बलरामपुर (कृष्णमोहन कुमार ) जिले के वाड्रफनगर ब्लाक के ग्राम रजखेता में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत घुन लगे चने बेचे जाने का मामला सामने आया है..तो वही खाद्य अधिकारी पीडीएस सिस्टम में हितग्राहियों को चना बेचे जाने की स्कीम बन्द होने का हवाला दे रहे है..लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है की जब सरकार की स्कीम ही अप्रैल 2018 में बंद हो चुकी है,तो मई 2018 में चना कैसे बेचा गया?..
दरसल वाड्रफनगर ब्लाक के ग्राम रजखेता में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत 5 रुपये प्रति किलो के हिसाब से प्रत्येक परिवारों को 2 किलो दिया जाता है..लेकिन प्रदेश सरकार ने इस चना बेचने की स्कीम को अप्रैल 2018 में बंद कर दिया है..बावजूद इसके मई 2018 में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के राशन दुकान में हितग्राहियों को दबाव पूर्वक बेचा गया..हितग्राहियों का आरोप है की राशन दुकान का सेल्समेन शासन से खराब चना मिलने की बात कहकर डाट डपट कर उन्हें घुन लगा चना लेने पर मजबूर किया..और चने बेच दिए..लेकिन ब्लाक के खाद्य निरीक्षक की माने तो उन्हें इस सम्बंध में कोई शिकायत नही मिली है…
खाद्य विभाग के जिला अधिकारी खोमेश्वर सिंह का कहना है की शासन ने चना बेचने की स्कीम को बंद कर दिया है..और चना राशन दुकान में मई महीने में कैसे पहुँचा यह जांच का विषय है..वैसे राशन दुकानों से बटने वाली खाद्य सामाग्री नान से सप्लाई की जाती है..खराब चना कब के इस्टाक का था इसकी जांच करवाता हूँ..
वैसे छत्तीसगढ़ की कोर पीडीएस सिस्टम की तारीफ केंद्र सरकार ने की थी..और छत्तीसगढ़ के तर्ज पर इस योजना की शुरुआत बाकी प्रदेशो में भी की गई..इसी बीच प्रदेश के सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी कोर पीडीएस सिस्टम में गड़बड़िया उजागर होने पर राज्य सरकार ने इस योजना में आंशिक फेरबदल कर इस योजना को ऑनलाइन कर दिया था..तथा चावल के साथ नमक और चने देने की स्कीम लांच की थी..पर अब गुणवत्ताविहीन खाद्य से सामग्री बाटे जाने पर सरकार के इस महत्वकांक्षी योजना पर कई तरह के सवालो को जन्म दे रहा है…