीजो के भोजन की थाली की फोटो अपलोड करेंगे जिसकी मानीटरिंग कर प्रशासन यह सुनिश्चित कर सकेगा की सब ठीक चल रहा है या नहीं..
किरण कौशल कलेक्टर सरगुजा
आज आयोजित एक प्रेस वार्ता में सरगुजा कलेक्टर किरण कौशल ने भी यह स्पष्ट कर दिया की एंड्राईड एल्पिकेशन की वजह से डाक्टरों का नौकरी छोड़ना अफवाह है.. वही उन्होंने यह भी बताया की इसी बात भी सामने आ रही है की एंड्राईड एल्पिकेशन में फोटो अपलोड करने में समय अधिक खराब होता है.. इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए कलेक्टर ने बताया की इस एंड्राईड एल्पिकेशन में फोटो आफलाइन सेव होती है और नेटवर्क में आने पर फोटो खुद ही अपलोड हो जाती है.. लिहाजा डाक्टरों को सिर्फ फोटो क्लिक करनी है और आगे बढ़ जाना है फोटो अपलोड होने का इन्तजार नहीं करना है.. इस दौरान एंड्राईड एल्पिकेशन बनाने वाले आईटी एक्सपर्ट राजेस कुशवाहा भी मौजूद रहे..
मुझे रोना आता है आदिवासियों को देख कर – नितिन गौंड
जिले में स्वास्थ विभाग की बदहाली दूर करने का जिम्मा अपने कंधो पर उठाये युवा आईएएस अधिकारी डॉ नितिन गौंड इस दौरान सरकारी डाक्टरों पर नकेल कसने के सम्बन्ध में बताते हुए भावुक वो गए और उन्होंने कहा की मैं दिल्ली से यहाँ आया हूँ और इससे पहले मैंने कभी आदिवासी नहीं देखा था.. लेकिन जब मैं यहाँ के गाँव जाता हूँ तो आदिवासियों की हालत देख मुझे रोना आता है.. उन्होंने कहा की अगर मैं खुद किसी अस्पताल में इलाज के लिए एडमिट होता हूँ तो डाक्टर से यही उम्मीद करता हूँ की कम से कम वो दो बार मुझे देखने आये…. इतना कह नितिन भावुक हो गए और खामोश हो गए..