जांजगीर-चांपा..मतदान की तारीख नजदीक हैं, बाउजुद देश की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी का खराब चुनाव प्रबंधन के कारण जांजगीर चांपा लोकसभा में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में माहौल नहीं बन पा रही हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह संगठन में गुटबाजी एवं पदाधिकारी पर लग रहे कई आरोप है. भारतीय जनता पार्टी को चुनाव प्रबंधन में मास्टर माना जाता है बाउजूद जांजगीर चांपा लोकसभा का चुनाव प्रबंधन गढ़बड़ा गया है. जिनकी जिम्मेदारी जिस चीज के लिए दी गई है उस जिम्मेदारी को सही तरीके से नहीं निभा पा रहे हैं। जिला अध्यक्ष से लेकर जिला मीडिया प्रभारी तक अपनी जिम्मेदारी से पलड़ा झड़ते दिख रहे हैं। चुनाव के समय जिला मीडिया प्रभारी अपने आप को कोई बड़े नेता से कम नहीं समझ रहा है। जिस चीज के लिए उनको ज़िम्मेदारी दी गई है उससे दूर भागते दिख रहे हैं। उल्टा पार्टी के ऊपर अनाप-शनाप बयान देकर भ्रमित कर रहे हैं।
अगर इसी तरह जिला बीजेपी पदाधिकारी का रवैया रहा तो जांजगीर चांपा लोकसभा में कैसे चुनाव जीत पाएगी। यह बड़ा सवाल खड़ा हो रहा हैं. दूसरी ओर विधानसभा चुनाव में बीजेपी का सुपड़ा साफ हो गया है। विधान सभा में बीजेपी के एक भी विधायक जीत कर नहीं आए जिसके चलते लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी को ज्यादा मेहनत करना पड़ रहा हैं। यहां विगत दिनो बीजेपी के कई दिग्गज नेता नरेंद्र मोदी,अमित शाह, मुख्यमंत्री से लेकर के बड़े-बड़े नेताओं का सभा हो रहा है लेकिन जिस तरह भाजपा के पक्ष में माहौल बनना चाहिए उस तरह माहौल बनते नही दिख रहा हैं। हालांकि भारतीय जनता पार्टी पूरे जोश के साथ चुनाव मैदान पर डटी हुई हैं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी अपने आठ विधानसभा में बूथ से लेकर जिला स्तर तक सभी कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंप चुकी है। अब प्रत्याशी गांव गांव जाकर जनसंपर्क में लगे हुए है। आने वाले समय में कांग्रेस पार्टी के भी दिग्गज नेताओं का दौरा लोकसभा क्षेत्र में होने जा रहा हैं अब देखना होगा इस दौरे के बाद क्या माहौल बनता हैं।
हालांकि, अभी दोनों प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर है। कोई किसी से कम या ज्यादा नजर नहीं आ रहा है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है इस लोकसभा में दोनों पार्टी के अलावा निर्णायक भूमिका बसपा के वोटर हैं अगर बहुजन समाज पार्टी के वोटर जिस पक्ष में वोट करेंगे उन पार्टी की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है। लोकसभा में हमेशा अनुसूचित जाति वर्ग के वोटर ही निर्णायक भूमिका में रहते हैं। उसके बाद सबसे बड़ा जो वर्ग है ओबीसी समाज का। अगर ओबीसी वर्ग के वोटरों का झुकाव जिस ओर रहेगा उस पार्टी का मजबूती मिलेगी। अब देखना होगा कि दोनों पार्टी के प्रत्याशी दोनों वर्गों को किस तरह साध पाते हैं। हालाकि इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी के संगठन में थोड़ी जोश दिखाई दे रही हैं।
शुरुवाती दौर में कांग्रेस पार्टी में जरूर थोड़ा सा बिखराव दिख रहा था लेकिन मतदान के नजदीक आते-आते स्थिति में थोड़ा सा सुधार होते दिख रहा है। लेकिन भाजपा इससे उलट नजर आ रही है। चुनाव प्रबंधन में माहिर बीजेपी लोकसभा में बिगड़ते दिख रही हैं । इसका सबसे बड़ी वजह गुटबाजी नजर आ रहा है। क्योंकि विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी यही हाल था। टिकट नहीं मिलने पर एक दूसरे को हराने में लगे थे जिसका परिणाम आपके सामने है । अब देखना होगा कि लोकसभा चुनाव परिणाम किसके पक्ष में जाता है।