रायपुर लेखक-सुनीता केशरवानी
स्त्री जननी और मानव जीवन का आधार स्तम्भ हैं। वह घरए परिवार और समाज को मजबूती प्रदान करने वाली सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है। अगर हम छत्तीसगढ़ की महिलाओं को देखेंए तो पाएंगे कि प्रदेश के विकास में उनकी बराबर की भागीदारी रही है। महिला सशक्तिकरण के पक्षधर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉण् रमन सिंह का यह मानना है कि एक शिक्षित और सशक्त महिला से दो परिवारों में संपन्नता आती है। उनके नेतृत्व में राज्य सरकार हमेशा प्रदेश के विकास में महिलाओं की सहभागिता सुनिश्चित करने का प्रयास करती रही है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए राज्य में अनेक महिला हितैषी योजनाएं संचालित की जा रही है। डॉण् सिंह ने महिलाओं की काबिलियत को समझा और उन्हें हर क्षेत्र में आगे आने का मौका दिया। आज हम देख सकते हैं कि विकास के पथ पर प्रदेश़ की महिलाएं पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हुई हैं। अब राज्य के सामाजिक.आर्थिक सहित सभी क्षेत्रों में महिलाओं का दखल देखने को मिलता है।
नशा मुक्ति के क्षेत्र में भी छत्तीसगढ़ की महिलाएं काफी अच्छा काम कर रही हैं। इस काम के लिए यहां की महिलाएं भारत माता वाहिनी के रूप में संगठित है। वर्तमान में भारत माता वाहिनी प्रदेश के 17 जिलों के एक हजार 42 ग्राम पंचायतों में सक्रिय है। महिलाओं की जागरूकता और सक्रियता से राज्य के अनेक गांवों में शराब की दुकानें बंद हो चुकी हैं। यहां इस बात का उल्लेख करना जरूरी है कि भारत माता वाहिनी की महिलाएं नशाबंदी के साथ ही अवांछित कार्यों पर रोक लगाने के लिए गांवों में रात.रात को पहरा देती हैं। छत्तीसगढ़ में कुपोषण के स्तर में लगातार कमी आ रही है। इस काम में महिला समूहों और महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। महिलाओं को सशक्त बनाने में महिला स्व.सहायता समूहों की प्रभावी और सकारात्मक भूमिका है। समूह के रूप में संगठित होने पर एक तो महिलाओं में मजबूती आई हैए वहीं सम्पर्क का दायरा बढ़ने से सामाजिक काम.काज के प्रति उनमें जागरूकता भी आई है। प्रदेश में 50 हजार आंगनबाड़ी केन्द्रों में रेडी.टू.ईट बनाने और वितरण तथा स्कूलों में मध्यान्ह भोजन तैयार करने का सौ प्रतिशत काम महिला समूहों को दिया गया है। आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों के लिए नाश्ता और गर्म पका भोजन तैयार करने का काम भी महिला समूह की महिलाएं कर रही हैं। इसके अलावा यहां के महिला समूहों द्वारा करीब चार हजार शासकीय उचित मूल्य की दुकानों का संचालन सफलतापूर्वक किया जा रहा है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में देखे तो सामुदायिक स्वास्थ्य स्वयंसेवी के रूप में 60 हजार मितानिन निःस्वार्थ भाव से समुदाय के स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए काम कर रही हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि बिलासपुर में कई सिटी बस महिलाएं चला रही हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार यह जानती है कि महिलाओं को जब भीए जो भी दायित्व सौंपा जाता हैए वे कर्तव्य निष्ठा के साथ उन कार्यों को पूरा करती हैं। यही कारण है कि राज्य सरकार ने प्रदेश के विकास में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने और महिला सशक्तिकरण के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। छत्तीसगढ़ खाद्य एवं पोषण सुरक्षा अधिनियम के तहत राशन कार्ड हेतु प्रत्येक परिवार की वरिष्ठ एवं वयस्क महिला को परिवार की मुखिया माना गया है। इस प्रावधान के तहत अब ऐसे परिवार जिनमें वयस्क महिला मुखिया नहीं हैए उन्हें छोड़कर शेष समस्त राशन कार्ड परिवार की वयस्क महिला मुखिया के नाम पर जारी किए गएए जो महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक सराहनीय कदम है। परिवार में महिलाओं की स्थिति को मजबूती देने के लिए महिलाओं