कोरिया से J.S.ग्रेेवाल की रिपोर्ट
जात पात की गांठ में बंधे समाज मे छूत अछूत की हकीकत सतह पर बिखरी पडी है…… जिसकी कई कहानियां सुनी और देखी गई है… लेकिन ऐसे में अगर संसार निर्माता के साथ इंसान की रचना करने वाले ईश्वर के मंदिर को अछूत मान लिया…. तो सहज ही विश्वास नही होता है….. लेकिन चिरमिरी के साजा पहाड़ के ग्रामीणो ने भगवान के मंदिर को ही अछूत मान लिया है और ग्रामीणो नें मंदिर में पूजा अर्चना करना भी बंद कर दिया है।
छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के चिरमिरी नगर निगम के एक नम्बर वार्ड में स्थित साजापाहाड़ में वर्षो पुरानी एक भगवान शिव का मंदिर है इस मंदिर को यंहा के ग्रामीणो द्वारा अछूत मान लिया गया है.. और पुजा पाठ करना बंद कर दिया गया है.. ऐसा नही है की इस मंदिर में पूजा अर्चना नही होती थी… वर्षो पहले इस मंदिर में ग्रामीणो द्वारा विधी विधान से रोजाना भोले नाथ के शिव लिंग की पूजा अर्चना होती थी.. सावन के महीने में भी श्रद्वा ग्रामीणो द्वारा इस मंदिर में शंकर भगवान पूजे जाते थे… लेकिन वर्षो पहले ग्रामीणो ने इस मंदिर में एक युवक और युवती को गलत काम करते देख लिया था… तब से ग्रामीणो ने इस शिव मंदिर को ही अछूत मान लिया।
सुनने में ये भले अटपटा लगे लेकिन संसार रचने वाले भगवान के मंदिर को ग्रामीणो ने अछुत मान लिया है.. आज भी इस मंदिर में ग्रामीण पूजा नही करते है। मंदिर के सामने से गुजर जाते है लेकिल मंदिर की ओर ताकते तक नही है बस मुंह फेर कर वंहा से गुजर जाते है। ग्रामीण अपने काम से या गाय बैल चढ़ाने मंदिर के आस पास जाते जरूर है लेकिन मंदिर में नही जाते है, जिन ग्रामीणो को ये नही मालूम है की आखिर इस मंदिर को क्यो अछूत मान लिया गया है वो सिर्फ अपने बुर्जुगो से सुन कर ही इससे अछूत मान लेते है।
आज तक हमने इस समाज में ये देखते और सुनते आये है की इंसानो में ही छुत अछुत की बात कही और की जाती है भेद भाव की बात इंसानो के द्वारा इंसान के लिये ही बनाया गया था लेकिन कभी भी ये सुनने को नही मिलता था की जिसे भगवान ने बनाया है वही इंसान भगवान के मंदिर को ही छुआ छुत के नजर से देखने लगेगा।
ऐसा नही है की इस मंदिर में दुबारा पुजा अर्चना नही किया जा सकता है यहां के लोगो में जो भ्रम है की मंदिर अछुत हो गया है इस भम्र को दूर करने के लिए मंदिर की षुद्वधी करण कर मंदिर में पुजा पाठ षुरू किया जा सकता है लेकिन आज तक ऐसा नही किया गया है, लगभग 25 -30 वर्ष पहले युवक और युवती द्वारा इस मंदिर में गा्रमीणो द्वारा गलत काम करते देखा गया था और ग्रामीणो के कहे अनुसार दोनो ने जब ग्रामीणो को देख वहा से भाग गये उसके बाद कभी फिर उन दोनो को इस क्षेत्र में नही देखा गया लेकिन इंसान की गलती की सजा यहा के ग्रामीण भगवान के इस मंदिर को दे डाली और आज लगभग 25 सालो से इस मंदिर में पुजा करना यहा के लोगो द्वारा बंद कर दिया गया है।
आज इस मंदिर की स्थिती ok नही है मंदिर के दिवारो में जगह जगह दरार पड़ गई है, मंदिर में रखे शिव लिंग और कुछ पत्थर की मूर्तीया बिखरे पड़े है, मंदिर का ये हाल ग्रामीणो जानते है लेकिन कोई भी मंदिर नही जाता जिस कारण धिरे धिरे मंदिर खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। लेकिन ग्रामीणो को इससे कोई फर्क नही पड़ता इनके लिए तो अब ये अछुत ही है ।