चंद्राबाबू नायडू के आगे पोलावरम का विरोध करना था : कांग्रेस

भाजपा सरकार अपने ही कसीदे पढ़ने में लगी रही: कांग्रेस

रायपुर 22 सितंबर 2014

आंध्र प्रदेष के मुख्यमंत्री चंद्राबाबू नायडू की छत्तीसगढ़ यात्रा के दौरान पोलावरम का मामला पुरजोर तरीके से न उठाये जाने पर खेद एवं गहरा दुख व्यक्त करते हुये कांग्रेस विधायक दल के नेता टी.एस. सिंहदेव ने कहा है कि भाजपा सरकार नये रायपुर के सूनेपन को दिखाकर झूठा श्रेय और अपनी तारीफ करवाने की मुहिम में जुटी रही और बस्तर के आदिवासियों के हितो से जुड़ी इस परियोजना के मामले को नहीं उठाया। छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती राज्य आंध्रप्रदेष में निर्माणाधीन पोलावरम बांध परियोजना से बस्तर संभाग के सुकमा जिले की करीब सात हजार हेक्टेयर राजस्व व वन भूमि बांध के बेकवाटर से डूब जायेगी, जबकि सबरी नदी के उफान से कोंटा बस्ती पूरी तरह जलमग्न होगी। उक्त बांध के डूबान क्षेत्र में कोंटा तहसील के जो ग्राम प्रभावित हो रहे हैं, उन्हीं ग्रामो में दोरला जनजाति के लोग निवासरत है। ऐसे में पूरी जनजाति के समाप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। सुकमा जिले के एक बड़े हिस्से को प्रभावित करने वाले इस प्रोजेक्ट के खतरे से निपटने के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है। पोलावरम प्रोजेक्टर के तहत बनने वाले बाध से छत्तीसगढ़ के 50 गांव डूबान में आ जायेंगे। छत्तीसगढ़ की एक नगर पंचायत और पांच ग्राम पंचायतें सहित 13 गांव पूरी तरह डूब में आ जायेगी। इसके अलावा वनभूमि का नुकसान अलग से होगा। राज्य सरकार द्वारा इस बांध से होने वाली क्षति एवं प्रभावितों के बेहतर पुनर्वास के संबंध में उदासीनता बरत रही है। भाजपा सरकार ने स्वयं स्वीकार किया है कि छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती राज्य आंध्रप्रदेष में निर्माणाधीन पोलावरम बहुउद्देषीय अंतर्राज्यीय बांध, परियोजना से बस्तर संभाग के सुकमा जिले की करीब 2272.464 हेक्टेयर राजस्व एवं 201.296 हेक्टेयर वन भूमि बांध के बैक वाटर से प्रभावित होने की संभावना है एवं शबरी नदी के उफान से कोंटा बस्ती के जलमग्न होने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। संभावित डूबान क्षेत्र घोर नक्सल प्रभावति होने के कारण  अब तक मैदानी सर्वेक्षण नहीं किया जा सका है। अतः विस्तृत मैदानी सर्वेक्षण उपरांत ही यह ज्ञात हो सकेगा कि किस जाति, जनजाति के कितने लोग परियोजना से प्रभावित हो रहे हैं एवं परियोजना के निर्माण उपरांत उन पर क्या प्रभाव पड़ेगा। सुकमा जिले के हिस्से को प्रभावित करने वाली इस परियोजना के खतरे को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा दिनांक 20.08.2011 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय में परियोजना के निर्माण पर रोक लगाने हेतु सिविल सूट दायर किया गया है, जो वर्तमान में प्रक्रियाधीन है। पोलावरम परियोजना के बनने वाले बांध से छत्तीसगढ़ के 50 ग्राम डुबान में नहीं आयेंगे, अपितु आंध्रप्रदेष शासन द्वारा वर्ष 2001 में प्रदाय किये गये टोपोषीट में डूबान क्षेत्र को चिन्हित करने पर सुकमा जिले की एक नगर पंचायत एवं पांच ग्राम पंचायतों के 18 ग्राम डूबान से प्रभावित होने का आंकलन किया गया है। डूबान से वन भूमि भी प्रभावित होगी। राज्य सरकार इस बांध से होने वाले क्षति एवं पुनर्वास के संबंध में उदासीनता बरत रही है। सरकार ने बताया था कि शासन द्वारा बारंबार केन्द्र सरकार एवं आंध्रप्रदेष शासन से निर्माण कार्य पर रोक लगाने हेतु अनुरोध किया जाता रहा है एवं इसी तारतम्य में माननीय सर्वोच्च न्यायालय में भी सिविल सूट दायर किया गया है।