मीडिया वेश्या नही दर्पण है ज़नाब
सोशल मीडिया और चंद प्रभावी अंधभक्तो ने पांच राज्यों के चुनाव नतीजो मे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की समीक्षा पर कई गंभीर सवाल उठाए थे,, एक्जिटपोल के नतीजो के बाद मीडिया को वेश्या, दलाल और विज्ञापन का अहसान उतारने वाला कह कर खूब माखौल उडाया था । ये सब बाते उस दौरान की गई जब देश के प्रतिष्ठित मीडिया घराने ने सर्वे के माध्यम से एक्जिटपोल को चैनलो मे प्रकाशित किया । इन इलेक्ट्रॉनिक चैनलो मे वो चैनल भी शामिल थे जो पिछले दिनों विभिन्न मुद्दो को लेकर देश के प्रधानमंत्री का छीछालेदर करने मे लगे थे , और वो मीडिया घराने भी शामिल थे जो शुरू से मोदी को महीमा मण्डित कर रहे थे । लेकिन जैसे ही 11 मार्च को नतीजे सामने आए वैसे ही मीडिया के एक्जिटपोल पर सवाल उठाकर मीडिया को दलाल कहने वाले लोग ना जाने किस कोठे मे घुस गए । अब तो उनका शरीर ही नही बल्कि मीडिया मे उठने वाली उंगली भी दिखाई नही दे रही है।
ठीक है मीडिया से चूक होती है लेकिन इस चूक से मीडिया को अपमानित करना शायद समाज के उस बडे तपके को अपमानित करने जैसा है जो इस मीडिया पर भरोसा करती है और मीडिया उनके सुख दुख मे किसी साया कि तरह खडी रहती है और उनकी समस्याओ को हर वक्त शासन प्रशासन तक पंहुचाती है, जिससे बडी से बडी समस्या हल हो जाती है । लेकिन मीडिया को दलाल कहने वाले ये क्यो नही समझते कि ये ही एक माध्यम है जिसने समाज के सामने दर्पण का काम किया है । बहरहाल अब पांच राज्यों के नतीजे आने के बाद मीडिया को दलाल, विज्ञापन का प्रभाव और वेश्या कहने वाले ना जाने कहाँ गायब हो गए… लगता है ये सब अब मिस्टर इण्डिया हो गए है ।