अम्बिकापुर
- राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड की कोयला खदान
- अदानी कंपनी ने तीन वर्षो से शुरु किया है कोल उत्खन्न
- जंगली जानवरो की तादात हुई कम , जडी बूटिया भी हुई नष्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 1993 से 2011 तक आबंटित हुए सभी कोल ब्लाक का आबंटन अवैध है। इसके साथ ही सरगुजा मे स्थापित अदानी कोल ब्लाक आबंटन पर भी सवाल उठना शुरु हो गए है। इस संबध मे सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेज कह रहे है सरगुजा जिले के जिन गांवो मे अदानी ने कोयला उत्खन्न शुरु किया है। वंहा कुछ वर्षो पहले घने वन थे। और इन वनो मे हाथी, भालू और तेंदुआ जैसे जंगली जानवर विचरण करते है।
परसा,केते और साल्ही जैसे गांवो के आस पास भरे भरे पेडो के कटे हुए ठूंठो के बीच कोयला खदान ये बताने के लिए काफी है । यंहा तब भी जंगल था या आज भी जंगल है। और इन जंगलो मे जंगली जानवर भी रहते है। इतना ही नही वन विभाग के प्रामाणित दस्तावेज भी यही कह रहे है। कि सरगुजा के वनांचल गांव केते और परसा मे हाथी और तेंदुआ जैसे जंगली जानवरो का विचरण क्षेत्र है । जबकि भालू जैसे जानवर के लिए इन गांवो का जंगल वर्षो से स्थाई निवास रहा है। लेकिन 2010-11 मे जंगली जानवरो और वनो से अच्छादित इन गांवो को राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के हवाले कर दिया गया। जिसमे अदानी कंपनी ने कोयला उत्खन्न शुरु कर दिया।
वन विभाग से जानकारी प्राप्त करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता दिनेश सोनी के मुताबिक वन प्राणियो वाली जानकारी छुपा कर परसा,केते और बासेन जैसे गांव मे कोल ब्लाक आबंटन करा लिया गया है। जिसकी शिकायत केन्द्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय मे करने के बाद वो इस मसले मे जनहित याचिका दायर करने की तैयारी मे है। इधर गांव वालो के मुताबिक उनके गांव मे अदानी द्वारा किए जा रहे कोल उत्खन्न के पहले ना केवल जंगली जानवरो की अच्छी खासी तादाद थी , बल्कि यंहा जो जडी बूटियां थी वो भी नष्ट हो गई है।
जानकारी के मुताबिक जंगली जानवर विचरण क्षेत्र मे उत्खन्न की अनुमति मिलना आसान नही होता है । और जनहित मे अगल किसी परिस्थतियो मे जंगली जानवर विचरण क्षेत्र मे किसी तरह की कोई खदान खोली गई है । तो फिर उन गांवो के लिए वाईल्ड लाईफ के नियमो के तहत वन्य प्राणियो के संरक्षण के दिशा मे काम किया जाना सबसे जरुरी होता है। जो इन जंगलो मे क्या पूरे सरगुजा मे नही दिख रहा है। फिलहला पूरे मामले मे उत्खन्न कर रही कंपनी की दंबगई और वन विभाग की संलिप्तता से इंकार नही किया जा सकता है। जिसके चलते वन्य प्राणियो के घरो मे खदान खोल दी गई है।
बाल साय , ग्रामीण , प्रभावित ग्राम
पहले हमारे गांव मे जंगली जानवर थे। अब सब भाग गए है। इसके साथ ही हम जंगलो की जडी बूटी के सहारे स्वस्थ रहते थे । लेकिन अदानी की खदान खुलने के बाद सब कुछ नष्ट हो गया है।
दिनेश सोनी, आरटीआई कार्यकर्ता
वन विभाग से मिले दस्तावेज मे परसा केते और आस पास के गांव के जंगलो मे जंगली जानवरो की विचरण क्षेत्र है। जिसमे किसी भी प्रकार की कोई भी माईनिंग की अनुमति मिलना संभव नही है । लेकिन इन तथ्यो को छुपाकर राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड औऱ अदानी ने इन गांवो के जंगलो को काट कर कोल उत्खन्न शुरु कर दिया है। जिसकी शिकायत केन्द्रीय वन और पर्यावरण विभाग को कर दी गई है। और आने वाले समय मे इस मुद्दे को लेकर जनहित याचिका दायर की जाएगी।