अम्बिकापुर : वरिष्ठ चिकित्सकों ने कोरोना ईलाज में रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत को नकारा…

बिना रेमड़ेसिविर इंजेक्शन के 8 हजार से अधिक मरीज हुए स्वस्थ

अम्बिकापुर। अम्बिकापुर के वरिष्ठ तथा आइएमए के सदस्य  चिकित्सकों ने संयुक्त रुप से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर  कोविड संक्रमण से प्रभावित मरीजों में रेमडेसिविर इंजेक्शन  की बढती माँग  को  अनुचित बताते हुए  कोरोना के ईलाज के लिए  अति आवश्यक होने के दावे को नकारा है।

उन्होंने कहा है कि कोविड संक्रमण के प्रभावी रोकथाम के लिए दवाइयों के प्रति शारीरिक प्रतिक्रिया, फेफड़े में संक्रमण से हुए क्षति की मात्रा व शरीर के विभिन्न अंगो की क्रियाशीलता पर निर्भर करती है। रेमडेसिविर केवल वाइरस के संक्रमण को कम कर सकता है। संक्रमण के बाद हुई क्षति को दूर करने में इसका कोई योगदान नहीं होता। रेमडे सिविर के बिना भी मरीज की जान बचाई जा सकती है।
     

नगर के लाइफलाइन हॉस्पिटल के सीनियर डॉ अमित असाटी ने  बताया कि उनके संस्थान में लगभग 230 कोविड मरीज भर्ती हुए हैं जिनमे से ज्यादातर गम्भीर लक्षण वाले थे। इनमें से 200 से ज्यादा मरीज ऐसे हैं जिनमे रेमडेसिविर  इंजेक्शन का प्रयोग नही किया गया जबकि यह देखा गया कि जिनकी मृत्यु हुई उनमें रेमडेसिविर का प्रयोग किया गया था।  यह कहना बिल्कुल गलत है कि  रेमड़ेसिविर  से कोविड पेशेंट की जान बच सकती है।
   

जीवन ज्योति हॉस्पिटल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ जेके सिंह ने बताया  कि उनके अस्पताल में  500 से अधिक गंभीर प्रकृति के कोविड मरीजों का इलाज किया गया। इनमें लगभग 5 से 7 मरीजों की मृत्यु हुई। इनमें रेमड़ेसिविर के प्रयोग के बावजूद भी मरीज को बचाया नही जा सका। कोविड इंफेक्शन को रोकने के लिए  रेमड़ेसिविर एक एंटीवायरल दवा है जो जरूरी नही की हर व्यक्ति में काम करे।
   

शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय के छाती तथा श्वसन तंत्र रोग विशेषज्ञ डॉ रोशन लाल वर्मा तथा  कोविड हॉस्पिटल के मुख्य प्रभारी अधिकारी ने  बताया कि रेमड़ेसिविर का इंजेक्शन प्रारम्भ के 7 दिन के अंदर लगना उचित रहता है। यह ऐसे मरीज में लाभदायक होता है जिनका ऑक्सीजन सैचुरेशन 90रू से कम होता है। हम लोगों ने सफलतापूर्वक बहुत से गम्भीर लक्षण वाले कोविड मरीजों को बचाया है जिनको  रेमड़ेसिविर का इंजेक्शन नही लगा है।
     

इण्डियन मेडिकल एसोसिएसन आईएमए के सदस्य डॉ शैलेन्द्र गुप्ता ने  कोविड पेशेंट को  रेमड़ेसिविर की अति आवश्यकता का खंडन किया। उन्होंने कहा कि जितने भी उच्चतर स्वास्थ्य संस्थान  जैसे आईसीएमआर, डब्लूएचओ आदि में से किसी ने भी  रेमड़ेसिविर  इंजेक्शन को कोविड संक्रमण के लिए एकमात्र दवाई निरूपित नही किया है। ये सही है कि रेमड़ेसिविर  का उपयोग कोविड से संक्रमित मरीजों के उपचार में किया जाता है।

अन्य दवाइयों के साथ .साथ जिन व्यक्तियों को  रेमड़ेसिविर  का इंजेक्शन लगता है वह व्यक्ति स्वस्थ होता है। लेकिन यह कहना पूरी तरह से गलत है कि रेमड़ेसिविर इंजेक्शन लगने के बाद मरीज की जान बचाई जा सकती है।यह शरीर की प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है। बिना रेमड़े सिविर  इंजेक्शन के उपयोग के पूरे सरगुजा में 8000 से अधिक मरीजों की जान बचाई जा चुकी है।