मिशन 2023 : पामगढ़ विधानसभा में बाहरी प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला कांग्रेस को पड़ रहा भारी…बीएसपी की एंटी इनकन्वेंसी के बाउजूद स्थिति मजबूत…तो बीजेपी को नही मिल रहा संगठन का साथ…!

जांजगीर चांपा। जांजगीर चांपा जिले के एकमात्र रिजर्व सीट पामगढ़ विधानसभा में इस बार कांग्रेस के लिए अच्छा मौका था की सीट अपनी झोली में ले आए.. वही शुरुआती दौर पर कांग्रेस पार्टी पामगढ़ विधानसभा में बीएसपी के कार्यकर्ताओ में सेंध लगाने की रणनीति बनाई थी लेकिन अचानक शेषराज हरबंस को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद पूरी रणनीति धरी की धरी रह गई. पामगढ़ विधानसभा के कार्यकर्ता एवं जनता शेषराज हरबंस को बाहरी प्रत्याशी मानकर साथ नहीं दे रहे हैं. जिसका खामियाजा आज प्रत्याशी को भुगतना पड़ा है वही लोगों का कहना है कि पामगढ़ विधानसभा में बाहरी प्रत्याशी को कांग्रेस चुनाव मैदान पर उतार कर गलत फैसला लिया है जिसका भरपाई अब होते नहीं दिखाई दे रहा है.

वहीं मौजूदा विधायक बीएसपी प्रत्याशी इंदु बंजारे का लगातार जनसंपर्क के दौरान कार्यकर्ताओं का हुजूम एवं बूथ लेवल की रणनीति,अपने अटल इरादे के साथ मैदान पर डटी हुई है. तो बीजेपी प्रत्याशी संतोष लहरे को संगठन की कमी खल रही है. पहली बार ऐसा हुआ है कि पामगढ़ विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी को संगठन की कमी महसूस हो रही,नहीं तो बीजेपी का संगठन हमेशा चुनाव प्रबंधन से लेकर प्रचार प्रसार तक मजबूती से प्रत्याशी के साथ चुनाव मैदान पर डटा रहता है.लेकिन इस बार पामगढ़ के भाजपा प्रत्याशी संतोष लहरे के साथ ऐसा होते नहीं दिख रहा है. जिसके चलते चुनाव मैदान में उनकी मौजूदगी में थोड़ी कमी महसूस हो रही है.

हालांकि बीजेपी और बीएसपी प्रत्याशी के बीच मुकाबला होते नजर आ रहा है. लेकिन बीजेपी प्रत्याशी के मुकाबले इंदु बंजारे भरी नजर आ रही है. इसका कारण कांग्रेस प्रत्याशी का चयन पार्टी का गलत फैसला बताया जा रहा है. लोगों का कहना है कि कांग्रेस प्रत्याशी को पामगढ़ विधानसभा में जबरन थोपा गया है, जबकि इससे अच्छे प्रत्याशी के रूप में कई कार्यकर्ता पामगढ़ में वर्षों से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं. जिसको दरकिनार कर बाहरी प्रत्याशी शेषराज हरबंस को टिकट देना पार्टी फैसले को जनता गलत बता रही है.

तीनों पार्टी अपने दमखम के साथ चुनावी मैदान पर है. तो वहीं कांग्रेस का खेल बिगड़ने जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी गोरेलाल बर्मन के साथ अन्य पार्टी भी लगी हुई है. दूसरी ओर पूरे छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का चुनावी घोषणा का असर भी देखने को मिल रहा है जिसका फायदा कुछ विधानसभा के प्रत्याशी को हो रहा है लेकिन कहीं कहीं प्रत्याशी चयन का गलत फैसले से निराशा हाथ लग रही है।