जांजगीर चाम्पा: आदिवासी विभाग में एक के बाद एक कारनामें सामने आ रहे है. अफसर नियमों से उपर उठकर कार्य करने की पूरी चेष्टा कर रहे है, लेकिन किसी न किसी तरह मामला सामने आ जाने के बाद उनके मंसूबे सफल नहीं हो पा रहे हैं. विभाग ने पिछले दिनों फिर एक कारनामें को अंजाम दे डाला. अबकि बार भण्डार क्रय नियम का पालन व उचित प्रतिस्पर्धा नहीं होने पर टेंडर को निरस्त किया गया. इस संबंध में अपर कलेक्टर द्वारा निरस्तीकरण आदेश जारी किया गया हैं.
दरअसल, आदिवासी विकास विभाग के अफसर ने अपने चहेतों को लाभ देने के लिए गुपचुप तरीके से टेंडर जारी किया था ताकि कुछ खास लोग ही इसके लिए आवेदन कर पाए. टेंडर प्रक्रिया में नियम-कानून की भारी अनदेखी की गई. जिसपर भाजयुमो नगर मंडल जांजगीर नैला के अध्यक्ष दिनेश राठौर सोनू यादव महामंत्री एवं दर्जनों कार्यकर्त्ताओ ने कलेक्ट्रेट कार्यालय में शिकायत की थी जांच में अपर कलेक्टर को टेंडर नियम विरूद्ध मिला. जिसके बाद निरस्तीकरण की कार्रवाई की गई.
जीर्णोद्धार मरम्मत कार्य
जिले के 100 से अधिक छात्रावास और आश्रमों में जीर्णोद्धार मरम्मत कार्य होना हैं इसके लिए विभाग को डीएमएफ से चार करोड़ की राशि स्वीकृत हुई हैं. लेकिन कार्य से पहले ही विवाद खड़ा हो गया. अब दोबारा टेंडर की प्रक्रिया की जाएगी.
ठेकेदारों का प्रयास असफल
सहायक आयुक्त ने जिन चुनिंदा ठेकेदारों को काम दिया था भाजयुमो की शिकायत के बाद उनकी रातों की नींद उड़ी हुई थी. काम हाथ से न निकल जाए इसको लेकर लगातार ऑफिस के चक्कर काट रहे थे. आखिरकार शिकायत पर कार्रवाई हो गई और टेंडर निरस्त कर दिया गया.
टेंडर पर पहले भी हुआ बवाल
आदिवासी विभाग का टेंडर विवाद नया नहीं है इससे पहले भी इस तरह के कारनामें देखने को मिले हैं.पिछले वर्ष तत्कालीन सहायक आयुक्त द्वारा दैनिक अखबार छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस का फर्जी अखबार निकाल 30 लाख का टेंडर निकाल दिया था जिसपर आंदोलन तक हुआ था. इसी तरह का कारनामा फिर देखने को मिला.