जब भी शराब की बात होती है तो पटियाला पैग का जिक्र जरूर होता है, पर क्या आप जानते हैं कि आखिर पटियाला पैग को “पटियाला पैग” ही क्यों कहा जाता है, चंडीगढ़ या मुंबईयां पैग क्यों नहीं कहा जाता, यदि आप पटियाला पैग के इतिहास को नहीं जानते, तो आज हम आपको पटियाला पैग के इतिहास से रूबरू करा रहें हैं, जिसको जानकर आपके मन में उठे सभी प्रश्नों का उत्तर मिल जाएगा। तो आइए जानते हैं इसके बारे में।
क्या होता है पटियाला पैग
असल में पटियाला पैग में कितनी शराब होनी चाहिए या असल में कितनी शराब एक पटियाला पैग में होती है, इस बारे में किसी किताब में तो कुछ नहीं लिखा है, लेकिन शराब प्रेमियों की मानें तो पटियाला पैग में लगभग 120 मिली. शराब होती है, यानी करीब आधा गिलास पानी तथा आधा गिलास शराब इस पैग में होती है, इसलिए पटियाला पैग न सिर्फ बड़ा होता है बल्कि इसको पीना भी काफी रिस्की होता है, इसलिए बहुत कम लोग ही इसको पी पातें हैं।
आखिर क्यों कहा जाता है इसको पटियाला पैग
पटियाला पैग का संबंध महाराजा भूपिंदर सिंह से बताया जाता है, महाराजा भूपिंदर सिंह 1891 से लेकर 1938 तक पंजाब के पटियाला के राजा रहें हैं। कहा जाता है कि महाराज भूपिंदर सिंह की एक पोलो की टीम भी थी और एक बार उन्होंने Irish की टीम को पोलो खेलने के लिए बुलाया। खेल से पहले Irish टीम के लोगों ने शराब पीने की इच्छा जताई और महाराज भूपिंदर सिंह को दिखाने के लिए Irish टीम के खिलाड़ियों ने ज्यादा शराब पी ली, जिसके कारण वह मैच में हार गए, बाद में उन्होंने कहा कि भूपिंदर सिंह ने उनको अधिक शराब पिला दी थी, जिसके चलते में वो हार गए। इस पर राजा महाराज भूपिंदर सिंह ने कहा कि “पटियाला पैग” होते ही बड़े हैं और उस समय से ही इस प्रकार से बड़े शराब के पैग को “पटियाला पैग” कहा जाने लगा।