बैकुण्ठपुर
छत्तीसगढ के आदिवासी बहुल कोरिया जिले में जिला प्रषासन द्वारा छः माह से तीन आयु समूह के कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने का ठोस एवं कारगर कदम उठाया गया है। जिले के कुपोषित बच्चों को महिला एवं बाल विकास विभाग के आंगनबाडी कार्यकर्ताओ, पर्यवेक्षकों, परियोजना अधिकारियों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा चिन्हांिकत किया जा रहा है। चिन्हाकिंत बच्चों के लिए मनेन्द्रगढ, बैकुण्ठपुर और जनकपुर में स्थायी रूप से संचालित पोषण पुर्नवास केन्द्रो को और अधिक सार्थक एंव कारगर बनाया गया है। इसके अलावा जिले के कोटाडोल, बिहारपुर, खडगंवा एवं चिरमिरी में नये पोषण पुर्नवास केन्द्र प्रारंभ किया गया है। इन सभी पुर्नवास केन्द्रो में चिन्हाकिंत कुपोषित बच्चों और उनके अभिभावकों को लाने ले जाने के लिए बस की व्यवस्था की गई है। इन केन्द्रो में कुपोषित बच्चों को नियमित पौष्टिकता युक्त आहार, उनका नियमित वजन और उनका स्वास्थ्य जॉच किया जा रहा है। कुपोषित बच्चों को गरम कपडें, जूता, टोपी, विभिन्न प्रकार के खिलौने, दैनिक उपयोग की वस्तुए जैसे टूथ ब्रष, मंजन, साबुन, तेल, टेलकॉम पाउण्डर आदि भी उपलब्ध कराया जा रहा है। इन पोषण पुर्नवास केन्द्रों में बच्चों को सुपाच्य और स्वादिष्ट भोजन चयनित स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा दी जा रही है। इसके लिए स्व.सहायता समूह की महिलाओं को विषेष रूप से प्रषिक्षित किया गया है। इसके अलावा पोषण पुर्नवास केन्द्र में कुपोषित बच्चों के साथ आये अभिभावकों को भोजन, उनके ठहरने की व्यवस्था तथा उन्हें प्रतिदिन एक सौ रूपए की मान से राषि दी जा रही है। इन सभी पोषण पुर्नवास केन्द्र में कुपोषित बच्चों को 15 दिन रखकर सुपोषित कर उन्हें उनके निवास स्थान छोडा जा रहा है। इसी तरह अगले 15 दिन के लिए चिन्हाकिंत कुपोषित बच्चों को पोषण पुर्नवास केन्द्र लाकर उन्हें उसी क्रम से सुपोषित किया जा रहा है। जिले के सभी पोषण पुर्नवास केन्द्र के आंतरिक कमरों की एक ही रंग में पुताई किया गया है। जो कुपोषित बच्चों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।