बेटी बचाओ बेटी पढाओ जैसे बेटियो की सुरक्षा के लिए बनाए तमाम नारे ,, को इस सभ्य समाज में कब जगह मिल पाएगी.. ये कहना इसलिए मुश्किल है… क्योकि अम्बिकापुर में फिर एक नवजात बिटिया को जन्मदाताओ नें झाडियो में फेंक दिया है… शहर से लगे क्रांतिप्रकाशपुर में मिली नवजात बिटिया स्वस्थ और सुरक्षित है.. जिसे स्थानिय लोगो नें बेहतर रखरखाव के लिए फिलहाल जिला अस्पताल में रखा है…
बेटी की बेहतरी के लिए केन्द्र और राज्य सरकार भले ही कितनी भी संजीदगी से जागरुकता अभियान क्यो ना चला ले ,,लेकिन कथित सभ्य समाज में बेटियो की सुरक्षा अब भी एक सवाल बना हुआ है.. दरअसल मौजूदा मामला अम्बिकापुर के क्रांतिप्रकाशपुर का है.. जंहा तीन दिन की नवजात बिटिया झाडियो में पडी मिली है… उपर वाले की दुआ से ये नवजात बिटिया की रोने की आवाज आज सुबह क्रांतिप्रकाशपुर के पंच बब्लू तिर्की नें सुनी । बब्लू नें मानवता के आधार पर इस बात की खबर अपने घर और गांव के महिला सदस्यो को दी,, कि गांव की झाडियो में एक नवजात बच्ची रोती हुई पडी है। जिसके शरीर में चीटिंया और कीडे मकोड रेंग रहे है। जिसके बाद घर की महिलाओ ने बच्ची को नहला धुला कर उसे दूध पिला कर झाडियो से उठाकर जिला अस्पताल पंहुचा दिया है ।
अम्बिकापुर से लगे क्रांतिप्रकाशपुर गांव की झाडियो में मिली सुरक्षित नवजात बिटिया को पंच के परिवार की महिलाओ नें नहलाधुला कर उसकी बेहतरी के लिए जिला अस्पताल पंहुचा दिया.. इस दौरान क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य राकेश गुप्ता नें भी मदद की.. इधर लावारिश हालात में मिली बच्ची के झाडियो में मिलने की सूचना पुलिस के साथ महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियो की भी दी गई..और महिला बाल विकास के बाल संरक्षण अधिकारी विक्रमांग सिंह अपनी टीम के साथ जिला अस्पताल पंहुचे। और नवजात बिटिया के स्वस्थ होने के बाद उसे बाल संरक्षण केन्द्र में रखने की बात कही ।
इस खबर को देखने के बाद देखने वाले लोगो को कलेजा भले ही पसीज जाए.. लेकिन उसको जन्मदेने वाले जन्मदाताओ का कलेजा कितना कठोर रहा होगा… ये गहन चिंतन का विषय हो सकता है। बहरहाल सवाल फिर वही है कि झाडियो में मिली तीन दिन की नवजात बिटिया की आखिर क्या गलती थी.. कि उसे उसकी अज्ञात मां नें चिंटियो और कीडे मकौडे के बीच छोड दिया ।