ग्रामीण बैंक चोरी का एक और आरोपी गिरफ्तार.. पुलिस को बताई पूरी कहानी

साईबर सेल का महत्वपूर्ण योगदान

अंबिकापुर

अंबिकापुर ग्रामीण बैंक की लाकरो को काट कर की गई चोरी के मामले में एक और आरोपी संतोष गुप्ता को क्राइम ब्रांच और कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने घेरा बंदी कर रखी थी मुखबिर के मुताबिक संतोष गुप्ता अम्बिकापुर जेल में बंद अपने साथियो से मिलने पटना से अम्बिकापुर आने वाला था और जिसके बाद संतोष गुप्ता के हुलिए से मिलते जुलते आदमी को पुलिस तलाश रही थी और नए बस स्टैंड में पटना से आने वाली बस में संदेह के आधार पर पुलिस ने एक शख्स को गिरफ्तार किया और उसके कागजात की जांच करने पर पता चला की वही संतोष गुप्ता है, पकडे गए आरोपी से पूछताछ करने पर उसने बताया कि पहले भी वो अरूऩ शर्मा के साथ काम कर चुका है, उसके पास कई गाडिया थी और वो जेल भी जा चुका है, संतोष ने बताया की अरुण गाडी चोरी का काम करता था… पूछताछ के बाद गवाहो के समक्ष वाहन चेक करने पर कुछ चांदी और सोना के कुछ आभूषण और कटर भी मिला है, खुलासा आरोपी संतोष गुप्ता की निशानदेही पर हुआ चूंकि इसके खुलासे मे पता चला कि मुख्य आरोपी शशि रंजन उर्फ़ अरूण शर्मा था और पकडे गए पांचवे आरोपी संतोष समेत तीन आरोपियों को हिस्से मे डेढ डेढ़ लाख रूपए ही मिले थे, लाकर कटिंग करने वाले मजदूर को लाने वाले शशिरंजन उर्फ़ अरूण उनको जानते थे, इन सभी बातो का खुलासा पकडे गए आरोपी ने पुलिस के समक्ष किया है। गौरतलब है की आरोपी को पकड़ने में साइबर सेल की विशेष भूमिका रही है जिसने समय समय पर आरोपी के मोबाइल की लोकेशन अपनी टीम को दी है। इस कार्यवाही के लिए सरगुजा आईजी हिमांशु गुप्ता व एस पी आर एस नायक के आदेशानुसार ए.एस.पी व सी एस पी अम्बिकापुर के निर्देशन पर कोतवाली पुलिस व क्राइम ब्रांच की टीम के कोतवाली थाना प्रभारी प्रशिक्षु डी.एसपी मणिशंकर चंद्रा, धर्मनारायण तिवारी, अलांगो दास, अजीत मिश्रा, समरेन्द्र सिंह, राजेश प्रताप सिंह, अमृत सिंह, अरविन्द उपाध्याय सक्रीय रहे वही क्राइम ब्रांच के प्रभारी भूपेस सिंह, राम अवध सिंह, धीरज गुप्ता, भोजराज पासवान, उपेन्द्र सिंह, ब्रिजेश राय, दशरथ राजवाड़े, अमित विश्वकर्मा, जितेश साहू, अंशुल शर्मा, वीरेन्द्र पैकरा ने पूरी कार्यवाही में अपना योगदान दिया।

नई बात का खुलासा

पकडे गए आरोपी संतोष गुप्ता ने बताया की चोरी किये गए सामान में साढे आठ सौ ग्राम सोना और डेढ किलो चांदी थी जिसका तौल शशिरंजन के घर के बगल की दूकान में फुलवाडी पटना मे किया गया, संतोष ने यह भी बताया की वाहन की बीच वाली सीट के नीचे चेंबर बनवाया गया था, और उसे में चोरी का माल छिपा कर रखा गया था। पकडे गए पांचो आरोपी में से शशिरंजन सिंह ने चांदी के सामान से अपने लिए पूजा पाठ के बर्तन बनवा लिए थे और सोने को बेचने के बाद तीन आरोपियों को डेढ़ डेढ़ लाख रुपये बाँट दिए थे.. हालाकी इस मामले में पुलिस अब तक फरार चल रहे आरोपी अरुण गुप्ता को ही मुख्य आरोपी मान रही थी लेकिन अरुण गुप्ता के पकडे जाने के बाद यह मामला उलटा हो चूका है मुख्य आरोपी संतोष नहीं बल्कि शशिरंजन उर्फ़ अरुण ही था जो पहले भी कई बार जेल जा चुका और उसकी इस अपराधिक गतिविधियों में उसकी सो पत्निया भी शामिल रहती है..चोरी के आभूषण साढे दस लाख में बेचने के बाद शशिरंजन ने पहले तो डेढ़ लाख रुपये चोरी के काम में लगी गाडी का किराया काट लिया और बाकी के पैसो से तीन आरोपियों को डेढ़ डेढ़ लाख रुपये बांटे थे।

सुप्रीम कोर्ट से वकील पहुचे अम्बिकापुर

वही इस मामले के आरोपियों के पक्ष के लिए सुप्रीम कोर्ट से वकील मनोरंजन झा अम्बिकापुर एक पहुच चुके है और उन्होंने सबसे पहले गाडी को छुडवाने के लिए न्यायालय में आवेदन किया है।

एस पी ने की थी पांच हजार इनाम की घोषणा

सरगुजा पुलिस के लिए चुनौती बन चुकी इस चोरी के आरोपी को पकडने वाले  के लिए सरगुजा एस पी की ओर से पांच हजार का इनाम घोषित किया गया था, और अब इस सफलता के बाद इस कामयाबी को हासिल करने वाले पुलिस कर्मी को यह इनाम मिल सकेगा।

छोटी सी गलती से पकडे गए आरोपी

कोतवाली थाना प्रभारी एवं प्रशिक्षु डीएसपी मणिशंकर चंद्रा के मुताबिक़ दिसंबर के तीन दिनो तक लगातार रात  मे हुई इस चोरी के वारदात के दौरान आरोपियो ने की एक छोटी सी चूक के कारण आज पुलिस पांच आरोपियो तक पंहुच सकी है। श्री चंद्रा के मुताबिक मामले के पटना निवासी आरोपी शशिरंजन उर्फ अरुण मिश्रा अपने तीन साथियो के साथ विश्रामपुर के एक होटल मे रुका हुआ था। जिसने एक लोकल नंबर का सिम लिया था , लेकिन वो उस नंबर को तीन दिनो तक केवल अम्बिकापुर आकर ही चालू करता था फिर वो नंबर रात भर महामाया चौक के पास के लोकेशन बताता था और वो मोबाईल रात भर एक दो नंबर से कनेक्ट रहता था, लेकिन गलती से वो नंबर एक दिन विश्रामपुर मे चालू हो गया और पुलिस ने आस पास के होटलो मे छानबीन की तो एक होटल मे बतौर पहचान पत्र आरोपी शशिरंजन ने अपना आधार कार्ड दे दिया था और वहां अपना बिहार वाला मोबाईल नंबर इंट्री कराया था, लेकिन साईबर सेल की जांच के दौरान पता चला कि बिना पहचान के लिए गया स्थानिय नंबर से आऱोपी के बिहार वाले मोबाईल नंबर मे एक बार बात हुई थी। बस क्या था पुलिस ने उसके उस नए नंबर के आधार पर आरोपी की पहचान कर ली और परत दर परत मामले का खुसाला हो गया।

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