अम्बिकापुर शहर मे एक निजी शापिंग काम्पलेक्स के निर्माण के दौरान विष्णु की प्राचीन मूर्ती मिली है। जिसके बाद काम्पलेक्स निर्माण कर रहे दुबे परिवार के सदस्यो ने कलेक्टर किरण कौशल की सलाह पर मूर्ति को कोतवाली थाने मे जमा कर दिया है। इधर कोतवाली पुलिस के मुताबिक उन्होने मूर्ती को अपने कब्जे मे ले लिया है। जिसके बाद वो मूर्ति की जांच कर उसको पुरातत्व विभाग को हैंडओवर करने की प्रकिया करेंगे।
अम्बिकापुर के पुराने बस स्टैंड स्थित माया लाज के बगल मे इन दिनो निगम के पार्षद आलोक दुबे परिवार द्वारा शापिंग माल का निर्माण चल रहा है। शापिंग काम्पलेक्स लगभग बनकर तैयार हो चुका है। इसी दौरान जब आज निर्माण कार्य मे लगे मजदूर काम्पलेक्स के पीछे ड्रेनेज के लिए नाली का गड्ढा खोद रहे थे । तभी जमीन से तकरीबन 7-8 फुट नीचे एक मुर्ती निकली ।
दुबे परिवार के मुताबिक मूर्ती निकलने के बाद पार्षद आलोक दुबे ने इसकी जानकारी सरगुजा कलेक्टर किरण कौशल को दी। जिसके बाद मूर्ती पुरातत्व से संबधित होने के कारण कलेक्टर ने उसे थाने मे जमा कराने की बात कही और फिर वरिष्ठ कांग्रेसी आलोक दुबे ने इस मूर्ती को कोतवाली थाने के सुपुर्द कर दिया। पार्षद आलोक दुबे के मुताबिक जमीन से निकली मूर्ती भगवान विष्णु की है , जो जानकारो के मुताबिक 6वी शताब्दी की बताई जा रही है।
सुपुर्दगी के बाद कोतवाली थाना प्रभारी नरेश चौहान ने बताया कि मूर्ती काफी खंडित है और मूर्ती के चेहरे वाले भाग मे कई चोंट के निशान है। साथ ही उन्होने ये भी बताया कि चूंकि मामला पुरातत्व विभाग से जुडा हो सकता है , इसलि मूर्ती मिलने की लिखित सूचना कल पुरात्तव विभाग को दिया जाएगा और फिर अगर मूर्ति पुरातात्विक महत्व की होगी तो फिर उसे पुरातत्व विभाग के सुपुर्द कर दिया जाएगा।
जांच मे हो सकता है खुलासा
दरअसल सरगुजा संभाग के महेशपुर और डीपाडीह के अलावा कई स्थानो मे खुदाई के दौरान पुरातत्व महत्व की मुर्तिया मिली है , जिसके बाद इस स्थान मे पुरातत्व विभाग ने संग्रहालय बनाकर मूर्ती को संरक्षित करने का काम किया है। ऐसे मे सरगुजा जिला मुख्यालय के ब्रह्मपारा मोहल्ले की धरती मे मिली इस मूर्ती ने पुरात्तव विभाग के लिए इस मूर्ती को शोध का विषय बना दिया है कि आखिर ये मूर्ती किस काल की है और यहां इसके मिलने का मतलब क्या है ?