
बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार)..डबल इंजन की सरकार में सरकारी पैसों की बर्बादी का एक नया नमूना बलरामपुर नगर पालिका क्षेत्र में देखने को मिला है. जहां दिन में विकास के सपने और रात में अंधेरा कायम. सिस्टम से खेलने वालो ने तो दिवंगत नेताओं तक को नही बक्शा है. ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले महीने ही बलरामपुर नगर में लरंग साय चौक की स्थापना हुई. जिसका निर्माण विधायक रामविचार नेताम के विधायक निधि से किया गया है, और लोकार्पण भी छत्तीसगढ़ शासन के कैबिनेट मंत्री रामविचार नेताम ने किया था. लेकिन लोकार्पण के बाद से लरंग साय चौक की स्थिति देखने लायक है. कहने के लिए तो 14 लाख की लागत से चौक का निर्माण कराया गया है, लेकिन ना तो चौक में लाइट जलती है और ना ही फौव्वारा चलता है. सबसे गौर करने वाली बात तो यह है कि जब निर्माण का कार्य अधूरा ही था तो लोकार्पण कराने की हड़बड़ी किसको थी. तमाम ऐसे सवाल है जिनके जवाब शायद मिले ही ना.
14 लाख की लागत से चौक का निर्माण कार्य एजेंसी नगर पालिका ने कराया है. निविदा प्रक्रिया के जरिये निर्माण कार्य आबंटित किया था और एक स्थानीय नेता जी ने इस निर्माण कार्य को कराया है. इस निर्माण कार्य के पीछे उद्देश्य यह था कि नगर की सौंदर्यता में निखार लाया जा सके, लेकिन नेता से ठेकेदार बने नेता जी ने विकास के पीछे अपना उद्देश्य साध लिया.
सरगुजा संभाग के लिए लरंग साय का नाम किसी पहचान का मोहताज नही है. लरंग साय सरगुजा से सांसद भी रहे है. भाजपा संगठन तमाम अवसरों पर दिवंगत लरंग साय के द्वारा किये गये कार्यों को याद करता है, और उनकी स्मृति में ही चौक का निर्माण कराया गया है. लेकिन यह चौक आपको दिन में ही नजर आयेगा और शाम ढलते ही अंधेरे के आगोश में छिप जाएगा. इन सबके पीछे निर्माण एजेंसी की बड़ी लापरवाही है. जिसने आधे-अधूरे कार्य को कागजों में पूरा बताकर लोकार्पण करा दिया है.
नेता जी बने ठेकेदार
जिला मुख्यालय में कई ऐसे निर्वाचित जनप्रतिनिधि है. जो निर्माण वाले विभागों के अधिकारियों के चक्कर काटते दिख जाएंगे, और सबका अपना-अपना हिसाब है. निर्माण कार्यों की लंबी फेहरिस्त लिए जनता के ये सेवक विकास के अवसर को लाभ और हानि में भुनाने की जुगत-जुगाड में दिख जाएंगे. यही नहीं सत्ता पक्ष का दबाव बना माननीय अपनी मंशा पर खुद ही खरा उतरने की कवायद में जद्दोजहद करते आसानी से नजर आ जाया करते है.
बहरहाल, स्थानीय प्रशासन को ऐसे विकास कार्यों की समीक्षा करनी चाहिए. ताकि उनका दामन दागदार ना हो और उन्हें यह समझना होगा कि वे सिस्टम का हिस्सा है, ना की किसी राजनैतिक दल के.




