वैसे तो भगवान शिव को आदिदेव कहा जाता है, पर शास्त्रों में इनके माता-पिता का भी जिक्र है। जी हां, आपको यह जानकर हैरानी हो रही होगी। ऐसा होना स्वाभाविक भी है क्योंकि शिव शक्ति पुंज के रूप में युगों युगों से इस सृष्टि के आदि से ही विद्यमान हैं। शिव को निराकार भी कहा जाता है और जन्म तथा मृत्यु के बंधन से अलग भी माना जाता है, इसलिए हैरानी होनी स्वाभाविक है ही। मोटे रूप में देखा जाएं तो जिसने जन्म लिया है, उसको यह शरीर छोड़ना ही पड़ता है, चाहें वह राम हो या कृष्ण, पर जहां तक बात भगवान शिव की है तो यह नियम उन पर लागू नहीं होता, लेकिन भगवान शिव के शिव महापुराण में ही एक कथा मिलती है, जिसमें भगवान शिव के जन्म और उनके पिता के बारे में जिक्र मिलता है। आइए अब आपको बताते हैं इस कथा के बारे में।
शिव महापुराण के देवी खंड में एक कथा आती है जिससे यह पता लगता है कि भगवान शिव के पिता कौन है। इस कथा के अनुसार एक बार नारद जी ने ब्रह्मा जी से पूछा कि आप तीनों (ब्रह्मा, विष्णु, शिव) के पिता आखिर कौन हैं। इस प्रश्न पर भगवान ब्रह्मा जी ने कहा कि महामाया दुर्गा तथा ब्रह्म के योग से हम तीनों की उत्पत्ति हुई है। अतः वह काल ब्रह्म ही हम तीनों के पिता हैं तथा महामाया दुर्गा माता हैं। इसी खंड में एक कथा यह भी मिलती है कि एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी की आपस में लड़ाई इस बात पर हो गई कि उनमें एक दूसरे का पिता कौन है। ब्रह्मा जी कहते कि पिता मैं हूं और विष्णु जी कहते की आप मेरी नाभि से प्रकट हुए हो, इसलिए मैं ही आपका पिता हूं। इसके बाद में इन दोनों के मध्य “काल ब्रह्म” ने प्रकट होकर कहा कि आपमें से कोई किसी का पिता नहीं है, बल्कि आप तीनों ही मेरे अंश हो। इस प्रकार से शिव महापुराण की इस कथा से यह स्पष्ट हो जाता है की भगवान शिव सहित ब्रह्मा जी और विष्णु जी की माता महामाया दुर्गा तथा पिता काल ब्रह्म हैं।