रायपुर राजिम कुम्भ के सरकारी आयोजन से महानदी के अस्तित्व की चिंता अब शिवरीनारायण मठ के मठाधीश राजेश्री महंत रामसुंदरदास महराज को भी सता रही है.. संगम और छत्तीसगढ़ की जीवन दायनी नदी को बचाने का बीड़ा रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने उठाया है.. और इसके लिए एक संगम बचाओ अभियान नाम का एक संगठन भी खडा हो चुका है.. लिहाजा इस सरकारी कुम्भ को ग्रहण लगता दिख रहा है.. जाहिर है की वर्षो पुराने मेले की परम्परा को शासकीय आयोजन के रूप में आयोजित करा कर खुद मुख्यमंत्री समेत कई मंत्री भी आयोजन में जनता से मुखातिब हो कर अपना कद बढाने के प्रयास में रहते है.. लेकिन इन सब के बीच महानदी को सरकार भूल गई.. वो यह भूल गई हमारी पहली प्राथमिकता जल जंगल और जमीन बचाना है.. यहाँ तक की सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी भी शायद सरकारी आयोजनकर्ताओं को याद नहीं तभी तो नदी की अपरोक्ष हत्या का प्रयास किया जा रहा है..
इस सम्बन्ध में फटाफट न्यूज ने राजेश्री महंत रामसुंदरदास महराज जी से ख़ास बात चीत की, इस बात चीत में उन्होंने बताया की रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु उनके पास आये थे और उन्होंने महानदी को राजिम कुम्भ के लिए सड़क बनाकर हर वर्ष पाटने की बात बताई.. जाहिर है की नदी में मेले के दौरान लोगो की सुविधा के लिए सड़क बनाई जाती है और उसके लिए नदी में मुरुम पाटी जाती है.. लेकिन इससे नदी का अस्तित्व संकट में पड़ गया है.. महंत जी ने स्पष्ट तौर पर कहा की हम ना तो सरकार के खिलाफ है ना ही कुम्भ के लेकिन नदी के अस्तित्व को इस तरह से ख़त्म करना उचित नहीं है.. लिहाजा संगम बचाओ अभियान के लोगो ने सरकार से निवेदन किया है की 10 जनवरी को बैठ कर बात चीत कर नदी को बचाने उचित प्रयास किये जाए.. महंत जी ने कहा की जैसे मेले के दौरान मुरुम पाटी जाती है वैसे ही अगर मेला ख़त्म होने के बाद उस मुरुम को नदी से बाहर निकाल दिया जाए तो महानदी का यह घाट सुरक्षित रहेगा. और अगर एसा किया जाता है तो किसी को कोई दिक्कत नहीं होगी.. उन्होंने माननीय सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा की सुप्रीम कोर्ट ने भी गंगा और यमुना का जिक्र करते हुए यह कहा है की नदियाँ जीवित है नदियों के साथ वैसा ही बर्ताव करना चाहिए जैसा एक जीव के साथ किया जाता है.. उन्होंने कहा की राजिम में संगम है और महानदी प्रदेश की गंगा मानी जाती है लिहाजा सरकार को इसकी चिंता करनी चाहिए.. राजिम कुम्भ शब्द के सम्बन्ध महंत जी ने कहा की सनातन धर्म के हिसाब से 4 धाम, 4 वेद और 4 ही कुम्भ भी होते है लिहाजा पांचवे कुम्भ का सवाल ही नहीं उठता.. उन्होंने बताया की राजिम कुम्भ के संबध में जगद्गुरु शंकराचार्य श्री निश्चला नन्द सरस्वती ने भी यही बात कही थी और उन्होंने कहा ही की यह कुम्भ कल्प हो सकता है कुम्भ नहीं.. वही उन्होंने यह भी बताया की जब वो विधानसभा में थे तब उन्होंने यह बात रखी थी.. तब सरकार के द्वारा यह कहा गया था की यह कुम्भ नहीं है बस एक नाम दे दिया गया है..
बहरहाल एक रिटायर्ड ब्रिगेडियर जिसे राजनीति से कोई लेना देना नहीं है.. वो नदी को बचाने के लिए संगठन खडा कर चुके है.. और इधर राजेश्री महंत रामसुंदरदास महराज भी ब्रिगेडियर के पक्ष में, या कहे नदी बचाने के पक्ष में है.. हालांकी महंत जी अब तक किसी विरोध की बात नहीं कह रहे है.. लेकिन तब जब सरकार नदी बचाने खुद से प्रयास करे.. लेकिन सवाल यह है की अगर सरकार ने पहल नहीं की तब क्या होगा.. क्योकी संगम बचाओ अभियान के लोग इस बार पूरी तरह से विरोध के मूड में देखे जा रहे है.. दस जनवरी को अगर सरकार ने महानदी के जीवन को बचाने कोई सार्थक पहल नहीं की तो विरोध तय है ऐसे में महंत जी का रुख क्या होगा.. ये भी हम आपको अपने पोस्ट के माध्यम से बताएँगे.. फिलहाल राजिम कुम्भ और संगम बचाओ अभियान से जुडी हर खबर की अपडेट के लिए पढ़ते रहिये फटाफट न्यूज डाट काम..