अंबिकापुर
मनीष सोनी (विशेष संवाददाता)
सरगुजा में बाल कुपोषण के निराकरण के लिए एक बहुआयामी पहल कि गयी है ,सरकारी आंकड़ो के मुताबिक राज्य के 47% बच्चे आज भी कुपोषित हैं ,स्व्तंत्र अध्ययनों के मुताबिक़ आदिवासी बाहुल्य इलाकों में कुपोषण का प्रतिशत और भी अधिक है। सरगुजा जिले में अन्य आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों कि तरह छोटे बच्चों में से बहुत अधिक बच्चे कमजोर हैं. इस प्रतिशत को देख कर ही कुछ नया और अलग करने का प्रयास किया छत्तीसगढ़ सरगुजा जिले के कलेक्टर आर.प्रसन्ना ने। आइये देखते हैं इस मॉडल को तैयार कैसे किया गया।
सरगुजा जिले के वर्त्तमान कलेक्ट्रर आर प्रसन्ना ने कुपोषण से मुक्ति दिलाने एक मॉडल तैयार किया मॉडल का नाम है “फुलवारी ” । इस फूलवारी का उद्देश्य काफी प्रभावशाली है.इस फुलवारी में 03 साल से छोटे बच्चों के परिवारॉ के साथ मिलकर ग्राम पंचायतो व् मितानिनो के माध्यम से 03 मुख्य प्रयास किये गए हैं।
01_स्थानीय माताओं के माध्यम से फुलवारी का संचालन।
02_कृषि व् बागवानी का विस्तार। बेहतर पद्धति और तकनीक के माध्यम से।
03_मनरेगा के तहत एकीकृत जलग्रहण विकास और प्रबंधन।
वर्ष 2012 के अप्रेल माह में इस योजना को सरगुजा के एक छोटे से पंचायत में शुरू किया गया फूलवारी में गर्भवती माताएं और छोटे बच्चे नियमित आयें इसके लिए कलेक्टर ने सबसे पहले खास तौर पे कुछ तरीका अपनाया _
01 _
जो भी माताएं काम पर जा रही होतीं हैं वह काम पर जाने से पहले अपने बच्चों को फुलवारी में छोड़ कर जाती हैं।
02_
फुलवारी जरूरत के हिसाब से प्रत्येक दिन 6 से 7 घंटे खुला रहेगा।
03_
फुलवारी में बच्चों को नियमित रूप से तीन बार खाना खिलाया जायेगा।
04_
फूलवारी के चयन में अधिक ग़रीब व् पीछड़े पारों (मोहल्ले)को प्राथमिकता दी जायेगी।
05_
चयनित पारों (मोहल्ले )में 5 से 20 बच्चे (06 माह से 03 वर्ष )के होंगे।
06_
फुलवारी में 03 साल से छोटे बच्चों के अलावा गर्भवती महिलाएं भी होंगी।
07_
भोजन के रूप में हर रोज दाल,चावल,हरी सब्जी,अण्डा दिया जायेगा ।
08_
फुलवारी में बच्चों के देखभाल के लिए सरकारी कार्यकर्त्ता नही बल्कि गावं कि गर्भवती माताएं- पिता और वृध्द लोग मिलकर बारी बारी से देखेंगे और खाना पकाने और खिलाने का काम करेंगे।
09_
बच्चो को यदि कोई बिमारी है तो फूलवारी से जुडी महिलाएं नितानिनो के माध्यम से जानकारी देंगी जिससे सही और उचित समय पर ही उपचार हो सकेगा।
ऐसे प्लान के बाद अगस्त 2012 में शुरू किया गया फुलवारी आज जिले के 295 फूलवारी के रूप में देखने को मिल रहा है। जिसमे 3749 बच्चे और 682 गर्भवती महिलाएँ पंजीकृत हैं।
फुलवारी कार्यक्रम में बजट के लिए क्लेक्टर ने जिला पंचायत को निर्देश दिया ताकि इन्हे किसी तरह का भी वित्तीय संकट न हो क्युकी एक फूलवारी में लगभग सभी तरह कि व्यवस्था भी है। फुलवारी के लिए कुछ नियम भी बनाये गए है।
01 _
6 माह से 3 वर्ष के बच्चे के लिए 6 रुपये प्रति बच्चे कि दर से खर्च।
02 _
गर्भवती व् सहयोगी के लिए 15 रुपये प्रति दिन की दर से खर्च।
03 _
बर्तन चटाई मछरदानी आदि के लिए 4 हजार रुपये तक खर्च किया जा सकता है
04 _
जिला पंचायतो से ग्राम पंचायतो को प्रथम किश्त 25 हजार रुपये प्रति फुलवारी राशि जारी की गई
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ग्राम पंचायतो से ग्राम स्वास्थय स्व्छता एव पोषण समिति को राशि जारी _एक किश्त 8 हजार रुपये प्रति फुलवारी दिया गया
06_
समिति द्वारा खर्च कर लेने पर उपयोगिता प्रमाण पत्र ग्राम पंचायत को देने से दूसरी किश्त जारी हो रही है। बच्चों और माताओं को पौष्टिक भोजन खिलाने से लगभग सभी फुलवारी में बच्चों कि सेहत बेहतर हुयी है और वजन में भी इजाफा हुआ है। जो कुपोषण कि बिमारी से जूझ रहे थे उनमे अब बेहतर परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
सुरुआत से एक साल बाद अब तक कुपोषण में लगातार कमी हासिल की जा रही है , साथ ही छोटे बच्चो की मृत्युदर में भी कमी हुई है.कलेक्टर आर प्रसन्ना ने भी फूलवारी से प्राप्त परिणामो को देखा और इन्हे लगता है कि कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़ होगा सरकार के सपना भी जल्द ही पूरा होगा।
वहीँ इस तरह से फुलवारी में बच्चो के कुपोषण में कमी के उत्साहजनक परिणाम को देखकर जिला पंचायत सी ई ओ का मानना है कि ये तो शुरुआत है पर अभी प्रयास जारी रखना है।
हालांकि यह स्कीम आज अगर जमीनी स्तर अगर सफल हुआ है तो कलेक्टर और अन्य सहयोगियों का योगदान महत्त्वपूर्ण रहा है ,इस योजना सञ्चालन शुरआत कठिन रहा है।
खास बात यह है कि यह योजना पिछले एक साल में इतना सफल हुआ है कि अब तक जिले में कुल 300 फुलवारी का सञ्चालन सफलता से किया जा रहा है
वहीँ 500 फुलवारी केन्द्रों के लिए राज्य बजट से राशि आबंटित कि गयी है
फुलवारी में बच्चों के कुपोषण कमी के उत्साह जनक परिणाम को देखकर छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने सरगुजा में संचालित फुलवारी केन्द्रो को प्रेरणास्त्रोत मान कर 85 जनजातीय बाहुल्य विकासखंडों में फुलवारी योजना राज्य सरकार द्वारा आरम्भ कि गयी है। इसी सफलता को देखने के बाद भारत सरकार ने भी इस योजना को पुरे देश में लागू करने का मन बनाया है जिसके लिए सरगुजा में टीम ने सर्वे कर सभी फुलवारी में जाकर कुपोषण में आयी गिरावट को देखा और समझा भी है।कलेक्टर के इस मॉडल कि सराहना छत्तीसगढ़ सरकार भी कर रही है।