फ़टाफ़ट डेस्क…छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार अस्तित्व में आ गई है..और सरकार के अस्तित्व में आते ही कांग्रेस अपने चुनावी घोषणा पत्र में किये गए वायदों को पूरा करने की कवायद में है..लेकिन प्रदेश में भूपेश बघेल के नेतृत्व में बनी सरकार पर सूबे शराबबन्दी को लेकर किये गए वायदे को पूरा नही करने के आरोप लग रहे है..हालांकि इस मसले पर सरकार के आबकारी मंत्री की अपनी अलग ही दलील है..वही प्रदेश में शराब बिक्री से हो रही आमदनी आज किसी से छिपी नही है..शायद हो सकता है..की राजस्व का मोह सरकार को अपनी ओर आकर्षित कर गया हो..
दरअसल प्रदेश में शराब बंदी को लेकर प्रदेश के आबकारी मंत्री ने मीडिया में एक बार फिर ऐसा कुछ कह दिया है..जिसके बाद वे विवादों के घेरे में है..मंत्री लखमा ने कल कहा था कि ..शराबबन्दी की मांग हमेशा विपक्ष ही करता है..जबकि मुझसे मिलने वाले लोगो ने कभी शराबबन्दी की मांग नही की..शराब की बिक्री से जो भी आमदनी सरकार को हो रही है.. उसे विकास कार्यो में लगाया जाएगा!..
वही मंत्री जी के इस बयान के बाद इस बयान ने सियासी गलियारों में उछाल मारना शुरू कर दिया है..और अब वे एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर है..हालांकि मंत्री जी ने यह भी कहा था कि..सरकार ने शराबबन्दी को लेकर एक कमेटी बनाई है..लेकिन विपक्षी दलों ने इस कमेटी के लिए विधायक ही उपलब्ध नही कराए है..जिससे इस कमेटी का काम आगे नही बढ़ पा रहा है…
बता दे कि प्रदेश में शराबबन्दी को लेकर भाजपा शासनकाल से लेकर अबतक महिलाओं ने मुहिम छेड़ी हुई है..और आये दिन प्रदर्शन भी हो रहे है..लेकिन मंत्री जी को कौन बताए कि यहाँ विपक्ष नही बल्कि महिलाएं भी सड़को पर उतर आयी है..एक ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 35 फीसदी से अधिक लोग शराब का सेवन करते है..और शराब सेवन के मामले में छत्तीसगढ़ अव्वल है..जबकि दूसरे और तीसरे नम्बर पर त्रिपुरा और पंजाब है.. शराब से होने वाली कमाई के मामले में छत्तीसगढ़ अपने से 4 गुना बड़े महाराष्ट्र से दोगुनी कमाई कर रहा है!..