बाड़ी में साग-सब्जी लगाने के लिए मिलता है इस योजना का लाभ
हितग्राहियों को दी जा रही है लागत की 75 प्रतिशत राशि बतौर अनुदान
रायपुर, एक जनवरी 2014
कृषि विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि यह योजना प्रदेश के सभी 27 जिलों में लागू की गयी है। इसके लिए गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों तथा लघु एवं सीमांत कृषकों का चयन किया जाता है। अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के हितग्राहियों को इस योजना में प्राथमिकता दी जाती है। किसानों की बाड़ी में टपक सिंचाई पद्धति स्थापित करने के लिए विभाग द्वारा लागत की 75 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में दी जा रही है। प्रति हितग्राही पांच सौ वर्गमीटर में टपक सिंचाई पद्धति लगाने में 18 हजार रूपए की लागत आती है, इसमें से 75 प्रतिशत राशि अर्थात साढ़े तेरह हजार रूपए अनुदान के रूप में दिया जाता है। योजना के क्रियान्वयन के लिए गांवों को इकाई माना जाता है। गांवों का चयन समूह या कलस्टर में किया जाता है। एक कलस्टर में कम से कम 50 हितग्राही शामिल रहते हैं। कलस्टर में हितग्राहियों का चयन अधिक से अधिक दो या तीन ग्राम पंचायत क्षेत्रों को मिलाकर किया जाता है।
योजना का लाभ लेने के लिए हितग्राहियों के पास पर्याप्त मात्रा में सिंचाई के लिए पानी होना आवश्यक है। इसी प्रकार बाड़ी की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होने चाहिए। हितग्राहियों से आवेदन पत्र प्राप्त कर ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारियों द्वारा पात्र हितग्राहियों का चयन किया जाता है। उसके बाद हितग्राहियों की सूची का अनुमोदन ग्राम सभा में कराया जाता है। टपक सिंचाई संयंत्र लगाने के लिए विभाग द्वारा स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए गए। इन दिशा-निर्देशों के अनुसार संचालनालय उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी रायपुर द्वारा निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप टपक सिंचाई संयंत्र, हितग्राहियों की पसंद के अनुसार खुले बाजार में खरीदे जाते हैं। योजना के निर्धारित प्रावधानों के अनुरूप खरीदी गयी सामग्री का देयक सक्षम अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करने पर भौतिक सत्यापन के पश्चात समय-सीमा में ही हितग्राहियों को 75 प्रतिशत की अनुदान राशि उनके बैंक खातों में जमा की जाती है। यदि हितग्राहियों द्वारा संयंत्र के लिए आवश्यक सामग्री कम कीमत और कम मात्रा में खरीदी जाती है, तो उसके अनुरूप ही 75 प्रतिशत अनुदान राशि दी जाती है। इस योजना का क्रियान्वयन हर साल अप्रैल माह से शुरू हो जाता है।