नई दिल्ली
यूपी चुनाव में एसपी के गठबंधन के बाद प्रियंका गांधी के ‘पॉलिटिकल लॉन्च’ की चर्चा इन दिनों कांग्रेस में जोरों पर हैं। इस बीच अब यह भी कहा जा रहा है कि कि प्रियंका अपनी मां सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली से अगला लोकसभा का चुनाव लड़ सकती हैं। चूंकि खराब सेहत के चलते सोनिया राजनीतिक गतिविधियों में अपनी भूमिका काफी सीमित कर चुकी हैं, ऐसे में उनके संसदीय क्षेत्र की कमान अब बेटी प्रियंका संभाल सकती हैं। हालांकि पार्टी की ओर से यह भी सफाई दी जा रही है कि प्रियंका के चुनावी राजनीति में उतरने से पार्टी में राहुल गांधी के कद पर कोई असर नहीं होगा, सोनिया के राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर कांग्रेस की कमान उन्हीं के हाथों में आएगी।
कांग्रेस ने सोमवार को समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में प्रियंका की भूमिका को खुले तौर पर स्वीकार किया था। सूत्र बता रहे हैं कि इसके जरिए पार्टी ने प्रियंका के औपचारिक तौर पर राजनीति उतरने का संकेत दिया है। ऐसा पहली बार हुआ जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी से जुड़ी गतिविधियों में प्रियंका के रोल की चर्चा खुले तौर पर की। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सोनिया के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ने ट्वीट के जरिए और महासचिव गुलाम नबी आजाद ने मीडिया से बातचीत में प्रियंका को गठबंधन का श्रेय दिया। इसके पहले प्रियंका के राजनीति में आने के सवाल पर कोई भी कांग्रेस नेता खुलकर बात करने से बचता था।
प्रियंका के सक्रिय राजनीति में उतरने की चर्चा इन कयासों से भी जुड़ी हुई है कि सोनिया गांधी 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी या नहीं। सोनिया गांधी ने अपना पहला चुनाव 1999 में अमेठी से लड़ा था। 2004 में बेटे राहुल गांधी को पहली बार संसद तक पहुंचाने के लिए उन्होंने अमेठी सीट छोड़ दी और रायबरेली से चुनाव लड़ा था। दोनों संसदीय सीटों को गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है, जहां प्रियंका 1999 से राहुल और सोनिया का चुनाव प्रबंधन का काम देखती आ रही हैं। पार्टी सूत्रों को लगता है कि कभी इंदिरा गांधी का संसदीय क्षेत्र रहा रायबरेली प्रियंका के लिए आदर्श लॉन्च पैड होगा।
प्रियंका के सक्रिय राजनीति में आने की चर्चा के बीच सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या ऐसे में राहुल की भूमिका भी प्रभावित होगी? कांग्रेस ने जोर देकर कहा है कि सोनिया के उत्तराधिकारी के तौर पर कांग्रेस की कमान राहुल को दिए जाने पर इसका कोई असर नहीं होगा। कांग्रेस प्रवक्ता अजय कुमार ने मीडिया को बताया, ‘जहां तक उत्तर प्रदेश चुनाव की बात है, तो कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने खुद गुलाम नबी आजाद और प्रियंका गांधी से कहा था कि वे प्रगतिशील और समान विचार वाले दल के साथ गठबंधन को लेकर बातचीत करें।’ कांग्रेस प्रवक्ता ने इस बात को स्वीकार किया कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं की ओर से लगातार मांग की जा रही है कि प्रियंका को अब पार्टी में सक्रिय और बड़ी भूमिका में आ जाना चाहिए। सीनियर नेताओं ने कहा कि कांग्रेस में नेतृत्व का उत्तराधिकर संभालने का काम कई स्तर पर हो सकता है, जिसके तहत राहुल पार्टी की कमान अपने हाथ में लेंगे और दूसरी तरफ प्रियंका कांग्रेस की पदाधिकारी के तौर पर काम करना शुरू करेंगी। पांच राज्यों में हो रहे चुनाव के नतीजों के तुरंत बाद इसकी घोषणा की जा सकती है, जब लोकसभा चुनाव में सिर्फ 2 साल रह जाएंगे।
सूत्रों ने बताया कि प्रियंका का इस तरह राजनीति में आना और पार्टी की ओर से उसकी पुष्टि किया जाना, एक सोचा समझा फैसला है। माना जा रहा है कि सोनिया के सक्रिय राजनीति छोड़ने के संकेत को देखते हुए यह फैसला किया गया है। एक सूत्र ने बताया, ‘यह सच है कि राहुल की अपनी बहन पर निर्भरता काफी बढ़ गई है। वह न सिर्फ सोनिया का काम देख रही हैं, बल्कि राहुल के काम में भी उन्हें सहयोग दे रही हैं।’