अम्बिकापुर रमन राज में एक महिला की गरीबी का अच्छा मजाक बनाया गया है.. सीएसईबी द्वारा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली महिला के घर 46 हजार का बिजली बिल भेजा गया है.. वही मोहल्ले में कई अन्य लोगो को इस तरह के बढे हुए बिजली के बिल मिले है.. जिस महिला को 46 हजार का बिल मिला है वो अपनी गरीबी की दास्तान बताते हुए रो पडी और कहती है की अपने मृत पती की पूरी संपत्ति भी बेचने बाद भी वो इस बिल को नहीं पटा पायेगी…
सरगुजा जिले के बतौली विकासखंड के गाँव गहिला में रहने वाली फुलेश्वरी तिग्गा के पति की मौत हो चुकी है और अब फुलेश्वरी बिल्कुल बेसहारा है.. वही इस गरीब महिला के सामने बिजली विभाग ने आफत का पहाड़ ही खड़ा कर दिया.. घर में दो तीन बल्व जलाकर जीवन यापन करने वाली महिला का बिजली बिल 46 हजार रुपये थमा दिया है.. जबकी वो हर महीने बिजली का बिल आनलाइन पेड़ करा देती थी.. अब महिला के पास इस बिल का भुगतान करने की कोई व्यवस्था नहीं है.. फुलेश्वरी ही नहीं गाँव में और कई लोग है जिनको अनाप शनाप बिल भेजा गया है..
वही इस सम्बन्ध में विधानसभा नेता प्रतिपक्ष टी एस सिंह देव ने सरकार को आड़े हाथो लेते कहा है की रमन राज में यही उम्मीद की जा सकती है.. उन्होंने कहा की जो भाई प्रदेश की बहनों को 35 किलो चावल देने की बात करता है और 35 हजार से अधिक का बिजली बिल भेजता है जो मेरे घर के बिल से भी अधिक है.. उससे और क्या उम्मीद की जा सकती है..
इधर सीएसईबी के अधिकारी जिम्मेदारी से बचते नज़र आ रहे है.. महोदय कहते है की यह प्रकरण मुझे पता नहीं है.. और गरीब की मजबूरी का मजाक बनाते हुए यह भी कह रहे है की रीडिंग लेने वाले गलती से हर महीने कम रीडिंग ले आते है और फिर बची हुई रीडिंग इकट्ठा होकर अधिक बिल के रूप में मिलती है.. वही साहब ने यह भी कहा की अगर गलती हुई है तो छूट मिल जाएगी..
बहरहाल इस विभाग के भर्ष्टाचार को ज़रा बारीकी से समझने की जरूरत है.. सीएसईबी के कर्मचारी बड़ी ही चालाकी से उपभोक्ताओं को लूट रहे है.. आप सोच रहे होंगे कैसे.. दरअसल मीटर रीडिंग का काम सीएसईबी के कर्मचारी नहीं करते है इस काम के लिए ठेकेदार के द्वारा कर्मचारी रखे जाते है और ये कर्मचारी बड़ा भ्रष्टाचार कर कम वेतन की नौकरी छोड़ देते है और बिजली विभाग रीडर पर कार्यवाही का सिगूफा फोड़ कर लोगो को अपनी ईमानदारी का सबूत देता रहता है.. पर जनाब गलती आप करो या आपका ठेका कर्मी पर आम गरीब को इसका खामियाजा क्यों भुगतना पड़ रहा है..