रायपुर, 05 जनवरी 2014
राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में संचालित खतरनाक श्रेणी के उद्योगों में श्रमिकों की नियुक्ति से पहले उनका समुचित स्वास्थ्य परीक्षण करवाने का निर्णय लिया है। ऐसा उनके स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल और उनकी सुरक्षा की दृष्टि से किया जा रहा है। श्रम विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री विवेक ढांड ने यहां नया रायपुर स्थित मंत्रालय (महानदी भवन) से औद्योगिक स्वास्थ्य सुरक्षा इकाई के उप संचालकों और सहायक संचालकों को जारी पत्र में इसके लिए आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। अपर मुख्य सचिव ने पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ कारखाना नियम 1962 के तहत सभी संबंधित कारखानों के मालिकों और प्रबंधकों को अपने उद्योगों में श्रमिकों के नियोजन से पहले उनकी सामान्य मेडिकल जांच तथा एक्स-रे, आडियोमेट्री और फेफड़ों के संक्रमण की जांच करवाना होगा। इसके अलावा उनके रक्त और पेशाब की भी जांच करायी जानी चाहिए। उनके स्वास्थ्य के स्तर का रिकार्ड तैयार करने के बाद शारीरिक उपयुक्तता के आधार पर ही उन्हें कार्य में नियोजित किया जाना चाहिए। श्रमिकों की नियुक्ति अथवा उनके नियोजन के बाद भी समय-समय पर नियमानुसार एक निश्चित अंतराल में व्यवसाय जनित बीमारियों से उन्हें बचाने के लिए उनकी मेडिकल जांच अनिवार्य रूप से हो। अपर मुख्य सचिव ने पत्र में लिखा है कि राज्य में कारखाना अधिनियम 1948 के प्रावधानों के तहत ऐसे सभी कारखानों में श्रमिकों के स्वास्थ्य की लगातार निगरानी जरूरी है, जो खतरनाक प्रक्रिया वाले अथवा जोखिम वाले उद्योगों की श्रेणी में आते हैं। ऐसे कारखानों में कामगारों को व्यवसाय जनित बीमारियों की आशंका रहती है। इसे ध्यान में रखकर खतराक श्रेणी के कारखानों में कामगारों के स्वास्थ्य और सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। अपर मुख्य सचिव ने औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के उप संचालकों और सहायक संचालकों से कहा है कि स्वास्थ्य जांच के आधार पर श्रमिकों में संभावित व्यवसाय जनित बीमारियों के प्रभाव का पता लगाकर कारखाना अधिनियम 1948 के तहत मुख्य कारखाना निरीक्षक को भी सूचित किया जाए।