- कलेक्टर श्रीमती सैन अपशिष्ठ प्रबंधन पर देंगी व्याख्यान
- प्रषिक्षु आई.ए.एस. अम्बिकापुर के नवाचार से होंगे अवगत
अम्बिकापुर
नगरीय क्षेत्रों में कचरे का निपटारा एक बड़ी समस्या है। प्रतिदिन शहर से निकलने वाले हजारों टन कचरे का निपटारा कहां करें ? कैसे करें कि उस कचरे के बिखरने अथवा सड़ने से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सके अथवा खत्म किया जा सके। इन्हीं बातों को दृष्टिगत रखकर सरगुजा कलेक्टर श्रीमती ऋतु सैन के मार्गदर्षन में नगर पालिक निगम अम्बिकापुर में अभिनव पहल करते हुए ठोस, तरल अपषिष्ठ प्रबंधन केन्द्रो का संचालन प्रारंभ किया गया। कलेक्टर के मार्गदर्षन में नगर पालिक निगम क्षेत्र अम्बिकापुर में गत वर्ष से सफलतापूर्वक ठोस एवं तरल अपषिष्ठ प्रबंधन केन्द्रों का संचालन कर कचरे का उचित निपटान किया जा रहा है। इसके के तहत अम्बिकापुर के आसपास के गरीब, जरूरतमंद तथा विधवा, परित्यक्ता एवं एकल महिलाओं को प्रषिक्षित कर ठोस एवं तरल संसाधन केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है। कलेक्टर श्रीमती सैन लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रषासनिक अकादमी मसूरी में 2015 के भारतीय प्रषासनिक सेवा के प्रषिक्षु अधिकारियों को 1 से 3 जून तक आयोजित नवाचार सम्मेलन के दौरान अम्बिकापुर में कचरा प्रबंधन के इस सफल नवाचार से अवगत कराएंगी।
उल्लेखनीय है कि लगभग एक वर्ष पहले नगरपालिक निगम अम्बिकापुर में कचरे के उचित निपटान हेतु ठोस एवं तरल अपषिष्ठ प्रबंधन के बारे में स्थानीय 650 महिलाओं को प्रषिक्षित किया गया। इस अभियान के अंतर्गत स्थानीय महिलाओं को घरों, दुकानों, होटलों, छात्रावास, रेस्टोरेंट एवं अन्य स्थानों से निकलने वाले अपषिष्ट सामग्रियों के संग्रहण एवं प्रबंधन के बारे में विषेषज्ञ श्रीनिवासन द्वारा प्रषिक्षण प्रदान किया गया। संभवतः देष में पहली बार किसी नगरपालिक निगम में अल्प समय में स्वच्छता मिषन को क्रियान्वित करने का निर्णय लिया गया। प्रारंभिक तौर पर निगम के वार्ड नं 21 केनाबांध में जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में पहले एसएलआरएम केन्द्र की शुरूआत की गई। प्रारंभ में निगम के 5 वार्डों में इस अभियान को संचालित करने का निर्णय लिया गया। इसके पश्चात् अभियान की सफलता की समीक्षा करते हुए निगम के सभी वार्डों में घर-घर जाकर आर्गेनिक एवं इनआर्गेनिक कचरों को अलग-अलग संग्रहित करने का कार्य प्रारम्भ किया गया।
स्वच्छ अम्बिकापुर मिषन सहकारी समिति की महिला सदस्यों द्वारा प्रत्येक घर में हरे और लाल रंग के डस्टबिन में रखे कचरे को संग्रहित करने का कार्य किया जाने लगा। नागरिकों द्वारा हरे रंग के डिब्बे में आर्गेनिक और लाल रंग के डिब्बे में इनआर्गेनिक कचरों को रखा जाने लगा। आर्गेनिक कचरे से आषय साग, सब्जी, फूल-पत्तियां आदि हैं, जबकि प्लास्टिक और आसानी से विघटित नहीं होने पदार्थ इनआर्गेनिक कचरे कहलाते हैं। वर्तमान में निगम क्षेत्र के सभी वार्डों में घर-घर जाकर कचरा संग्रहित करने, केन्द्र में लाकर उन्हें उनकी प्रकृति के अनुसार अलग करने तथा कचरों के तीसरे स्तर के पृथक्करण के बाद उन्हें व्यापारियों को बेचने का कार्य किया जा रहा है। अम्बिकापुर के डी.सी. रोड स्थित ठोस, तरल अपषिष्ठ प्रबंधन केन्द्र में कचरे के तीसरे चरण के पृथक्करण के पष्चात 26 दिसम्बर 2015 को 8 टन कचरा नगर के व्यापारी को 2 लाख 11 हजार रूपए में विक्रय किया गया।
गौरतलब है कि इस अपषिष्ठ प्रबंधन से कोई भी कचरा डम्पिंग यार्ड पर फेंका नहीं जाता तथा सभी आर्गेनिक एवं इनआर्गेनिक कचरों का उचित निपटान कर उसे उपयोगी बना दिया जाता है। आर्गेनिक कचरे से कम्पोस्ट और बायो गैस तैयार करने का कार्य भी किया जा रहा है। कचरा प्रबंधन के कार्य की एक विषेषता यह भी है कि नियमित एवं नियमानुसार कार्य करने पर इस कार्य में लगी महिलाओं को मानदेय के लिए किसी और पर निर्भर नहीं रहना पड़ता, अपितु केन्द्र द्वारा संग्रहित कचरे के पृथक्करण पश्चात् विक्रय की राषि एवं घर-घर से मिलने वाले 50-50 रूपए के यूजर चार्ज से मानदेय हेतु आवष्यक राषि की व्यवस्था हो जाती है। अपषिष्ठ प्रबंधन के इस अभिनव पहल से अवगत कराने श्रीमती ऋतु सैन मसूरी के लिए प्रस्थान कर चुकी हैं।