नई दिल्ली
चीनी सैनिकों ने बुधवार को एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के करीब भारतीय इलाके में चल रहे नहर के कंस्ट्रक्शन को रुकवा दिया। आईटीबीपी के 70 और चीन के 55 सैनिक कई घंटे तक आमने-सामने रहे। इस बीच, इंडियन एयरफोर्स ने अरुणाचल प्रदेश में चीन सीमा से 29 किलोमीटर नजदीक दुनिया का सबसे बड़ा मिलिट्री एयरक्राफ्ट सी-17 ग्लोबमास्टर उतार दिया। ग्लोबमास्टर 6200 फीट की ऊंचाई पर सिर्फ 4200 फीट लंबे इलाके में उतरा।
कहां आमने-सामने हुए दोनों देशों के सैनिक-
चीनी सैनिकों ने कहा कि भारत को लद्दाख में LAC के पास कंस्ट्रक्शन से पहले इजाजत लेनी चाहिए थी। हालांकि, दोनों देशों के बीच सिर्फ डिफेंस सेक्टर में होने वाले कंस्ट्रक्शन की जानकारी शेयर करने का समझौता है।
बुधवार की घटना में दोनों देशों के सैनिकों ने फ्लैग लगाकर पोजिशन ले ली। भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को आगे नहीं बढ़ने दिया।
बता दें कि 19 जुलाई को उत्तराखंड के चमोली में भी चीनी सैनिक नहर का काम रुकवा चुके हैं। तब भी भारतीय जवानों ने उन्हें वापस भेज दिया था।
2014 में भी लद्दाख के निलुंग नाले का काम चीनी सैनिकों ने रुकवाकर मजदूरों के टेंटों को नुकसान पहुंचाया था।
ग्लोबमास्टर की लैंडिंग अहम क्यों.?
भारत ने पांच ग्लोबमास्टर मिलिट्री एयरक्राफ्ट अमेरिका से खरीदे थे। यह दुनिया का सबसे बड़ा मिलिट्री एयरक्राफ्ट है जो आर्मी जवानों और उनके भारी से भारी सामान को कहीं भी पहुंचा सकता है।
चीन बॉर्डर के नजदीक इस एयरक्राफ्ट की लैंडिंग पड़ोसी को एक इशारा है कि भारत हालात पर पैनी नजर बनाए हुए है। ग्लोबमास्टर को जिस मेचुका इलाके में लैंड कराया गया, उस इलाके में 1962 की जंग के दौरान भारत को काफी नुकसान हुआ था।
अरुणाचल प्रदेश के वेस्ट सियांग जिले के मेचुका के एडवांस लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) पर पहली बार ग्लोबमास्टर ने लैंडिंग की। इससे पहले हाल ही में एयरफोर्स ने अपने सी-130 जे. सुपर हार्कुलिस विमान को भी यहीं सेफ लैंडिंग कराई गई थी। लैंडिंग ग्राउंड का रनवे आम एयरपोर्ट से छोटा है। इसलिए यहां ग्लोबमास्टर की सेफ लैंडिंग बड़ी कामयाबी है। इस इलाके से ट्रेन या हवाई यात्रा के लिए पहले सड़क से डिब्रूगढ़ तक का 500 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है।
एशिया में सिर्फ हमारे पास ग्लोबमास्टर
भारत के पास 5 बोइंग सी-17 ग्लोबमास्टर विमान हैं। ये इंडियन एयरफोर्स का सबसे बड़ा मिलिट्री विमान है।
फिलहाल ये अमेरिका, ब्रिटेन,ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कतर, यूएई और नाटो हैवी एयरलिफ्ट विंग का हिस्सा है।
इसे 1980-90 के बीत अमेरिका ने बनाया था। 1991 में ग्लोबमास्टर ने पहली उड़ान भरी थी।
2013 में भारत ने अमेरिका से 10 ग्लोबमास्टर विमान का सौदा किया था। 5 अभी नहीं मिले हैं।
फिलहाल ये अमेरिका, ब्रिटेन,ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कतर, यूएई और नाटो हैवी एयरलिफ्ट विंग का हिस्सा है।
इसे 1980-90 के बीत अमेरिका ने बनाया था। 1991 में ग्लोबमास्टर ने पहली उड़ान भरी थी।
2013 में भारत ने अमेरिका से 10 ग्लोबमास्टर विमान का सौदा किया था। 5 अभी नहीं मिले हैं।
ग्लोबमास्टर की खासियत
कैपिसिटी- 77 टन वजन लेकर जा सकता है।
स्पीड- 830 Kmph
लंबाई- 174 फीट, ऊंचाई-55 फीट
फ्यूल कैपिसिटी- 1 लाख 35 हजार लीटर
कैपिसिटी- 77 टन वजन लेकर जा सकता है।
स्पीड- 830 Kmph
लंबाई- 174 फीट, ऊंचाई-55 फीट
फ्यूल कैपिसिटी- 1 लाख 35 हजार लीटर
फ्यूल हवा में ही भरा जा सकता है।
भारत-चीन का सीमा विवाद
भारत और चीन के बीच विवादित इलाका 4000 किलोमीटर का है। लेकिन चीन का कहना है कि सीमा विवाद वाला क्षेत्र महज 2000 किलोमीटर का है।
इसकी वजह यह है कि पाकिस्तान ने अपने कब्जे वाले कश्मीर में से अक्साई चीन को चीन के ही सुपुर्द कर दिया है।
इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
चीन के साथ भारत का विवाद 64 साल पुराना है। इसका एक बड़ा कारण इंटरनेशनल बॉर्डर का क्लियर न होना है।
भारत मानता आ रहा है कि चीन जानबूझकर इस विवाद का हल नहीं कर रहा है।
भारत मैकमोहन लाइन को सही मानता है जबकि चीन इसे खारिज करता है।
इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
चीन के साथ भारत का विवाद 64 साल पुराना है। इसका एक बड़ा कारण इंटरनेशनल बॉर्डर का क्लियर न होना है।
भारत मानता आ रहा है कि चीन जानबूझकर इस विवाद का हल नहीं कर रहा है।
भारत मैकमोहन लाइन को सही मानता है जबकि चीन इसे खारिज करता है।
2015 में होती रही घुसपैठ.?
27 जून 2015 को लेह से 168 किलोमीटर दूर पूर्वी लद्दाख में पैन्गोंग झील में घुसपैठ हुई थी। इस झील का 45 किमी किनारा भारतीय सीमा में है। जबकि 90 किमी चीन में है। चीनी सैनिक भारतीय सीमा में आ गए थे। वहां उनका सामना भारतीय सैनिकों से हुआ था।
दोनों तरफ से बैनर लहराते हुए दावा किया गया कि इलाका उनका है। बाद में चीनी सैनिक लौट गए।
पैन्गोंग झील के नॉर्थ और साउथ में चीनी सैनिक पहले भी घुसपैठ की कोशिश करते रहे हैं। अप्रैल में भी इसी इलाके में घुसपैठ हुई थी।
चीनी सेना ने 2014 में 334 बार भारतीय इलाके में घुसपैठ की। यह घुसपैठ लद्दाख के आसपास के इलाकों में हुई है
पैन्गोंग झील के नॉर्थ और साउथ में चीनी सैनिक पहले भी घुसपैठ की कोशिश करते रहे हैं। अप्रैल में भी इसी इलाके में घुसपैठ हुई थी।
चीनी सेना ने 2014 में 334 बार भारतीय इलाके में घुसपैठ की। यह घुसपैठ लद्दाख के आसपास के इलाकों में हुई है