अम्बिकापुर सोशल साइट्स में इन दिनों नकली चावल या प्लास्टिक के चावल के खूब चर्चे है.. लेकिन इस प्लास्टिक के चावल की की गिरफ्त से हम खुद को दूर समझ रहे थे.. लेकिन अब ऐसा नहीं है.. पैसे के लालची कुछ व्यापारी अब मौत के सौदागर बन गए है.. अब धान के कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के सरगुजा में भी प्लास्टिक के चावल आ चुके है.. आप भी चेक कीजिये कही आप जिसे चावल समझ कर खा रहे है वो कही धीमा जहर तो नहीं है…
ताजा मामला अम्बिकापुर के लखनपुर के समीप कटकोना गाँव में सामने आया जहाँ एक छात्र ने जब दूकान से चावल खरीद कर उसे बनाया तो उसके होश उड़ गए… इस चावल से भात बनाने की प्रक्रिया के दौरान भात में से निकलने वाले माढ की जगह पतला पानी ही निकला जिस वजह से छात्र को शक हुआ.. लेकिन उसे भूख लगी थी और वो उस चावल को खाने लगा खाने में भी जब चावल कुछ अजीब सा लगा तब युवक ने सोशल साइट्स में बताये गए तरीके से नकली चावल को जांचने की विधी अपनाई.. उसने चावल का गोला बनाया और फिर क्या था वह चावल का गोला किसी सिंथेटिक बाल की तरह हो गया.. जमीन पर पटकने पर भी चावल की बाल फूट नहीं रही थी बल्की सिंथेटिक बाल की तरह उछल रही थी…
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इधर मामले की जानकारी क्षेत्र के जनपद सदस्य को लगी तो उन्होंने लोगो को जागरूक करने के उद्देश्य से यह जानकारी सोशल साइट्स पर डाल दी.. जिसके बाद हमारी टीम उस गाँव में पहुची लेकिन गाँव पहुचने से पहले पूरा मंजर ही बदल दिया गया था.. प्लास्टिक के चावल का सौदागर लखनपुर के ही ममता किराना स्टोर के संचालक ने छात्र और उसके परिजनों को इतना डरा दिया की अब वह कैमरे में कुछ कहने को तैयार नहीं है.. चावल भी गायब करा दिया गया.. लेकिन जनपद सदस्य ने छात्र के द्वारा बताई गई पूरी बात बताई और थोड़े से बचे हुए नकली चावल के सेम्पल से भात बनाकर हमको दिखाया..
वही मामला जब तूल पकड़ने लगा तो स्थानीय तहसीलदार, खाद्य एवं औषधी विभाग की टीम मौके पर पहुची और फिर शरू हुआ जांच और कार्यवाही का ड्रामा.. दुकान दार से बड़ी ही नरमी से पेश आते आधिकारियो ने वो सेम्पल लिया जो दूकान दार ने दिया अब उस चावल की जांच के बाद कार्यवाही की बात कर रहे है जो प्लास्टिक का है ही नहीं.. इतना ही नहीं मीडिया द्वारा सवाल पूछे जाने पर प्रशासनिक अमला गैरजिम्मेदाराना हरकत करते हुए सवालों से भागने लगा… अब सवाल यह उठता है की की जब आप या आपका वो दुकानदार दोनों ही ईमानदार है आपने कोई गलती नहीं की है तो कैमरे से भागने की क्या जरूरत है..
इस पूरे मामले की रिपोर्ट बानाते हुए समझ यह आया की सब कुछ सेट कर दिया गया है.. वहाँ पहुचे आयोग के सदस्य का कहना है की फारेंसिक रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही की जायेगी पर साहब फोरेंसिक लैब जो चावल भेजा जा रहा है वो प्लास्टिक का नहीं बल्की असली चावल है प्लास्टिक का चावल तो आपकी कांख के नीचे से ही छुपा दिया गया.. इतना ही नहीं मौत का सौदागर दुकानदार मामले के तूल पकड़ने पर इतना बौखला गया की मीडिया और गाँव वालो को अपनी पहुच और फर्जी रिपोर्ट कराने की धमकी भी देने लगा..
बहरहाल इस खबर को बनाने या दिखाने के पीछे हमारा मकसद किसी व्यापारी को परेशान करना नहीं है.. मकसद तो सीधा और साफ़ है की सरगुजा क्षेत्र के लोग जो दिन भर में चार ताईम केवल चावल ही खाकर अपना पेट भरते है ऐसे में उनकी जिन्दगी से समझौता कैसे संभव है.. उद्देश्य है प्रशासन को और आम लोगो को करना की सतर्क रहे.. प्रशसासन क्षेत्र के हर दूकान और चावल गोदामों की निष्पक्षता से जांच कराये की कही प्लास्टिक का चावल तो नहीं बिक रहा है..