@krishnmohan
बलरामपुर पहले कभी एनएच पर बसे कस्बाई क्षेत्र बलरामपुर में नजारे ऐसे नही थे ,जैसे आज दिख रहे है,लगभग 2 किलोमीटर लंबी गौरव पथ,और उस गौरव पथ पर रौशनी से सराबोर स्ट्रीट लाइटें, यह दर्शाती है,की सरगुजा से पृथक कर बनाया गया बलरामपुर -रामानुजगंज जिले का मुख्यालय पहले की अपेक्षा अब कितना विकास कर गया है,और यह विकास की रफ्तार अब भी गतिमान है।
ग्राम पंचायत से नगर पालिका तक का सफर….
दरसल पहले कभी लाल आतंक के साये से जूझते बलरामपुर ग्राम पंचायत में छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद तत्कालीन अजित जोगी सरकार ने पुलिस जिला बनाया ,और भौतिक सुख संसाधनों की कमियों को दूर करने की कवायद हो चली थी,तथा देखते ही देखते बलरामपुर को नगर पंचायत का दर्जा मिला,जिसके बाद रमन सरकार ने जिले में लाल साये के खात्मे के बाद वर्ष 2012 में सरगुजा से विभाजित कर बलरामपुर को राजस्व जिले का दर्जा दिया,जिले में कलेक्टोरेट समेत तमाम सरकारी कार्यलयों का संचालन शुरू किया गया,और सरकार की महती योजनाओ की गंगा अविरल धाराओं में बहने लगी,आज उन्ही सरकारी योजनाओं का परिणाम है,की जिला मुख्यालय अब कस्बे नुमे बसाहट से एक विकसित मुख्यालय में तब्दील हो रहा है।
एलेक्स ने छेड़ी थी,मुहिम…
तमाम विवादित परिस्थितियों से गुजर कर जिले के तत्कालीन कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन ने एनएच 343 पर 10 करोड़ की लागत से गौरवपथ का निर्माण कार्य शुरू कराया,गौरवपथ निर्माण में गुणवत्ता को लेकर भी शहर के चौक चौराहों पर चर्चाएं आम से खास भी हुई,और इन सब से परे प्रशासन ने अपना काम किया,गौरवपथ बनकर तैयार भी हो गया है,लिहाजा गौरवपथ के अंधेरे को चीरने स्ट्रीट लाइटों की दरकार थी,और अब वह भी पूरी हो गई।
कलेक्टर की सोंच का नतीजा…
जिले के तीसरे कलेक्टर अवनीश कुमार शरण की सोच से आज हर शाम गौरवपथ दूधिया रौशनी से चमक उठता है,और अब नगरवासी भी बड़ी शहरों वाली चमक- धमक बलरामपुर मे महसूस कर रहे है।