अम्बिकापुर.जिले के मैनपाट पर्यटकों के लिहाज से बहुत ही खूबसूरत स्थान है, लेकिन यहां बसने वाले विशेष अनुसूचित जनजाति “मझवार” लोगों की जिंदगी आज भी बदसूरत है।ऐसा इसलिए क्योंकि शासन की योजनाएं हो या स्वास्थ्य व्यवस्था इनको ये तब नसीब होती है। जब उनकी दुर्दशा की तस्वीर टीव्ही चैनलों, अखबारों मे या फिर न्यूज वेबसाइट पर प्रकाशित होती है, ऐसे मे एक दर्दनाक तस्वीर मैनपाट से फिर सामने आई है। जिसमे एम्बुलेंस नहीं मिलने से तंग आकर मझवार परिवार अपने घर के सदस्य को मिट्टी ढोने वाले झेलगी मे बिठाकर अस्पताल से अपने घर के लिए निकल चुका हैं।
मैनपाट के सुपलगा गांव का रहने वाला जयनाथ मझवार पैर से दिव्यांग है,जयनाथ को तीन दिन पहले बुखार आने लगी तो घर वालों ने उसे मैनपाट के कमलेश्वपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मे भर्ती कराया तबियत थोडी ठीक हुई ,तो परिजनो ने उसे घर लेना जाना बेहतर समझा, लेकिन जब घर दिव्यांग जयनाथ को घर ले जाने के लिए परिजनो ने अस्पताल प्रबंधन से एंबुलेंस की मांग की तो उन्हें एंबुलेस नहीं दी गई,ऐसे मे बेहद गरीब परिवार के लोग प्रायवेट वाहन भी किराए मे नहीं ले सके,लिहाजा जयनाथ के बीबी बच्चे और चचेरा भाई अधन साय अपने एक पडोसी के साथ मिलकर जयनाथ को मिट्टी ढोने वाले झेलगी मे बिठाकर पैदल ही घर को निकल पडा। जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य केन्द्र से उनके गांव सुपलगा की दूरी 12 किलोमीटर है,और रास्ते मे बेहद घने जंगल और मछली नदी भी है, ऐसे मे उनका ये सफर परिजनों के साथ मरीज जयनाथ के लिए भी खतरनाक हो सकता है।
तीन वाहन तीनो ख़राब–
जानकारी के मुताबिक़ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कमलेश्वर मे तीन वाहन खड़े हैं।लेकिन उनको खराब बता कर एक तरफ उसका उपयोग नहीं किया जा रहा है और दूसरी तरफ उन वाहनों के ईंधन का रूपया समय समय पर निकाल भी लिया जा रहा है, ऐसे मे ये तो तय है कि मैनपाट के स्वास्थ्य अघिकारी गरीब असहाय और जनजाति वर्ग के लोगो के हक पर डांका डालकर अपनी जेब गर्म कर रहे हैं।
इस संबंध मे मैनपाट के बीएमओ डॉ.आर एस एस पैकरा के मोबाईल नंबर पर दो से अधिक बार संपर्क किया गया। लेकिन ना ही उन्होंने मोबाईल रिसीव किया और ना ही उनके ओर से कोई प्रतिक्रिया आ सकी है। जबकि हमारा मकसद ये था। कि उस गरीब परिवार को मदद हो जाए,जो कुछ देर पहले ही झेलगी मे अपने बिमार दिव्यांग सदस्य को लेकर अपने गांव को निकलें हैं।