बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार)..प्रदेश सरकार ने धान का कटोरा कहे जाने वाले इस प्रदेश में लघु और सीमांत किसानों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं बनाई है..जिनका क्रियान्वयन कृषि विभाग के अलावा अन्य विभागों के माध्यम से किया जा रहा है..और उन्ही योजनाओं में से एक डबरी निर्माण की योजना भी है..जिससे किसानों को सिंचाई की समस्या से राहत मिलती है..यही नही सिंचाई के संसाधन का अभाव दूर होता है..पर अब वही डबरी ही पहली बरसात में बह गया है..जिससे डबरी निर्माण एजेंसी के कार्यशैली पर सवालिया निशान लग रहे है..और तो और हालिया दिनों में गांव के डबरी निर्माण के एक हितग्राही ने डबरी निर्माण की राशि मे बंदरबाट का आरोप लगाया था..तथा आईजी से मामले की शिकायत की थी..
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दरअसल बलरामपुर विकासखण्ड के ग्राम कण्डा में इसी वर्ष ग्रामीण सुखना पिता किसुन के नाम पर डबरी निर्माण की स्वीकृति मिली थी..और यह डबरी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत गांव में पदस्थ रोजगार सहायक के देखरेख में बनना था..इसके अलावा इस डबरी निर्माण में तकनीकी सहायक की भूमिका भी अहम होती है..मगर इन सबसे परे 291000 की प्रशासकीय स्वीकृति से बनने वाली डबरी पहले ही बरसात में बह गई..जो प्रमाणित करती है.की इस डबरी निर्माण में किस कदर करप्शन का खेल खेला गया..और जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए डबरी का निर्माण कराया गया वह उद्देश्य अधूरा का अधूरा रह गया ..
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करप्शन की दुकान बना डबरी!..
इसके अलावा डबरी निर्माण पर ही इसी गांव के रोजगार सहायक लीना यादव पर करप्शन के गम्भीर आरोप लगे थे..इस सम्बंध में एक बुजुर्ग ने बगैर डबरी निर्माण के डबरी की स्वीकृत राशि को रोजगार सहायक द्वारा आहरित करने के मामले में जांच कर रोजगार सहायक के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की मांग एसपी से लेकर आईजी तक से की थी..मगर यह भी मामला अभी ठंडे बस्ते में ही है..