के नाम पर जमीन खरीदी पर रजिस्ट्री शुल्क में एक प्रतिशत छूट का प्रावधान किया गया है। इसी तरह पंचायतों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए पंचायत राज संस्थाओं में महिला आरक्षण 50 प्रतिशत किया गया। आज पंचायत राज व्यवस्था के अन्तर्गत प्रदेश के करीब 60 प्रतिशत पंचायतों में महिलाएं जनता का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। यह गौरव की बात है कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ की अनेक महिलाएं भारतीय प्रशासनिक सेवा की शीर्ष परीक्षाओं में चयनित होकर विभिन्न राज्यों में अपनी सेवाएं दे रही हैं।
घर के भीतर और घर के बाहर अथवा किसी भी रूप में पीडि़त व संकटग्रस्त महिलाओं कएक ही छत के नीचे एकीकृत रूप से सहायता उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार के सहयोग से केन्द्र सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा राजधानी रायपुर स्थित जिला चिकित्सालय परिसर में ष्सखीष् नाम से वन स्टाप सेंटर की स्थापना की गई है। यहां सभी वर्ग की महिलाओं को सलाहए सहायताए मार्गदर्शन और संरक्षण प्रदान किया जाता है। सखी में अब तक महिलाओं की विभिन्न प्रकार की समस्याओं से संबंधित डेढ़ सौ से अधिक मामले सुलझाएं जा चुके हैं। इस केन्द्र से मदद के लिए टोल फ्री हेल्पलाइन नम्बर 181 पर सम्पर्क किया जा सकता है। महिला उत्पीड़न की रोकथाम के लिए छत्तीसगढ़ण् में टोनही प्रताड़ना निवारण कानून 2005 और घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण कानून 2005 लागू है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में मातृ कुटीरएनारी निकेतनएस्वाधार केन्द्र और महिला वसति गृह का संचालन किया जा रहा है। महिला उत्थान को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा मिनी माता सम्मान दिया जाता है। इस सम्मान के अन्तर्गत महिलाओं के उत्थान के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाली राज्य की एक महिला अथवा स्वैच्छिक संस्था को सम्मान स्वरूप दो लाख रूपए और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को निःशुल्क सायकल वितरणए खेत में काम करने वाली महिला श्रमिकों को निःशुल्क बरसाती ;रेन.कोटद्ध वितरणए निर्माण कार्यों में लगी महिला.श्रमिकों को मुख्यमंत्री सायकल सहायता योजना के तहत निःशुल्क सायकल और मुख्यमंत्री सिलाई मशीन सहायता योजना के तहत निःशुल्क सिलाई मशीन वितरण जैसी अनेक योजनाएं महिला सशक्तिकरण की दिशा में राज्य सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों के परिणाम हैं।
प्रदेश में छात्राओं को अब स्नातक स्तर तक की शिक्षा भी निःशुल्क मिल रही है। बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में सरस्वती सायकल योजना भी संचालित हैए जिसके तहत गरीब परिवार की कक्षा 9वीं और कक्षा 10 दसवीं की बालिकाओं को निःशुल्क सायकल वितरित किया जा रहा है। गरीब परिवार की बेटियों के विवाह में कोई कठिनाई न आएए इसके लिए प्रदेश में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना संचालित की जा रही है। इस योजना में प्रति कन्या 15 हजार रूपए आर्थिक सहायता दी जाती है। इस विवाह योजना में अब तक 60 हजार से ज्यादा बेटियों का विवाह हो चुका है। छत्तीसगढ़ महिला कोष की ऋण योजना के तहत महिला समूहों को अब केवल तीन प्रतिशत की ब्याज दर पर कारोबार के लिए दो लाख रूपए तक का ऋण दिया जा रहा है। महिला कोष से अब तक 29 हजार से अधिक महिला समूहों को कारोबार के लिए 54 करोड़ 36 लाख रूपए ऋण दिए जा चुके हैं। इसके अलावा सक्षम योजना में विधवाए तलाकशुदा और अधिक उम्र की अविवाहित महिलाओं को आसान शर्तों पर स्वरोजगार के लिए एक लाख रूपए तक ऋण दिया जा रहा है। प्रदेश की बारह सौ से अधिक महिलाएं इस योजना का लाभ उठाकर आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ती जा रही हैं।
लौट आई नेताम के बंगले में रौनक..अपनों के साथ भूले-बिसरे भी पहूँचे गुलदस्ता लेकर..