अचानक चुनाव पूर्व शुरू हुई सुगबुगाहट से लोग आश्चर्यचकित,
शासन ने कलेक्टर से मांगा अभिमत
कोरिया
(बैकुन्ठपुर से J.S.ग्रेवाल)
एक ओर केन्द्र की मोदी सरकार देश भर के विभिन्न शहरो को स्मार्ट सिटी बनाने की ओर अग्रसर है तो वहीं इसके उलट जिले की प्रमुख बैकुंठपुर व शिवपुर चरचा को ग्रामीणों का तथाकथित विरोध बताकर नगरपालिका से नगरपंचायत बनानें की चर्चा ने भी जोर पकड़ लिया है। अचानक चुनाव पूर्व शुरू हुई यह सुगबुगाहट को लेकर आम नागरिक से लेकर जनप्रतिनिधी भी आश्चर्यचकित हैं सभी का मानना है कि विकास के लिए क्षेत्र का विस्तार होना चाहिए लेकिन इसे नगरपंचायत बनाना किसी भी दृष्टि से उचित नही जान पडता है। बैकुन्ठपुर में विकास की उल्टी गंगा बहाने की कोशिश की जा रही है।
पांच वर्ष पूर्व बनी नगरपालिका
उल्लेखनीय है कि बैकुंठपुर व शिवपुर चरचा को पांच वर्ष पूर्व ही वर्ष 2010 में नगरपंचायत से बढाकर नगरपालिका का दर्जा दिया गया था। इसके लिए आवश्यक शर्तो को पूरा करनें तात्कालीन नगरपंचायत बैकुंठपुर में आसपास की पंचायतों क्रमशः केनापारा, जामपारा, ओड़गी, सागरपुर,चेर,तलवापारा और रामपुर ज को मिलाया गया था। जिसके बाद बैकुंठपुर को नगरपालिका का दर्जा प्राप्त हुआ था। इसी प्रकार नगरपंचायत शिवपुर चरचा में भी सरडी,खरवत,को शामिल कर नगरपालिका बनाया गया था। इस दौरान शिवपुर चरचा में थोड़ा बहुत विरोध भी देखने को मिला था लेकिन बैकुंठपुर नगरपालिका में शामिल ग्राम वासियों ने विरोध नही किया था। बल्कि उन्हे नगरपालिका में शामिल होनें के बाद काफी सुविधा मिलने लगी थी। लेकिन यदि इन गांवों को पुनः अलग कर दिया जाता है तो ग्रामीणों को एक बार फिर सुविधाओं से वंचित होना पड़ेगा।
वर्ष 2010 में नगरपालिका बनने के बाद बैकुंठपुर में करोड़ो रूपये के विकास कार्यो को अंजाम दिया गया। इसमें सबसे ज्यादा विकास कार्य तो इन्ही ग्रामीण क्षेत्रो में आज भी देखने को मिल रहा है। सड़क,पानी,बिजली आदि मूलभूत सुविधा मिलने से ग्रामीण जन भी काफी खुश थे। बैकुंठपुर नगरपालिका के द्वारा ग्रामीणों को एक फोन करनें पर सुविधा प्राप्त होनें लगी थी उन्हे इन पांच वर्षो में पानी,टैंकर,बिजली,सफाई,स्ट्रीट लाईट की सुविधा तो मिली ही इसके अलावा सबसे बड़ी सुविधा उन्हे दी गई जो कि शायद ही प्रदेश के किसी अन्य शहरों में मिलती हो। ग्रामीणों को नगरपालिका अध्यक्ष शैलेष शिवहरे की सोच के बाद परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाने के बाद एक फोन पर शवदाह हेतु निःशुल्क लकड़ी की व्यवस्था भी की गई थी इस सुविधा के बाद नागरिकों मे भी खुशी की लहर व्याप्त थी। लेकिन अब यदि उन्हे अलग कर दिया जाता है तो सारी सुविधाओं पर विराम लग जायेगा। जो कि किसी भी दृष्टि से न्यायसंगत नही लगता। इस बारे में समझदार ग्रामीण जन शासन की इस कार्यवाही का भी विरोध करने लगे हैं।
अचानक कहां से शुरू हो गया विरोध का स्वर
क्षेत्रीय नागरिकों सहित जनप्रतिनिधियों को भी आखिर समझ ही नही आ रहा है कि ऐन चुनाव के वक्त आखिर कहां से यह विरोध का स्वर शुरू हो गया । इससे कहीं न कहीं सत्तापक्ष को ही नुकसान उठाना पडे़गा। जानकारों का मानना है कि पूरे पांच वर्ष और जब ग्रामीण क्षेत्रों को शहर में शामिल किया जा रहा था उस दौरान भी कोई विरोध नही देखने को मिला लेकिन लेकिन आखिर चुनाव के ठीक पहले कैसे भीतर ही भीतर विरोध उठ गया। कुछ जानकार इसे भी एक षड़यंत्र करार दे रहे हैं। क्यांेकि पूरे पांच वर्ष में एक भी गांव के लोगो ने नगरपालिका में शामिल होने के विरोध में किसी भी मंच पर विरोध नही किया और न ही इस बारे में कभी जिला प्रशासन से पत्राचार किया था।
पार्टी में अलग-अलग राय
