- सर्वाधिक मांग के समय 190 मेगावाट की कमी: लगभग 379 करोड़ रूपए की सालाना बचत
- बीपीएल श्रेणी के सभी विद्युत उपभोक्ताओं को 2 अक्टूबर तक शत-प्रतिशत एलईडी बल्ब दिए जाएंगे
- मुख्यमंत्री ने की उजाला योजना की समीक्षा
- छत्तीसगढ़ में एलईडी बल्बों से होने लगी बिजली की बचत
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज यहां मंत्रालय (महानदी भवन) में राष्ट्रीय उजाला योजना के तहत एल.ई.डी. बल्ब वितरण की समीक्षा की। बैठक में बताया गया कि एलईडी बल्ब वितरण के उत्साहजनक नतीजे मिलने लगे हैं। लोगों के घरों में बिजली की अच्छी बचत होने लगी है। प्रतिदिन सबसे ज्यादा मांग (पीक डिमांड) के समय राज्य में इन बल्बों के कारण बिजली की खपत में लगभग 190 मेगावाट की कमी आई है। इससे सालाना 379 करोड़ रूपए की बचत हो रही है। अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि प्रदेश में विद्युत उपभोक्ताओं को अब तक 72 लाख 90 हजार एलईडी बल्ब दिए जा चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि नौ वाट के एक एलईडी बल्ब से 100 वाट के बराबर रोशनी होती है। बिजली की मीटर भी कम रफ्तार से घूमता है और बिजली का बिल कम आता है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 13 मार्च 2016 को राजनंादगांव में इस योजना का शुभारंभ किया था। डॉ. सिंह ने मंत्रालय में आज की समीक्षा बैठक में अधिकारियों से कहा कि शेष उपभोक्ताओं को भी जल्द से जल्द एलईडी बल्ब वितरित कर दिए जाएं। उन्होंने कहा कि योजना के अन्तर्गत इस वर्ष 02 अक्टूबर तक बी.पी.एल. श्रेणी के विद्युत उपभोक्ताओं को शत-प्रतिशत एल.ई.डी. बल्ब का निःशुल्क वितरण कर दिया जाए। उन्होंने अधिकारियों को नगरीय निकायों में भी इस वर्ष दिसंबर माह तक एलईडी स्ट्रीट लाईट के निर्देश दिए। डॉ. सिंह ने कहा – शहरी क्षेत्रों में एल.ई.डी. बल्ब के वितरण के लिए मोहल्लों में विशेष शिविर भी आयोजित किए जाएं।
उन्होंने कहा कि इस योजना का लाभ ग्रामीण क्षेत्रों के उपभोक्ताओं को प्रभावी ढंग से मिल रहा है। पिछले दिनों लोक सुराज अभियान के दौरान प्रवास के समय लगी चौपाल में ग्रामीणों ने एल.ई.डी. बल्ब के उपयोग के बारें में बताया कि इससे रोशनी भी अच्छी मिल रही है और मीटर भी कम गति से घूमता है। इसके साथ ही बिजली का बिल भी कम आ रहा है। डॉ सिंह ने कहा कि एल.ई.डी. बल्ब से होने ऊर्जा की बचत का प्रचार-प्रसार किया जाए। नया रायपुर में ऊर्जा शिक्षा केन्द्र बनाया जाए। इसमें पुराने बल्ब और एलईडी बल्ब का तुलनात्मक विवरण दिया जाए और यह भी बताया जाए कि दोनों बल्बों के उपयोग से होने वाले खर्च का भी तुलनात्मक ब्यौरा प्रदर्शित किया जाए ताकि आम जनता को एल.ई.डी. बल्ब के फायदे की जानकारी मिल सके।
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में एलईडी बल्बों के उपयोग से वातावरण में कार्बन डाइ आक्साइड की मात्रा में भी प्रति वर्ष लगभग 07 लाख 67 हजार टन की कमी आ रही है। इसके फलस्वरूप अगले 10 वर्षो में 17 लाख से अधिक पेड़ बचाये जा सकेंगे। समीक्षा बैठक में अधिकारियों द्वारा बताया गया कि उजाला योजना के अन्तर्गत बीपीएल उपभोक्ताआंे को तीन एल.ई.डी. बल्ब निःशुल्क और एपीएल श्रेणी के उपभोक्ताआंे को 65 रूपए प्रति बल्ब की दर से अधिकतम 10 एलईडी बल्ब दिए जा रहें है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के छह शहरी क्षेत्रों में बिजली के खम्भों में एलईडी लाईट लगाए जा रहे हैं। इन शहरों में बिलासपुर, राजनांदगांव, कोरबा, धमतरी नगर निगम क्षेत्रों में एल.ई.डी. स्ट्रीट लाईट का कार्य प्रगति पर है। अब तक बिलासपुर नगर निगम क्षेत्र में 11 हजार 308 एलईडी स्ट्रीट लाईट एवं 44 सेंन्ट्रल कन्ट्रोल एवं मानिंटरिंग सिस्टम लगाए जा चुके हैं। इसी प्रकार राजनांदगांव में 6 हजार 269 एलईडी स्ट्रीट लाईट, कोरबा में 3 हजार 303 तथा धमतरी में 1 हजार 392 एलईडी स्ट्रीट लाईट लगाई जा चुके हैं। शेष दो शहरों में क्रमशः रायपुर और भिलाई में भी एल.ई.डी स्ट्रीट लाईट का कार्य शीघ्र ही प्रारंभ होने जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इन सभी शहरों में माह दिसम्बर 2017 तक अनिवार्य रूप से कार्य पूर्ण कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए। बैठक में बताया गया कि इन सभी शहरों में एल.ई.डी. स्ट्रीट लाईट के लिए सेन्ट्रल कंट्रोल एण्ड मॉनिटरिंग सिस्टम भी लगाये जा रहे है।
बैठक में ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री एन.बैजेन्द्र कुमार, आवास एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव अमन कुमार सिंह, खनिज विभाग के सचिव सुबोध कुमार सिंह, जनसम्पर्क विभाग के सचिव संतोष कुमार मिश्रा, नगरीय प्रशासन विभाग के विशेष सचिव डॉ. रोहित यादव, नया रायपुर विकास प्राधिकरण विभाग के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रजत कुमार सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।