सरगुजा
बतौली से निलय
मार्केट व आसपास के ग्रामीण इलाकों में बाल मजदूरों की संख्या बढ़ती जा रही है। होटल सहित ईंट भट्ठों व अन्य प्रतिष्ठानों में बाल मजदूर कार्य करते नजर आ रहे हैं। 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शासन के द्वारा शिक्षा का अधिकार अनिवार्य दिया है,संविधान के अनुसार शिक्षा का अधिकार मौलिक अधिकार है, पर बतौली क्षेत्र में इन दिनों होटल सहित अन्य प्रतिष्ठानों व नगर के चौक चौराहे व गलियों में कचरे से प्लास्टिक के खाली बोतलों को बीनते व अन्य प्रतिष्ठानों में बाल मजदूरी का कार्य करते नाबालिक बच्चे नजर आ रहे हैं। छोटे छोटे बच्चों को चंद्र रुपए का लालच देकर होटलों व अन्य प्रतिष्ठानों में झाड़ू-पोछा,झूठे बर्तन धोने जैसे काम कराया जाता है, जिससे अधिकांश बच्चे स्कूल की पढाई छोड़ होटलों व अन्य स्थानों पर कार्य करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
क्षेत्र में जारी होटलों में तो बड़े बड़े अक्षरों में लिख दिया जाता है कि, हमारे यहां कोई भी बाल मजदूर कार्यरत नहीं है पर उस लिखावट के ठीक पीछे आए दिन क्षेत्र के होटलों व अन्य प्रतिष्ठानों में बाल मजदूर मजदूरी का काम करते नजर आते हैं। इन बाल मजदूरों की सूद ना तो किसी श्रम विभाग के अधिकारी ने ली। ना ही कोई अन्य जिम्मेदार अधिकारियों ने। लिहाजा आए दिन क्षेत्र में बाल मजदूरों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है, और शानदार कुर्सी में बैठे अधिकारी सिर्फ दिखावा करते हुए नजर आते हैं कि क्षेत्र में पूर्ण रुप से बाल मजदूरी पर विराम लगा हुआ है।