इस मसले पर सत्तापक्ष भाजपा में ही जनप्रतिनिधियों की अलग-अलग राय है,एक ओर क्षेत्रीय विधायक व प्रदेश के श्रम मंत्री भइयालाल राजवाड़े का कहना है कि इन गांवो में विकास कार्य एकदम नही हुआ उन्हे टैक्स भी देना पड़ रहा है। राजवाड़े ने इन्हे नगरपालिका से अलग करने स्वयं प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। जबकि इसके उलट नगरपालिका अध्यक्ष शैलेष शिवहरे व संबंधित वार्ड पार्षदों का भी कहना है कि नयी जुड़ी पंचायतों में काफी विकास कार्य हुए हैं। ग्रामीणो को मूलभूत सुविधा मुहैया करायी गयी है। पूरे पांच वर्ष किसी भी गांव के लोगो ने विरोध नही किया। अब अचानक ऐसी राजनीति से अध्यक्ष व पार्षद भी आश्चर्य चकित हैं।
शिवपुर चरचा में भी यही स्थिति
नगरपालिका परिषद बैकुंठपुर में जो स्थिति है ठीक उसी प्रकार की स्थिति शिवपुर चरचा में भी बनी हुई है। हलांकि शिवपुर चरचा में शामिल ग्रामीण जनों ने इस बात का विरोध तो किया था लेकिन समय के साथ-साथ वे भी शांत हो गये। शिवपुर चरचा में शामिल ग्रामीण क्षेत्रों में जमकर करोड़ो रूपये के विकास कार्यो को अंजाम दिया गया। ग्रामीण भी मूलभूत सुविधा उपलब्ध हो जाने के बाद काफी खुश थे।
शासन ने कलेक्टर से मांगा अभिमत
इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार श्रम मंत्री भइयालाल राजवाड़े द्वारा प्रदेश के मुख्य सचिव को लिखे गये पत्र के बाद शासन स्तर पर भी हड़कंप मचा हुआ है। इसके बाद नगरीय प्रशासन संचालक डाॅ.रोहित यादव ने कलेक्टर कोरिया को पत्र पे्रषित करते हुए छःबिंदुओं के आधार पर उनसे अभिमत मांगा है। जो बिंदु तय किये गये हैं उसके अनुसार दोनो निकायों में शामिल किये गए गांवों को अलग करने का औचित्य,क्या प्रत्येक गांव का पृथक वार्ड है,गंावो को अलग करनें पर क्या वार्डो के परिसीमन की जरूरत पड़ेगी,वर्तमान में कितने वार्ड है अलग करने के बाद कितने रह जाएंगे,गांवो को अलग करनें के बाद क्या वार्डो का क्रमांक बदलेगा व आगामी चुनाव पर इसका क्या असर होगा। इन बिंदुओ में कलेक्टर कोरिया से अभिमत मांगा गया है। अब ऐसे में जानकार लोग कलेक्टर कोरिया के अभिमत को ही प्रमुख मान रहे है।
शासन द्वारा दोनो निकायों को नगर पंचायत से नगरपालिका बनाने की चर्चा के बाद राजनैतिक दलो में भी हड़कंप मच गया है। इसके कारण दोनो स्थानों पर आगामी चुनावों के लिए तैयारी कर रहे नेताओं को भी जबरजस्त झटका लगा है। बैकुंठपुर को पुनःनगरपंचायत बना दिये जाने के बाद माना जा रहा है इससे सत्ताधारी दल भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा,क्योंकि बैकुंठपुर शहरी क्षेत्र में प्रारंभ से ही कांग्रेस का दबदबा रहा है। इससे कांग्रेस की राह एकदम आसान हो जायेगी। नपा में शामिल ग्रामीण क्षेत्रों में एक बड़ा वोट बैंक भाजपा का माना जाता रहा है जिसके बल पर भाजपा से टिकट की चाह रखने वाले नेताओं के चेहरे में खुशी भी थी लेकिन अब उनके मंसूबे पर पानी फिरता दिख रहा है। तो वहीं शिवपुर चरचा में ग्रामीण क्षेत्रों को अलग करने के बाद भाजपा को फायदा मिलने की उम्मीद है।
तो ऐसे में कैसे होगा जिला मुख्यालय का विकास
आज देश तेजी से विकास के रास्ते पर चल पड़ा हुआ है हर नागरिक शहरीकरण से जुड़ना चाहता है क्योंकि उसे सारी सुविधाएं मिलने लगती है। लेकिन शहर में शामिल हो चुके गांव के लोगो को पुनःअलग करने से उन्हे भविष्य में काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा जिसका शायद अभी ग्रामीणों को थोड़ा भी अंदेशा नही है। जिला मुख्यालय होने के बाद बैकुंठपुर के विकास की दिशा में यह गा्रमीणक्षेत्र अत्यंत महत्वपूर्ण थे क्योंकि इन्हे मिलाकर ही विकास के नये आयाम तय हो रहे थे लेकिन एकाएक इस घटनाक्रम से सभी को झटका लगा है। शहरवासी भी इसके विरोध में दिखलाई दे रहे हैं। शहर के एक प्रबुद्व वर्ग का कहना है कि भविष्य में बैकुंठपुर व शिवपुर चरचा को मिलाकर नगरनिगम बनाने की कोशिश की जाती लेकिन उल्टे नगरपंचायत बनाने की राजनीति एकदम उचित नही है। सभी ने इसकी निंदा भी की है।