अद्भुत जनपद ! कमाल के कर्मचारी 23 साल मे नहीं हुआ ट्रांसफर…

[highlight color=”yellow”]अम्बिकापुर/उदयपुर[/highlight]

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जनपद पंचायत उदयपुर में वर्षों से पदस्थ कर्मचारियों की फेहरिस्त काफी लम्बी है। उच्च प्रशासनिक अधिकारियों और सत्ता के गलियारों तक इनकी पहुुंच का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जनपद के अंतर्गत कई कर्मचारी अंगद के पांव की तरह एक ही स्थान पर दशकों से जमें हुये है और टस से मस होने का नाम नहीं ले रहे है। जनपद के कर्मचारी होने के साथ-साथ अब ये लोग यहां के स्थानीय निवासी भी हो गये है। इन्हे उदयपुर इतना रास आया कि ब्लॉक मुख्यालय सहित आसपास के गांवों में इन्होने अपने परिवारिक सदस्यों के नाम से भू-खण्ड खरीद रखे है।

पंचायत स्तर की राजनीति में परिणामों को प्रभावित करने तक इनका दखल है। नये चुने हुये ग्रामीण क्षेत्रों के पंचायत प्रतिनिधियों को ये अपनी उंगलियों पर नचाते है। प्रस्ताव हो या निर्माण कार्य ज्यादातर जगहों पर इनके हिसाब से ही काम होता है। बाबु राज का आलम ऐसा की जनपद में छोटे से छोटे काम के लिए भी इनकी सेवा करनी पड़ती है। सूचना का अधिकार से प्राप्त दस्तावेजों से खुलासा हुआ कि जनपद के कर्मचारी वर्ष 1993, 1996, 2001, 2005, 2008, 2010 इत्यादि से पदस्थ है। इसी तरह जनपद में लगभग चार-पांच वर्षों से वाहन का अता पता नहीं है परंतु वाहन चालक जनपद में अपने पद पर जमे हुये है और समय-समय पर पारिवारिक सदस्य के नाम से क्रय किये गये वाहन को जनपद में चलाकर दोहरा लाभ भी अर्जित किया जाता रहा है। जनपद के कई कर्मचारी मुख्यालय में निवास न करके जिला मुख्यालय अम्बिकापुर से प्रतिदिन आना जाना करते है। इससे इनके न तो आने के समय का ठिकाना है और ना जाने के समय का। कार्यालय आने के बाद भी अपनी टेबल पर कम और अन्यत्र जगहों पर ज्यादा देखे जाते है, जिससे जनपद में लंबित कार्यों की सूची दिनों दिन बढ़ती जा रही है। नाम ना छापने की शर्त पर जनपद के एक अधिकारी ने बताया कि, जनपद के कई लिपिक वर्ग कर्मचारी वर्षों से मलाईदार विभागों में जमे हुये है और दूसरे कर्मचारी मलाईदार विभाग पाने की जुगत में अपने वर्तमान प्राप्त दायित्यों के प्रति उदासीन रवैया अपनाते है। इसे आसानी से इस तरह समझ सकते है कि अभी पूर्व में दो महीने के लिए पदस्थ मुख्य कार्यपालन अधिकारी सह प्रशिक्षु डिप्टी कलेक्टर भुगतान से पहले निर्माण कार्य की गुणवत्ता खुद देखने जाते थे इसके बाद आगे की कार्यवाही होती थी। इसी का नतीजा रहा की जनपद में उनके कार्यकाल के दौरान बहुत ही कम लगभग ना के बराबर निर्माण कार्यों के भुगतान का चेक जारी कराया गया है। जनपद में प्रशासनिक कसावट के लिए क्षेत्र से यह मांग उठने लगी है कि जनपद में उपस्थिति के लिए बायो मेट्रिक डिवाईस का प्रयोग होना चाहिए, जिससे अधिकारी कर्मचारियों के मनमाने रवैये पर लगाम लग सके।