माहिला दिवस विशेस
बिट्टू सिंह राजपूत
बचपन से दिव्यांग, पती भी पोलियोग्रस्त, गरीबी के बीच समाज के ताने पर मन मे कुछ करने की लगन ने ऋतू चौबे को मोहनिया से पटना ले आया, जहा पढाई भी की और अब नौकरी भी कर रही है।
किसी ने सच्च कहा है कि अगर आपके मन मे कुछ करने कि चाहत हो कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो फिर सामने परेशानी पहाड तरह खड़ी हो मगर आपकी चाहत, जज्बा उस पहाड़ को भी चकना चूर कर देता है। ऐसे ही बिहार के मोहनिया जिला कि महिला ऋतू की कहानी है, ऋतू बचपन से दिब्यांग है जन्म के कुछ दिन बाद पोलियो ग्रस्त हो गई इनके पिता ने काफी इलाज कराया लेकिन वह पूरी तरह से ठीक नही हुई। दिव्यांग कहलाना ऋतू की फितरत मे सामिल हो गया है मगर ऋतू मन से कमजोर नही है। वह अपनी कमजोरी को ताकत बना कर औरो के लिऐ मिशाल पेश कर दिखाई और वह अपना शहर छोड पटना आ गई जहा कडी मेहनत के बाद 1200 रू की नौकरी पाई और उसी पैसे से पढाई करने लगी। ऋतू आज वाट्सएप के जरिये लडकियो और महिलाओ कि मदद करती है, वह एक संस्था से भी जुडी बेटी जिंदाबाद के माध्यम से पीड़ित महिलाओ और लडकीयो की मदद करती है। ऋतू कहती है आज जो हमने दु:ख झेला है वह हमारी जैसी निरीह महीलाये,लडकीया न झेले, समाज सेवा कि करने का मुख्य उद्देश्य यही है।
पिता ने दिया साथ
वही चर्चा के दौरान ऋतू ने बताया कि विपरित परिस्थिती के बाद भी मैने अच्छे से पढाई कि इसके बाद शादी कि मैने पोलियोग्रस्त पती चुना ताकि दोनो के मन से घर संसार मिल जुल कर चले। इसी के साथ मै आगे बढ रही हू। मुझे पिता जी ने हर समय कदम कदम पर मिलाकर घर बसाने की प्रेरणा दी, हलांकी अब मेरे पिता जी नही है लेकिन उनका हौसला ताउम्र नही भुलुगी।
कदम कदम पर मुश्किले
पोलियो ग्रस्त होने के कारण ऋतू को कदम कदम पर ताने झेलने पड़े गाव मे ताना मारने वालो कि कमी नही थी आगे ऋतू कहती है मोहनिया छोटा शहर होने के कारण कुछ कर नही पा रही थी। लोगो कि मानसिकता भी अजीब थी, मेरा घर से निकल कर काम करना किसी को गवारा नही था, ताना इतना कि जबाब देना मुश्किल था, इसी कारण मैंने पटना जाने का निर्णय लिया और खुद को सक्षम बनाया।
हिम्मत नही हारी और जाब मे आई
ऋतू कहती है जब मै बाहर निकली तो मेरे पास कोई डिग्री नही थी दुनियादारी की समझ भी नही थी उपर से पति-पत्नी दोनो दिव्यांग कोई नौकरी पर रखने को तैयार नही था इंटरव्यु मे ही कंपनी वाले बाहर के रास्ते दिखा दे रहे थे। कोई किराया पर मकान भी नही दे रहा था काफी खोजबिन के बाद 1200 रू की जाब मिली जिससे मै किसी तरह मैनेज कर खर्च करती हु हमारे दो बच्चे है वह भी काफी समझदार है और वह भी मदद करते है।
विकलांगता कोई समस्या नही
ऋतू कहती है जब भगवान किसी से छीनता है तो कुछ न कुछ जरूर देता है जिसके सहारे वह आगे बढता रहे। हलांकी जब किसी समस्याओ का हल नही दिखता तो संबधित लोगो से सहयोग लेकर जरूरत मंदो का सहयोग करती हु। वह कहती है लडकी की बडी पूंजी उसकी हिम्मत होती है वह अपनी हिम्मत से असमान छू सकती है इसलिए हिम्मत कभी हारना नही चाहिए।
व्हाटसएप ग्रुप पर चल रहा अभियान
ऋतू ने बताया की व्हाटसएप के माध्यम से अभी हम लोगो का अभियान चल रहा है इसके माध्यम से छेडखानी महिला हिंसा यौन-शोषण के खिलाफ लडाई लड रही है, साथी जरूरतमंद महिला व लडकीयो कि मदद कर रही है । इस ग्रुप मे फिलहाल 254 मेंबर है। इसमे देश के कई अधिकारी जुडे है और वह जरूरत मंदो कि मदद के लिऐ हमेशा आगे रहते है। कई ऐसे लोग है जो आर्थिक मदद भी करते है। इससे हमारे जैसे लोग कही जाने से हिचकते नही है। सोसल मिडिया पर अभियान चल रहा है। जिसके माध्यम से लोगो को जागरूक कर रहे है साथ की लोगो को मिल कर समझाते है कि क्या है समाज के प्रति उनकी जिमेदारी।
बेटी जिंदाबाद दिब्यागं लडकियो के लिए वरदान साबित
दिव्यांग लडकियो के मन मे भी तरह तरह के सपने होते है वे भी चाहती है कि समाज के लिऐ मिसाल बनु लेकिन कई ऐसी मजबुरीया होती है जिससे वे आगे नही बड पाती है बेटी जिंदाबाद संस्था के माध्यम से हमलोग ऐसी लडकियो को मदद करते है ।हलांकी विकलांक अधिकार मंच के तहत् बेटी जिंदाबाद संस्था का संचालन बैष्णवी करती है लेकिन संस्था के हर पदाधिकारी व सदस्य तक इसमे सक्रिय रहते है गरीब निरिह दिव्यांग लडकिया की शादी से लेकर उनके आत्मनिर्भर बनने तक संस्था ध्यान देती है ।संस्था कि मकसद है कि वे समाज मे शिर उठा के चल सके ।क्यो कि शरीर दिव्यांग हो सकता है दिमांग नहीक्ष।
मै बेटी,पत्नी और मा का कर्तव्य निभा रही हु
ऋतू ने कहा मै आज जीते हुऐ जज्बे से कर्तव्यपरायन बेटी ,पत्नी और माँ का फर्ज निभा रही हू मै ऐसी संस्था से जुडी जहा हमने सामूहिक प्रयास से चुनौतीयो को साझा किया और परिणाम अच्छे हो इसके लिए हम हर वर्ष 7 दिव्यांग लडकियो की शादी करा रहे है, जिससे नारी व मानवधिकारो को सम्मान करने की विचार धारा को बढा रहे है। उन्होंने आगे बताया मै समाज कि बहुत छोटी ईकाई हु मै उदाहरण तो नही संदेश वाहक हू मै बोझ नही दिव्यांग हु मुझे गर्व है मै नारी हू।