मिशन 2023 : संसदीय सचिव को हराकर पहली बार बीएसपी से बनी विधायक… ट्यूटर में 1 हजार से ज्यादा फॉलोवर्स.. सोशल मीडिया में रहती है सक्रिय…

@संजय यादव

जांजगीर चांपा । इंदु बंजारे जांजगीर जिले की पामगढ़ विधानसभा से बहुजन समाज पार्टी की टिकट से विधायक बनी है। वे पहली बार विधायक चुनी गई है। मात्र 28 साल की उम्र में ही 2018 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर वे विधायक निर्वाचित हुई थी। 12 वीं तक पढ़ी लिखी इंदु बंजारे राजनीति में आने से पहले गृहणी हुआ करती थी। वे जिला पंचायत सदस्य भी रहीं हैं। कम पढ़े लिखे होने के बाद भी ट्विटर में सक्रिय रहती उनके 1 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. राजनीति गतिविधियों की हर जानकारी सोशल मीडिया में साझा करती है। राजनीति से समय निकालकर सामाजिक कार्यो में भी हमेशा सक्रिय रहती है। बहुजन समाज पार्टी ने दोबारा पामगढ़ विधानसभा से इंदु बंजारे को टिकट दिया है.

पामगढ़ विधानसभा अनुसूचित वर्ग के लिए रिजर्व है। जहां से इंदु बंजारे ने कांग्रेस के गोरेलाल बर्मन व संसदीय सचिव रहे भाजपा के अंबेश जांगड़े को चुनाव में पटखनी दी है। इंदु बंजारे 2015 से 2018 तक जिला पंचायत की सदस्य रही है। 2018 में वह पहली बार पामगढ़ विधानसभा से बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर निर्वाचित होकर विधायक बनी है। 2019-21 तक इंदु बंजारे छतीसगढ़ विधानसभा के पुस्तकालय समिति की सदस्य रही है।

पामगढ़ विधानसभा जांजगीर जिले मे आता है। इसे क्षेत्र क्रमांक- 38 के नाम से भी जाना जाता है। पामगढ़ विधानसभा अनुसूचित जाति वर्ग के लिए रिजर्व सीट है। 2018 में यहां कुल मतदाताओं की संख्या 194914 था। जिसमे से 138004 (70.80%) मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। जिसमे बसपा की इंदु बंजारे को 50129 (36.32%) वोट मिले। जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी गोरेलाल बर्मन को 47068 (34.11%) वोट मिले। भाजपा प्रत्याशी अंबेश जांगड़े को 32676 (23.68%) वोट मिले थे।

पामगढ़ विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे और समस्याएं:

जांजगीर चाम्पा में सबसे ज्यादा पलायन करने वाला पामगढ़ विधानसभा क्षेत्र माना जाता है. यहां रोजी मजदूरी के लिए ना तो बड़े कारखाने हैं, ना ही कोई अन्य साधन, जिसके कारण यहां के एससी और ओबीसी वर्ग के लोग पलायन करने को मजबूर हैं. इसके अलावा यहां की शिक्षा व्यवस्था भी बदहाल है. सड़को की स्थिति खराब है. ग्रामीण अंचल मे बिजली की आंख मिचौली से लोग परेशान हैं. खेती किसानी में भी पानी और अन्य संसाधन कम है. यही वजह है कि किसान एक फसल लेने के बाद दूसरा फसल नहीं ले पाते.