मुर्दाघर में नवजात बच्ची के शव को खाती रहीं चींटियां…

भोपाल

जिला अस्पताल में कथित लापरवाही से तीन दिन की बच्ची की मौत हो गई और पोस्टमॉर्टम के लिए मुर्दाघर में रखे उसके शव को चींटियां खाती रहीं। इस घटना को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने चार कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है और प्रशासन ने मामले की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त संचालक डॉ. शरद पंडित ने बताया कि इंदौर निवासी संगीता बघेल ने तीन जून को जिला अस्पताल में बच्ची को जन्म दिया था।

अस्पताल में पांच जून को टीका लगाए जाने के बाद बच्ची को रात को तेज बुखार आया और उसकी तबीयत बिगड़ गई। बच्ची के परिजन ने आरोप लगाया कि नवजात के इलाज में लापरवाही बरती गई जिसके बाद छह जून की सुबह उसकी मौत हो गई। पंडित ने बताया कि उन्होंने तीन सदस्यीय दल गठित कर मामले की शुरुआती जांच कराई, तो बीमार नवजात बच्ची की देखभाल में लापरवाही की तसदीक हुर्ई। उन्होंने कहा, ‘सिफारिश मानते हुए स्वास्थ्य विभाग के चारों कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है और उनके खिलाफ विस्तृत विभागीय जांच शुरू कर दी है।

उधर, भोपाल में मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग के वरिष्ठ अधिकारी अशोक मनवानी ने बताया, ‘प्रदेश सरकार ने इंदौर के महाराजा यशवंतराव अस्पताल की डॉ. अनुभा श्रीवास्तव, नर्स सुशीला, आया छोटी बाई, और सफाई कर्मचारी मधु बाई को कर्तव्य के प्रति लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया है।’ बच्ची के परिजनों का यह भी आरोप है कि नवजात की मौत के बाद भी जिला अस्पताल में लापरवाही और असंवेदनशीलता का आलम बरकरार रहा। बच्ची का शव पोस्टमॉर्टम के लिए छह जून को सुबह से शाम तक मुर्दाघर में रखा रहा और उचित देखभाल के अभाव में चींटियां इसे खाती रहीं। बच्ची के शव का पोस्टमॉर्टम शाम को दूसरे सरकारी अस्पताल में कराया गया। इस बीच, सरकारी अस्पताल में कथित लापरवाही से नवजात बच्ची की मौत और मुर्दाघर में उसके शव की बुरी स्थिति की खबरें मीडिया में सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने भी मामले का संज्ञान लेते हुए मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए है। सरकारी विज्ञप्ति में बताया गया कि जिलाधिकारी पी. नरहरि ने एक अनुविभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) को मामले की जांच की जिम्मेदारी सौंपते हुए उससे 15 दिन में रिपोर्ट मांगी है।