अम्बिकापुर (दीपक सराठे की रिपोर्ट)
किसी भी संदिग्ध मौत के मामले में पुलिस की विवेचना उसके पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे बढ़ती है परन्तु जब महीनों पोस्टमार्टम रिपोट ना मिले तो ना सिर्फ पुलिस बल्कि मृतक के परिजनों को भी परेशानी उठानी पड़ती है। रिपोर्ट के नहीं मिलने पर पुलिस की विवेचना मझधार में आकर रूक जाती है। कुछ इसी प्रकार के हालात से इन दिनों जिला अस्पताल स्थित पुलिस सहायता केन्द्र जूझ रहा है। यहां लगभग 19 मृतकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट 13 मार्च से अभी तक नहीं मिल सकी है। इनमें जहां एक मामला सर्प दंश का है तो पांच जहर सेवन , 10 दुर्घटना में मौत व 1 आग से झुलसने से मौत का है।
इतने लोगों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट चिकित्सकोें द्वारा समय पर उपलब्ध नहीं करा पाने से पुलिस की आगे की विवेचना रूक गई है। यह हालात सिर्फ जिला अस्पताल स्थित पुलिस सहायता केन्द्र के ही नहीं है , बल्कि चिकित्सकों के द्वारा पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने में लेट लतीफी का शिकार कोतवाली , मणिपुर चौकी व गांधीनगर थाना भी है। इन थानों में भी कई मामलें की विवेचना पोस्टमार्टम रिपोर्ट के नहीं मिलने से रूकी पड़ी है। रोजाना कई थानों से पुलिस कर्मी सिर्फ पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने जिला अस्पताल पंहुचते है। परन्तु उन्हें निराश होकर वापस लौटना पड़ता है। यहीं नहीं कई मामलों में तों एमएलसी कराने पुलिस को चिकित्सकों के आगे पीछे भटकना पड़ता है। समय पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीे मिलने से जहां पुलिस की विवेचना में भी लेट लतीफी के कारण मृतक के परिजनों को भी पेरशानी उठानी पड़ती है। वहीं परिजनोें को भी बार – बार पुलिस के चक्कर लगाने पड़ते है। चिकित्सको के द्वारा पीएम रिपोर्ट देने में आनाकानी किये जाने की लिखित शिकायत आज जिला अस्पताल पुलिस सहायता केन्द्र ने सिविल सर्जन से की है। पुलिस के द्वारा इसका एक प्रतिवेदन कलेक्टर को भी सौंपा जायेगा ।