अम्बिकापुर
ट्रेन यूनियन कौंसिल छत्तीसगढ़ द्वारा सरगुजा में श्रमिक सम्मेलन का 36 वां तथा श्रम श्री अलंकरण समारोह आगामी 1 मई को आयोजित किया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के अवसर पर माता राजमोहिनी भवन के खुले प्रांगण में श्रमिक महासम्मेलन का आयोजन किया जायेगा। इस अवसर पर 11 श्रमिकों को श्रम श्री के सम्मान से सम्मानित किया जायेगा। प्रेसवार्ता के दौरान प्रांताध्यक्ष जेपी श्रीवास्तव ने बताया कि ट्रेन यूनियन कौंसिल छत्तीसगढ़ ने जनहित में कुछ प्रयास किये हैं। कौंसिल ने विगत अस्सी के दशक में जब अम्बिकापुर रेल से नहीं जुड़ा था। तब अम्बिकापुर को रेल से जोडने के लिये कौंसिल का कई महीने तक आंदोलन चला। कौंसिल का नारा था रेल दो या दो जेल दो। कौंसिल के द्वारा विगत 36 वर्षों से श्रमिक सम्मेलन तथा विगत 21 वर्षों से श्रम श्री अंलकरण समारोह का आयोजन सतत रूप से किया जा रहा है। विभिन्न जिलों में यह आयोजन हेाता है। वनकर्मचारियों, पटवारियों, शिक्षको, शिक्षाकर्मियों, स्वास्थ्य विभाग, विद्युत, आंगनबाड़ी, मितानिन, बैंको, निगमों, मंडलों एवं सहकारी संस्थाओं के कर्मचारियों के आंदोलनों में कौंसिल ने सक्रिय भागीदारी दी है। ग्रामीण क्षेत्रों में कौंसिल के द्वारा नशामुक्ति कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसमें अनेक लोगों ने कौंसिल की प्रेरणा से नशामुक्ति का संकल्प लिया है। ग्रामीण क्षेत्र में खेतों की मेड़ो पर वृक्ष लगाने का कार्य कौंसिल कर रही है। कानूनी सहायता हेतु ग्रामीण एंव नगरीय क्षेत्रों में विधिक शिविरों का आयोजन किया जाता रहा है।
कौंसिल के द्वारा लाखों की संख्या में पुराने वस्त्र एकत्रित किये गये और जरूरतमंद लोगों को वितरित किये गये। असंगठित क्षेत्र के अनेको श्रमिकों का कौंसिल द्वारा बीमा कराया गया। असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को पंजीयन के लिये शिविर लगाये गये हैं। अम्बिकापुर रेल्वे स्टेशन में आटो स्टैण्ड की व्यवस्था करवाई गई। जरूरतमंद श्रमिकों को इलाज, दवाईयों तथा बच्चों की शिक्षा हेतु आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई गई। बढ़ी हुई दरों का चैक-चैराहों पर डिस्प्ले कराया गया है। रेजा-कुली की श्रमिक दरें व्यवहारिक जीवन में बराबर करने की पहल की गई। अनेक जगह श्रमिकों की मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया था। मजदूरी लंबित थी। कौंसिल ने पहल कर मजदूरी का भुगतान करवाया।
कौंसिल की प्रमुख मांगे हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर आगामी 1 मई को सार्वजनिक अवकाश घोषित हो। सभी श्रमिकों को चिन्हित करने तथा उनके पंजीयन करने का पूर्ण दायित्व शासन प्रशासन का हो। पंजीकरण न होने की स्थिति में उत्तरदायी व्यक्ति पर कार्यवाही की जाये। असंगठित क्षेत्र के समस्त श्रमिकों का मेडिकल तथा जीवन बीमा अनिवार्य रूप से शासन के द्वारा करवाया जाने तथा उन्हें 60 वर्ष की आयु के बाद पेंशन का भुगतान किया जाये। सभी केंद्रीय, प्रांतीय, निगम, मंडल बैंक तथा सहकारी संस्थाओं के कर्मचारियों, अधिकारियों को पूर्व की भांति पेंशन योजना लागू की जाये, जिस तरह सांसदों, विधायकों को पेंशन मिलती है। समस्त संविदा, दैनिक वेतन भोगी, शिक्षक पंचायत, स्वास्थ्य कर्मियों को शासन का नियमित कर्मचारी घोषित किया जाये तथा नियमित कर्मचारियों की भांति वेतन प्राप्त हो। समस्त स्व-सहायता समूहों को रोजगार की गारंटी दी जाये तथा सभी समूहों को आर्थिक स्त्रोत तथा रोजगार उपलब्ध कराये जाने की योजना बनाई जाये। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, मितानिन एवं प्रेरकों, शासकीय कर्मचारी घोषित किया जाये तथा उन्हें नियमित कर्मचारियों की तरह वेतनमान दिया जाये।