कांग्रेस प्रत्याशी के जनसभा मे नही जुट रही भीड़.. भीड़ जुटाने के लिए नाचा,गंमत का सहारा…


जांजगीर चांपा । कांग्रेस प्रत्याशी रवि भारद्वाज गांव गांव जाकर जनता से जनसंपर्क कर वोट मांग रहे हैं। लेकिन ग्रामीण इलाको मे ले रहे जनसभा में अपेक्षा अनुरूप भीड़ नही जुट रही है। लगता हैं अभी भी ग्रामीण इलाको में मोदी मैजिक बरकरार हैं। ग्रामीण इलाको में कांग्रेस प्रत्याशी अपनी पहचान बताने अपने पिता के नाम पर जनता से वोट देने की अपील कर रहे है। गांव – गांव मंे कांग्रेस अपने सरकार द्वारा किये गये कार्यो का गुणगान कर जनता से वोट मांग रहे है। तो भाजपा मोदी के नाम पर जनता से वोट मांग रहे है। विगत दिनो बलौदा मे सीएम की सभा में जो पार्टी की किरकिरी हुई वो सभी जानते है। पार्टी के ही युवा संगठन एनएसयूआई अपने पार्टी का विरोध पर उतर आई थी।
पिछले चुनाव मे देखा गया है जिला मुख्यालय में पार्टी के ही बड़े -बड़े नेताओ के वार्ड से ही पार्टी की हमेशा हार हुई हैं .चाहे वो विधानसभा की बात हो नगर पालिका चुनाव की। पार्टी को मजबुत करने के बजाय पार्टी के विरूध काम करते रहे है। जिसके कारण दिनो दिन जिले मे कांग्रेस कमजोर हुई है। वही ग्रामीण इलाको के कार्यकर्ताओ को अपने नेता के प्रति विश्वास कम हुआ है। जिसका नतीजा अब चुनाव प्रचार मे देखने को मिल रहा है। प्रदेश मे कांग्रेस की सरकार होने के बाउजुद प्रत्याशी के जनसभा में जनता नही जुट रही है आगे आने वाला समय बतायेगा कि प्रदेश सरकार का ‘‘जो कहा वो किया‘‘ या भाजपा का ‘‘ फिर से मोदी सरकार‘‘ का जादु चलेगा। लेकिन सभी पार्टी अपने जनसभा मे जनता की भीड़ जुटाने के लिए तरह- तरह के इंतेजाम कर रहे हैं कोई नाचा, गंमत क सहारा ले रहा है तो कोई मुर्गा पार्टी का आयोजन कर रहा है। इस गर्मी में जनता की भीड़ जुटाने के लिए नेताओ के पसीने जरूर छुट रहा है।

1 लाख 75 हजार से अधिक की लीड मे भाजपा….
जांजगीर चांपा लोकसभा 2014 की बात करे तो भाजपा सभी 8 विधानसभा मे लीड कर 1 लाख 75 हजार से अधिक वोट से जीत दर्ज की थी। जिले में पिछले विधान चुनाव मे कांग्रेस 2 सीट बसपा 1 तो भाजपा 3 सीट पर काबिज थी. बाउजुद भाजपा से कमला देवी पाटले से कांग्रेस के प्र्रेमचंद जायसी को हार का सामना करना पड़ा था। प्रेमचंद जायसी स्थानीय होने के साथ -साथ युवा चेहरा थेराहुल गांधी से सीधा संवाद कर लोकसभा में टिकिट पाने मे कामयाब हुये थे। लेकिन संगठन की कमजोरी व पार्टी में गुटबाजी की वजह से चुनाव हार गये थे। यही हाल पिछले महीने हुए विधानसभा की बात करे तो मोदी लाल देवागंन को हुआ। पूरे विधानसभा मे ऐसा शक्स नही था जिसके जुबान में मोती की हार कही सुनी जा सकती थी। सभी यही कह रहे थे कि मोती देवागंन इस बार अच्छे मतो से जीत दर्ज कर रहे हैं दृ लेकिन रिजल्ट उल्टा रहा मोती की हार हुई। लेकिन आज तक न ही विधानसभा मे हारे प्रत्याशीयों की पार्टी मे समीक्षा हुई न ही किसी कार्यकर्ता की गतिविधियों को लेकर शिकायत हुई। सभी जानते थे कि हार कारण सिर्फ एक ही था. पार्टी संगठन कमजोर थी वही पार्टी में गुटबाजी थी। ऐसा ही नजारा अभी भी दिख रहा है।