सुकमा..(कृष्णमोहन कुमार)…देश के नक्शे में नक्सलगढ़ के रूप में विख्यात बस्तर में अधिकारी जाने से कतराते है..जिसमे खास कर पुलिस महकमे के नाम शुमार रहता है..मगर कभी -कभी पुलिस विभाग में भी कई ऐसे बिरले अधिकारी मिल जाते है..जो बड़ी ही मेहनत और लगन से बस्तर में नौकरी करने की इच्छा रखते है..लेकिन वे समयाभाव के चलते अपने आप को साबित नही कर पाते..और उन्हें बैक टू पवेलियन होना पड़ता है..
दरअसल नक्सलगढ़ सुकमा में तैनात पुलिस कप्तान आईपीएस जितेंद्र शुक्ला जिले से रवानगी लेते वक्त भाव विभोर हो उठे..उन्होंने शोसल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए..अपनी संवेदना जाहिर की..
उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा कि छत्तीसगढ़ कैडर के लिए नक्सलवाद और बस्तर अपनी महत्वपूर्ण जगह रखता है..यहाँ पे रह के इसके लिए काम करना अपने आप मे गौरान्वित महसूस करने जैसा होता है..और 28 मई 2016 से जब ये मौका मिला उस दिन से ले के 8 मार्च 2019 तक जितने दिन यहाँ रहे पूरे दिल से काम किया..अपने हर उस रोमांच ,साहस,डर ,भय सबको न सिर्फ जिया बल्कि बस्तर से जुड़े हर उस प्रचलित और सुने सुनाए मिथ को तोड़ा…
बता दे कि छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस जितेंद्र शुक्ला को इन दिनों प्रदेश सरकार ने सुकमा से स्थान्तरण करते हुए पुलिस मुख्यालय बुला लिया है…जितेंद्र शुक्ला बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले में पुलिस कप्तान की पारी सम्हाली थी..जिसके बाद सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद सरकार ने श्री शुक्ला को धुर नक्सल प्रभावित सुकमा स्थान्तरित किया था..और वे सुकमा में अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे थे..लेकिन 2 माह बाद ही उन्हें सुकमा से हटा ते हुए पुलिस मुख्यालय बुला लिया ..
वही सुकमा जिले से अपनी रवानगी के वक्त एसपी शुक्ला भाव विभोर हुए..इतना ही नही इस अप्रत्याशित स्थान्तरण के प्रति उनके विचार उनके शोसल मीडिया में की गई पोस्ट से स्पष्ट तौर पर बया हो रही है..