जांजगीर-चांपा। सक्ती वन परिक्षेत्र में इन दिनों रेंजर और वन कर्मचारियों के बीच जंग छिडी हुई है। सक्ती वन परिक्षेत्र के 14 बीट गार्ड रैंजर एम साहू पर गलत काम कराने और शारीरिक मानसिक प्रताडना से तंग आकर वहां ड्यूटी करना ही छोड दिया है और अपनी समस्या को लेकर चांपा डीएफओ से मदद की गुहार लगाई और रैंजर के वहां पदस्थ रहते उस बीट में काम करने से आपत्ति जताई। मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएफओ ने बीट गार्ड की शिकायत को जांच में ले ली है और सभी बीट गार्ड को डीएफओ कार्यालय में ज्वाईन करा कर नए वन कर्मियों की सक्ती रैंज में ड्यूटी लगाई है। मामले में रैंजर एमआर साहू ने बीट गार्ड के इस काम को अनुशासन हिनता बताते हुए डीएफओ द्वारा उन्हे संरक्षण देने का आरोप लगाया है। अब मामला बीट गार्ड के साथ डीएफओ और रैंजर के बीच उलझने लगा है। आपको बता दे कि
जांजगीर चांपा जिला में वैसे तो वन क्षेत्र बहुत ही सिमटा हुआ है लेकिन यहां अधिकारी और कर्मचारियों के बीच की दूरी बहुत बढ गई है। सक्ती वन क्षेत्र के 12 वन कर्मियों ने 14 जनवरी से मूल स्थान को छोड कर डीएफओ कार्यालय में ड्यूटी कराना शुरु कर दिया है । उन्होने सक्ती रैंजर एमआर साहू पर डीएफओ को षडयंत्र के तहत फसाने और गलत आरोप लगाने के लिए प्रताडित करने का आरोप लगाया है। साथ ही मजदूरी भुगतान के लिए गलत बिल पेश करने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया है। 12 वन कर्मियों ने अपने ही रैंजर पर शारीरिक और मानसिक रुप से प्रताडना का आरोप लगाते हुए उनके साथ काम करने में असमसर्थता जताई है और रैंजर की कार्यप्रणाली से उच्च अधिकारियों को अवगत कराते हुए चांपा डीएफओ कार्यालय में उपस्थिति दे रहे है। वन कर्मचारियों के द्वारा की गई शिकायत पर कार्यवाई की मांग को लेकर वन कर्मचारी संगठन भी कर्मचारियों के साथ खडा हो गया है और रैंजर एमआर साहू के खिलाफ जांच और उनके ट्रांसफर की मांग कर रहे है। अगर कर्मचारियों की मांग पूरी नही होगी तो आंदोलन की चेतावनी भी दे रहे है।
कर्मचरियोे के इस तरह विरोध में आने के मामले में रैंजर एमआर साहू ने इस प्रकरण को षडयंत्र कहा है और वन कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष पर ही आरोप लगाया है। रैंजर एमआर साहू ने कहा कि वन कर्मचारियों का इस तरह काम छोड कर डीएफओ कार्यालय में ज्वाईनिंग देना उचित नही है। बल्कि कर्मचारियोे के इस काम को अनुशासन हिनता और काम के प्रति लापरवाही बताया उन्होने कहा अगर कर्मचारियों को शिकायत थी तो अपना काम करते हुए भी विरोध और शिकायत कर सकते थे लेकिन डीएफओ के शह पर कर्मचारियों ने ये कदम उठाया है पूर्व में इन्ही कर्मचारियों की डीएफओ के खिलाफ शिकायत भी की थी। प्रकरण की जांच होनी चाहिए और इसके बाद भी जांच नही होगी तो न्यायालय से न्याय की गुहार लगाए।
वही इस प्रकरण में डीएफओ ने वन कर्मचारियों की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जांच टीम गठित कर सच्चाई सामने लाने की बात कह रही है। उन्होने कहा कि रैंजर द्वारा डीएफओ कार्यालय में भी 20 से अधिक आरटीआई लगाई गई है और अपने गलत कार्यो को सही बनाने के लिए गलत हथकंडे अपनाए जा रहे है। ऐसी स्थिति मेें विभाग की छवि धुमिल करने वाले की जानकारी उच्च अधिकारियों को भी दे दी गई है। साथ ही मामले में जो भी दोषी होगे उन पर कारवाई की जाएगी. परिक्षेत्र सक्ती में वन बीट गार्ड और रैंजर के बीच उपजे विवाद रुकने का नाम नही ले रहा है और विभागीय अधिकारी इस प्रकरण में जांच के बाद कई बडे खुलासा होने की संभावना जता रहे है। जो जंगल विभाग में मजदूरी भूगतान में होने वाले बडे भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहा है।