- नहीं पहुंच सकी संजीवनी वाहन, प्रसव के लिए 20 किमी का करना था सफर
अम्बिकापुर (दीपक सराठे)
बतौली विकास खण्ड के दूरस्थ गांव चिपरकाया के चुटियापहरी गांव में 28 मार्च की देर रात पहाड़ी कोरवा प्रसूता व उसके षिषु की मौत से जहां प्रषासनिक अमले में हड़कप मच गया है, वहीं सरगुजा क्षेत्र के दूरस्थ इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं का दावा करने वाले शासन-प्रषासन के सामने कई सवाल खड़े हो गये है। 28 मार्च की रात पहाड़ी कोरवा प्रसूता महिला व उसके षिषु की मौत पर सूचना मिलते ही तहसीलदार, जनपद पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी, बीएमओ, पुलिस टीम सहित पूरा प्रषासनिक अमला मौके पर पहुंचा था। पहाड़ी कोरवा जच्चा-बच्चा की मौत के इस गंभीर मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि दूरस्थ क्षेत्र में बसे चोटियापहरी गांव के लोगों को मामूली स्वास्थ्य सुविधा के लिए भी 20 से 25 किमी का सफर तय करना पड़ता है। प्रसव पीड़ा होने पर 20 किमी दूर सेदम उपस्वास्थ्य केन्द्र में भी कोई सुविधा प्रसव के लिए नहीं है। 28 मार्च को पहाड़ी कोरवा प्रसूता के नवजात शिशु की मौत के बाद प्रसूता की स्थिति गंभीर होने पर जब संजीवनी एक्सपे्रस बतौली को इसकी जानकारी दी गई तो वाहन 3 किमी दूर जाकर सड़क खराब होने का हवाला देकर रूक गई। संजीवनी वाहन में मौजूद एमटी ने परिजनों को फोन कर चारपाई में कोरवा महिला को लाने की बात कहीं। परंतु असमर्थ परिजन कुछ न कर सके। अततः देर रात 12 बजे कोरवा महिला ने दम तोड़ दिया।
जानकारी के अनुसार 28 मार्च की दोपहर बतौली क्षेत्र के दूरस्थ गांव चुटियापहरी में निवासरत पहाड़ी कोरवा पूर्णिमा पति प्रेम लाल 21 वर्ष ने एक नवजात को जन्म दिया। परिजनों के मुताबिक षिषु मृत पैदा हुआ था। जिसे दो घंटे बाद ही उसे दफना दिया था। इसके बाद पूर्णिमा की हालत बिगड़ने लगी थी। सूचना पर गांव के सरपंच मोती लाल कुजूर ने महिला के उपचार के लिए संजीवन एक्सपे्रस को फोन किया। संजीवनी वाहन 3 किमी दूर आकर सड़क खराब होने के कारण गांव में नहीं जा सकी। वाहन में सवार एमटी ने तत्काल महिला के परिजनों को फोन कर चारपाई में लेटाकर वाहन तक लाने को कहा। प्रेम लाल घर में अकेले होने के कारण वाहन तक पत्नी को नहीं पहुंचा सका। कुछ समय इंतजार करने के बाद संजीवनी सवार लोग वापस लौट गये। देर रात 12 बजे पूर्णिमा की घर पर ही मौत हो गई। दूसरे दिन यह खबर आग की तरह क्षेत्र में फैल गई। सूचना पर सुबह 10 बजे तक तहसीलदार, थाना प्रभारी, बीएमओ, नायब तहसीलदार, मुख्य कार्यपालन अधिकारी सहित अन्य प्रषासनिक अमला मौके पर पहुंचा। बताया गया कि महिला के शरीर में 5 ग्राम खून था। गांव में स्वास्थ्य सुविधा नहीं रहने पर महिला के पति प्रेमलाल ने पोकसरी गांव से एक दाई को बुला लिया था। दाई ने ही प्रसव कार्य पूर्ण कराया था। षिषु मृत जन्म लिया और कुछ घंटों बाद महिला ने भी दम तोड़ दिया। इस पूरे मामले में फिलहाल प्रषासनिक अमले ने सहायता बतौर कोरवा परिवार को मात्र 2 हजार रूपये देकर अपने पूरे कतव्र्ययों की इतिश्री कर ली है, और यह आष्सवासन दिया है कि कोरवा मद से विषेष मुआवजा राषि दिलवाने की पहल की जायेगी। पहाड़ी कोरवा जच्चा-बच्चा की इस मौत ने यह तो साफ कर दिया है कि सरगुजा के दूरस्थ अंचलों में अभी भी लोग मामूली स्वास्थ्य सुविधा के लिए 20 से 25 किलोमीटर का सफर न सिर्फ करने को मजबूर है बल्कि उन क्षेत्रों तक पहुंचने वाली सड़क दुर्दषा अभी भी ऐसी है कि वहां संजीवनी वाहन नहीं पहुंच पाती। आखिरकार ग्रामीणों को चारपाई के सहारे ही स्वास्थ्य केन्द्र तक पहुंचना पड़ता है।