- बी.एड़ कालेज में फींस निर्धारित नहीं
- एनएसयूआई ने सौंपा ज्ञापन
अम्बिकापुर
छ.ग. के बी.एड. काॅलेजों के समय एवं फीस निर्धारण के संबंध में एनएसयूआई ने सचिन जायसवाल के नेतृत्व में कलेक्टर के माध्यम से उच्च शिक्षाा मंत्री को ज्ञापन सौंपा है। सांैंपे ज्ञापन में एनएसयूआई ने कहा कि इस सत्र् सें बी.एड. काॅलेजों के कोर्स को एक वर्ष से बढ़ाकर दो वर्ष का कर दिया गया है। परन्तु ध्यान देने वाली बात यह है कि कोर्स कें संबंध में फीस क्यां ली जायंेगी । और वह छात्रों के उपर ज्यादा बोझ डालने वाली तो नहीं होगी । इस संबंध में अभी तक नहीं लिया गया है। अर्थात केवल समय की वृद्धि की गई है या समय के साथ छात्रों की लगने वाली फीस में भी बढ़ोत्तरी की गई है। इस दिशा में कोई सार्थक कदम नहीं उठाया गया है और ना ही इस संबंध में कोई निर्णय शासन के द्वारा लिया गया है। जिससे छात्रोे में आज तक संशय की स्थिति बरकरार है और छात्रों को लग रहा है कि शासन अचानक उनके उपर आर्थिक बोझ न डाल दें।
इस वर्ष भी छात्रों से अलग – अलग फीस ली जा रही है। सरगुजा में भी जो बी.एड़ काॅलेज चल रहे है उन सभी बी.एड़ कालेजों की फीस भी अलग – अलग है। और शासन के द्वारा इसके लिए किसी भी प्रकार का कोई मापदंड़ निर्धारित नहीं किया गया है। और यदि किया भी भी गया है तो काॅलेज अपने मनमाने ढंग से अपने काॅलेजों को चला रहे है। और मनमाना फींस छात्रो से वसूल कर रहे है। कई बी.एड़ काॅलेज तो ऐसे है जो अपने शासन के द्वारा निर्धारित मापदंडों पर भी खरें नहीं उतरते है और उन्हें शासन और विश्वविद्यालय से मान्यता प्रदान कर दी जाती है। और वे खुले आम अपना शिक्षा का बाजारीकरण करते हुए चला रहे है। एवं छात्रों का आर्थिक शोषण कर रहे है। एक ओर तो जहां शासन ने एक वर्ष के पाठ्य क्रम को दो वर्ष का कर दिया है। ताकि छात्रों को अच्छी शिक्षा मिल सके और वे बेहतर तरीके से बसे समझकर आगे एक अच्छे शिक्षक बनकर अपनी सेवाएं छत्तीसगढ़ के विद्यालयों में दें सके । परन्तु दूसरी ओर शासन के द्वारा आदिवासी बाहुल्य जिलों में आउटसोर्सिंग के माध्यम से शिक्षको की भर्ती करना कहां तक न्यायोंचित है इस संबंध में भी शासन को अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए । ताकि शासन की मंशा आम जनता के सामने भी आ सकें ।ज्ञापन सौंपने के दौरान सचिन जायसवाल , अमित पांण्डे , राकेश यादव , रविन्द्र जायसवाल , सतीश जायसवाल , धीरज पटवा उपस्थित थे