- एसीबी नान डायरी के आधार पर मुख्यमंत्री के परिजनों पर मुकदमा दर्ज करें
- सतही आरोप पर एफआईआर हो सकती है नान डायरी, पनामा पेपर, नार्को टेस्ट के आधार पर क्यों नहीं?
- नान डायरी की सी.एम. मैडम पर ए.सी.बी. क्यों मेहरबान
- राजनैतिक रूप से प्रतिरोध नहीं कर पा रहे है बौखलाहट में घर की महिलाओं पर निशाना
रायपुर- प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल की मां और पत्नी के खिलाफ सतही और आधारहीन मामले में मुकदमा दर्ज किये जाने पर सवाल खड़ा करते हुये पूर्व मंत्री धनेश पाटिला, प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद पी.आर.खुंटे, पूर्व विधायक डाॅ. शिवकुमार डहरिया ने एक संयुक्त बयान में कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस की आक्रमकता से रमन सिंह और भारतीय जनता पार्टी घबरा गयी है। सरकार अपने भ्रष्टाचार के खिलाफ उठी आवाज को दबाने के लिये विपक्षी दल के अध्यक्ष के ऊपर व्यक्तिगत हमले कर रही है। राजनैतिक रूप से प्रतिरोध नहीं कर पा रहे है। तब बौखलाहट में घर की महिलाओं पर निशाना साधा गया है। ई.ओ.डब्ल्यू. की इस कार्यवाही से रमन सिंह का असहिष्णु और फासीवादी चरित्र सामने आया है।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि ई.ओ.डब्ल्यू. और ए.सी.बी. मुख्यमंत्री के हाथ की कठपुतली बन चुका है। ई.ओ.डब्ल्यू. द्वारा भूपेश बघेल के परिजनो के खिलाफ आधारहीन मामले में मुकदमा तो दर्ज कर लिया गया लेकिन इसी ए.सी.बी. ने नान घोटाले की डायरी में मुख्यमंत्री रमन सिंह की पत्नी और ऐश्वर्या रेसीडेंसी में रहने वाली उनकी रिश्तेदार के नाम आने के बाद भी उनके खिलाफ एफ.आई.आर. क्यों दर्ज नहीं किया? जबकि इसी नान डायरी को साक्ष्य मानकर एक दर्जन से अधिक लोगो के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज किया गया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के परिजनों ने सरकारी एजेंसी साडा से आवेदन लगाकर पूरी राशि जमा कर विधिवत जमीन का आबंटन प्राप्त किया है। नान घोटाले में तो मुख्यमंत्री के रिश्तेदारों ने गरीबों के हक के राशन में 36000 करोड़ का घपलेबाजी कर हर महिने वसूली किया है, फिर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया जा रहा है?
कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाया कि इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले के प्रमुख आरोपी को पुलिस द्वारा कराये गये नार्को टेस्ट में मुख्यमंत्री सहित आधे मंत्रीमंडल के सदस्यों के घूस लेने के पुख्ता प्रमाण आने के बाद भी कार्यवाही क्यों नहीं की गयी? मुख्यमंत्री के पते पर उनके पुत्र के लगभग हूबहू नाम ‘‘अभिषाक’’ के नाम से विदेशी बैंको में पैसा जमा करने का प्रमाण पनामा पेपर में आता है, मुख्यमंत्री और उनकी ए.सी.बी., ई.ओ.डब्ल्यू. चुप रहते है। कानून सबके लिये बराबर होता है जब तीन दशक पुराने मामले में तकनीकी आधार पर गड़बड़ी बता कर मुकदमा दर्ज किया जा सकता है तब नान डायरी, पनामा पेपर, नार्को टेस्ट जैसे पुख्ता प्रमाणों के आधार पर रमन सिंह, उनके पुत्र, पत्नी और मंत्रिमंडल सदस्यों के खिलाफ मुकदमें क्यों दर्ज नहीं किये जा रहे है?